नीलम सिन्हा, पीएचडी शोधार्थी,कृषि अर्थशास्त्र विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)


1. परिचय (Introduction)
छत्तीसगढ़, जो भारत के प्रमुख कृषि राज्यों में से एक है, यहां के किसानों के लिए श्रीअन्न (मिलेट्स) का उत्पादन और उपभोग बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ की कृषि भूमि पारंपरिक फसलों जैसे धान, गेहूं और मक्का के लिए समर्पित रही है, लेकिन श्रीअन्न (मिलेट्स) जैसे मोटे अनाजों की ओर ध्यान कम गया है। हालांकि, मिलेट्स को फिर से प्रोत्साहित करने के प्रयास तेजी से बढ़े हैं, क्योंकि इन फसलों के कई फायदे हैं। मिलेट्स जलवायु परिवर्तन के अनुकूल, पोषण से भरपूर, और कृषि के लिए उपयुक्त होते हैं। इनकी खेती को बढ़ावा देकर छत्तीसगढ़ में न केवल किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है, बल्कि राज्य में खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी सुधार किया जा सकता है। इस लेख में हम छत्तीसगढ़ में श्रीअन्न (मिलेट्स) के पुनरुद्धार की प्रक्रिया, इसके लाभ और इसे बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करेंगे।

2. पृष्ठभूमि (Background)
छत्तीसगढ़ की कृषि में श्रीअन्न का बहुत पुराना इतिहास रहा है। यहाँ की पारंपरिक फसलें जैसे बाजरा, ज्वार, और रागी मिलेट्स के रूप में उगाई जाती थीं। लेकिन, औद्योगिकीकरण और धान की खेती पर जोर देने के कारण इन फसलों की उपेक्षा होती गई। फिर भी, राज्य के कुछ क्षेत्रों में मिलेट्स का उत्पादन अभी भी जारी है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जलवायु परिवर्तन और सूखा जैसी समस्याएं हैं।

श्रीअन्न की खेती विशेष रूप से उन इलाकों के लिए उपयुक्त है जहां पानी की कमी है और भूमि की उर्वरता कम है। मिलेट्स की फसलें कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं और ये जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील होती हैं। इसके अलावा, इन फसलों को उगाने से मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है।

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में अभी भी कई किसान मिलेट्स की खेती करते हैं, लेकिन इनकी खेती के लिए सरकारी और सामाजिक जागरूकता की कमी के कारण उत्पादन का स्तर अपेक्षाकृत कम है। इस कारण राज्य में मिलेट्स का पुनरुद्धार जरूरी हो गया है।

3. वर्तमान स्थिति (Current Status)
छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का उत्पादन विशेष रूप से उन जिलों में होता है, जहां जलवायु परिवर्तन और सूखा जैसी समस्याएं अधिक हैं। राज्य के प्रमुख मिलेट्स उत्पादक जिले रायपुर, महासमुंद, बिलासपुर, कांकेर और राजनांदगांव हैं, जहां मिलेट्स की खेती विभिन्न रूपों में की जाती है।

हालांकि, इन फसलों का उत्पादन राष्ट्रीय स्तर पर काफी कम हो गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और केंद्रीय कृषि मंत्रालय मिलेट्स के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

Area Trend
छत्तीसगढ़ में मिलेट्स की खेती में पिछले कुछ वर्षों में कुछ सुधार देखा गया है, लेकिन यह देश के अन्य प्रमुख कृषि क्षेत्रों के मुकाबले सीमित है। राज्य में मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएं लागू की जा रही हैं, जैसे:

मिलेट्स उत्पादकता बढ़ाने की योजनाएं-
कृषि सुधार योजनाएं जिनके तहत किसानों को मिलेट्स की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने मिलेट्स के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम चलाए हैं।

1. NFSM – पोषक अनाज मिशन उन्नत बीज, खेत प्रदर्शन, प्रशिक्षण, सब्सिडी

2. अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 (IYM)- जागरूकता अभियान, फूड फेस्ट, स्कूल भोजन में मिलेट्स

3. PM पोषण योजना- स्कूलों में मिलेट्स युक्त भोजन, बच्चों में पोषण सुधार

4. छत्तीसगढ़ मिलेट्स मिशन (स्थानीय पहल)- कोदो-कुटकी को बढ़ावा, आदिवासी क्षेत्रों में फोकस

5. कृषि यंत्रीकरण योजना (SMAM)- मिलेट्स खेती के लिए मशीनों पर सब्सिडी

6. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)- तकनीकी मार्गदर्शन, डेमो प्लॉट्स, किसान प्रशिक्षण

7. FPO/SHG सहयोग- प्रोसेसिंग यूनिट, मार्केटिंग, नाबार्ड/TRIFED समर्थन

श्रीअन्न के लाभ (Advantages of Millets)
मिलेट्स, जिन्हें श्रीअन्न भी कहा जाता है, के कई लाभ हैं जो इन्हें छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए बेहद उपयुक्त बनाते हैं:

1. पोषण संबंधी लाभ:
मिलेट्स में उच्च प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, और विटामिन B जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद होते हैं। यह विशेष रूप से कुपोषण, रक्तचाप, और मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज में सहायक होते हैं। छत्तीसगढ़ में कुपोषण एक महत्वपूर्ण समस्या है, और मिलेट्स को आहार में शामिल करने से इस पर काबू पाया जा सकता है।

2. जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता:
मिलेट्स की फसलें कम पानी में उग सकती हैं और सूखा सहन कर सकती हैं। छत्तीसगढ़ में कई जिले सूखा प्रभावित हैं, जहां मिलेट्स का उत्पादन किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

3. मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना:
मिलेट्स की खेती से मिट्टी की गुणवत्ता पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता, बल्कि यह मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने में मदद करता है। यह प्राकृतिक रूप से मिट्टी में पोषक तत्वों को बनाए रखता है।

4. स्वास्थ्य के लाभ:
मिलेट्स के नियमित सेवन से वजन नियंत्रित रहता है, पाचन तंत्र सही रहता है, और हृदय स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। यह हड्डियों को मजबूत करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है।

श्रीअन्न (मिलेट्स) का पुनरुद्धार (Revival of Millets in Chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ में मिलेट्स के पुनरुद्धार के लिए विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं।

1. अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023:
भारत सरकार ने 2023 को "अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष" के रूप में घोषित किया है, जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार भी मिलेट्स के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं और जागरूकता अभियानों का आयोजन कर रही है। राज्य सरकार ने किसानों को मिलेट्स की खेती के लिए विशेष अनुदान और प्रशिक्षण प्रदान करना शुरू किया है।

2. कृषि योजनाएँ और प्रोत्साहन:
राज्य सरकार किसानों को मिलेट्स की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है। इसके अलावा, राज्य में मिलेट्स की उपज बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा शोध और विकास कार्य किए जा रहे हैं।

3. जागरूकता अभियान:
मिलेट्स के पोषण संबंधी लाभों के बारे में किसानों और उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए राज्य सरकार ने जागरूकता अभियानों का आयोजन किया है। मिलेट्स के विभिन्न खाद्य उत्पाद जैसे बिस्किट, नूडल्स, और हलवा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

4. नवीन उत्पादों का निर्माण:
मिलेट्स से बनाए गए उत्पादों के बाजार में उतारने के लिए छत्तीसगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे न केवल मिलेट्स का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य भी मिलेगा।

आगे का रास्ता (Way Forward)
मिलेट्स के पुनरुद्धार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

1. कृषि नीति में बदलाव:
छत्तीसगढ़ में मिलेट्स को कृषि नीति में प्राथमिकता देनी चाहिए। सरकार को मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और अन्य सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए।

2. बाजार और विपणन की व्यवस्था:
मिलेट्स के विपणन के लिए एक सशक्त नेटवर्क की आवश्यकता है। किसानों को सही मूल्य प्राप्त करने के लिए मिलेट्स के विपणन चैनल्स को मजबूत करना जरूरी है।

3. नवीन तकनीकों का उपयोग:
मिलेट्स की उपज बढ़ाने के लिए उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। इसके तहत ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग, और उन्नत बीजों का प्रयोग किया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)
छत्तीसगढ़ में श्रीअन्न (मिलेट्स) का पुनरुद्धार राज्य की कृषि और पोषण स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मिलेट्स के उत्पादन और उपभोग को बढ़ाकर, हम जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, और कुपोषण जैसी समस्याओं से निपट सकते हैं। राज्य सरकार की योजनाओं और जागरूकता अभियानों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स के प्रति एक नई दिशा और उन्नति संभव है।