"सघन खेती कर किसान अपने आय बढ़ाने के साथ-साथ मृदा के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे रहे है..."
छत्तीसगढ़ के दुर्ग तथा राजनांदगांव जिले के अंतिम छोर में बसे ग्राम करमतरा की पहचान युवा किसान राकेश साहू की वजह से अब मूंग की खेती से होने लगी है।
पिछले वर्ष मौसम की मार की वजह से जब चने की पूरी फसल चौपट हो गई तब साहू जी अपने 10 एकड़ के खेत में मध्य प्रदेश से मूंग का बीज मंगवा कर मूंग की खेती में अपना किस्मत आजमाया। उन्होंने 10 एकड़ से मात्र 75 दिन की मेहनत पर 55 कुंटल मूंग का उत्पादन किया जिससे उन्हें चार लाख रुपये का लाभ प्राप्त हुआ था।
साहू जी खुद इस वर्ष 22 एकड़ में मूंग की खेती कर रहे है, जिसका अनुसरण कर अन्य किसान भी ग्रीष्मकालीन धान की खेती छोड़ मूंग की खेती में रूचि दिखाएं हैं जिससे इस वर्ष ग्राम करमतरा में ही 110 एकड़ में मूंग की खेती होने जा रही है।
*साहू जी ने मूंग की खेती को धान की खेती से बेहतर होने के बताएं*
1. धान की खेती में लागत ज्यादा होती है जबकि मूंग की खेती में धान की अपेक्षा लागत बहुत कम होती है।
2. धान की खेती में समय ज्यादा लगता है जबकि मूंग की खेती में समय बहुत कम लगते हैं।
3. धान की लगातार खेती करने से जमीन की उपजाऊ क्षमता खत्म होती हैं जबकि मूंग की खेती से जमीन की उपजाऊ क्षमता में बढ़ोतरी होती हैं।
4. एक किलो धान उत्पादन करने में 5000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है जबकि 1 किलो मूंग उत्पादन करने में 800 से 1000 लिटर पानी की आवश्यकता होती है।
मध्य प्रदेश से जो बीज लाए हैं उसकी विशेषताएं
1. सभी फलिया एक साथ पक कर तैयार हो जाती हैं।
2. पिला मोजेक बीमारी के लिए प्रतिरोधी हैं।
3. अत्यधिक धूप होने पर भी फलियो से दाना चटकते नही हैं।
गांव के कुछ अन्य किसान जो इस वर्ष मूंग की खेती कर रहे हैं
तेजेस्वर साहू - 7 एकड़
होमेस्वर वर्मा - 11 एकड़
लाला वर्मा - 9 एकड़
लतमार साहू - 3 एकड़
संतु दास - 3 एकड़
गोवर्धन साहू -4 एकड़
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