जतीन कुमार, प्रक्षेत्र सहायक, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, 
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
हर्षवर्धन ठाकुर, पी.एचडी. रिसर्च स्कॉलर, पादप रोग विज्ञान विभाग,
 इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन के तहत, मिलेट्स की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस मिशन से किसानों की आमदनी बढ़ रही है और राज्य को नई पहचान मिल रही है। छत्तीसगढ़ को देश का मिलेट हब माना जा रहा है। यहां राज्य सरकार द्वारा मिलेट की खेती को प्रोत्साहन देने के फलस्वरूप किसानों का रूझान कोदो, कुटकी और रागी की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत 2025 के लिए छत्तीसगढ़ में मिलेट (कोदो और लिटिल मिलेट) का समर्थन मूल्य ₹30 प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है, रागी (फिंगर मिलेट) का समर्थन मूल्य ₹33.77 प्रति किलोग्राम है। 2025 तक, छत्तीसगढ़ सक्रिय रूप से "छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन" के माध्यम से अपने मिलेट उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने का लक्ष्य बना रहा है, जिसमें भारत को मिलेट उत्पादन के लिए एक अग्रणी केंद्र बनाना है, कई जिलों में कोदो, छोटे बाजरा और फिंगर बाजरा की खेती पर ध्यान केंद्रित करना, खेती के क्षेत्रों का विस्तार करना और पिछले वर्षों की तुलना में प्रति हेक्टेयर उपज में उल्लेखनीय वृद्धि करना है। मिशन का लक्ष्य बाजरा खेती के क्षेत्र को 69,000 हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,88,400 हेक्टेयर करना है तथा उपज को 0.45MT/हेक्टेयर से बढ़ाकर लगभग 1MT/हेक्टेयर करना है।

14 जिलों में मिलेट की होगी हाई-टेक खेती:
राज्य में मिलेट की खेती को प्रोत्साहन, किसानों को प्रशिक्षण, उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता तथा उत्पादकता में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए राज्य में मिलेट मिशन संचालित है। 14 जिलों ने आईआईएमआर हैदराबाद के साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से मिलेट मिशन के अंतर्गत त्रिपक्षीय एमओयू भी हो चुका है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को प्रति एकड़ 4.5 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल यानि दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है।

प्रदेश में मिलेट्स कैफे:
रायगढ़ में खुला है छत्तीसगढ़ का पहला मिलेट्स कैफे, महिला उद्यमिता को मिलेगा बढ़ावा: इस कैफे की शुरूआत जिला प्रशासन की पहल व सहयोग से हुआ है। इसका संचालन विकास संघ महिला समूह द्वारा किया जाएगा। इसमें तकनीकी सहयोग महिला बाल विकास विभाग और ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन द्वारा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में पहली बार महिला स्वरोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए महिला समूहों के लिए मिलेट्स आधारित कैफे की शुरूआत की गई है। इसी कड़ी में रायपुर में पहला मिलेट्स कैफे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में खुला है, जहां पब्लिक डिमांड पर मिलेट्स के प्रोडक्ट्स बनाए और बेचे जा रहे हैं। कैफे में आने वाले लोगों को मिलेट्स का स्वाद भी काफी पसंद आ रहा है।


मिलेट के पौष्टिक महत्व एवं स्वास्थ्य लाभ
मिलेट में सभी आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व पाये जाते हैं। इसके साथ ही इसमें कोलेस्ट्रॉल और सोडियम का स्तर बहुत कम होता है और यह हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। रागी में उपस्थित उच्च पौष्टिक तत्व इसको एक उत्तम आहार बनाते हैं। इसके 100 ग्राम आर्ट में लगभग 321 कैलोरी ऊर्जा के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में विटामिन और खनिज भी पाये जाते हैं।

मधुमेह नियंत्रण: मधुमेह मुख्य रूप में रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि के कारण होता है। कार्बोहाइड्रेट से युक्त आहार रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को काफी बढ़ा सकते हैं। एक शोध के अनुसार, रागों में मौजूद पॉलीफेनोल्स मधुमेह के उपचार के साथ-साथ इससे जुड़ी कुछ जटिलताओं को रोकथाम में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके साथ ही फाइबर से भरपूर आहार लेने से रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में भी मदद मिलती है, जिससे मधुमेह को रोका जा सकता है।

वजन नियंत्रण: रागी एक ऐसा अनाज है. जो पचने धीमा होता है। इसमें भारी मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिससे लंबे समय तक भूख नहीं लगती है। अतः रागी का आटा वजन कम करने के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके साथ ही रागी में मौजूद पोषक तत्व वजन घटाने एवं नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं।

कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रण: रागी में थाइमिन, नियासिन और फोलिक एसिड, अतिरिक्त चर्बी को नष्ट करके शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा रागी में मौजूद फाइबर को उच्च मात्रा कोलेस्ट्रॉल से संबंधित जटिलताओं को नियंत्रित करने में सहायता करती है।

प्रतिरोधक क्षमता व शक्तिवर्धन: प्रोटीन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण के लिए आवश्यक प्रमुख पोषक तत्वों में से एक है। रागी, प्रोटीन का एक विशिष्ट स्रोत है। यह न केवल शारीरिक विकास में मदद करता है, बल्कि प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में भी सहायक है।

जागरूकता हेतु प्रयास:
वर्ष 2023 की शुरुआत से ही विश्वभर में 'अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023' बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। भारत में भी पौष्टिक अनाजों के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं किसानों को समृद्ध करने के लिये कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यक्रमों एवं पहलों की एक श्रृंखला का आयोजन किया गया। इसके तहत कई कार्यक्रम शुरू किये गए जैसे इंडिया वेल्थ, मिलेट्स फॉर हेल्थ, मिलेर स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज, माइटी मिलेट्स क्विज और स्लोगन प्रतियोगिता आदि। भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा भी पौष्टिक अनाजों को उन्नत किस्मों को विकसित करने की दिशा में वैज्ञानिकों द्वारा पिछले कई वर्षों से अनुसंधान कार्य किये जा रहे हैं। इनके गुणों के बारे में आम जनता में जागरूकता बढ़ने से जहां एक और लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जानकारी बढ़ेगी वहीं उनकी मांग बढ़ने से उत्पादन क्षेत्रों का विस्तार होगा। इस प्रकार किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। रागी की पौष्टिकता की वजह से इसका उपयोग मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी इलाकों में भी बढ़ा है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों द्वारा सफेद रंग के दाने वाली किस्म वी. एल.महुआ-382 का विकास किया गया है। इससे कृषकों के फसल उत्पादन के साथ-साथ आप में भी वृद्धि की संभावना है। इसकी अन्य उन्नत किस्में हैं ए-404. जी.पी.यू. 45. चिलिका (आं.ई.बी.-10). शुभ्रा (ओ.यू.ए.टी.-2), भैरवी (जी.एम. 9-1), वी.एल.-149, एच. आर-3741 भविष्य में जैव-पौष्टिक किस्में विकसित हो जाने पर उच्च पोषण प्राप्त करने हेतु किसी भी प्रकार के अतिरिक्त व्यय को आवश्यकता नहीं होगी। देश में पौष्टिक अनाजों के 18 बीज उत्पादन केंद्र व 22 बीज हब स्थापित किए गये हैं।