नीलम सिन्हा (पीएचडी शोधार्थी) कृषि अर्थशास्त्र विभाग, 
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

भारत की अर्थव्यवस्था: एक संक्षिप्त परिचय
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसमें कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। लगभग 55% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, और यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 18% का योगदान देता है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन, उत्पादन लागत में वृद्धि और वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं के कारण यह क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में, सरकार द्वारा प्रस्तुत वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है।

1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत इस बजट में कृषि क्षेत्र को 1.75 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15% अधिक है। कृषि अर्थशास्त्र की दृष्टि से यह बजट आत्मनिर्भरता, नवाचार और दीर्घकालिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।

नई योजनाएं और उनके प्रभाव-

1. प्रधानमंत्री धन धान्य योजना
इस नई योजना का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण, उन्नत बीज और डिजिटल कृषि प्रथाओं का लाभ पहुंचाना है। इसके तहत किसानों को रियायती दरों पर उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग करने की सुविधा दी जाएगी, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।

2. डिजिटल कृषि अवसंरचना
सरकार ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के तहत 400 जिलों में खरीफ फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है। यह डेटा-आधारित नीतियों को सक्षम बनाएगा, जिससे किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य मिल सकेगा। इसके अलावा, डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी करने की प्रक्रिया को भी तेज किया जाएगा।

3. दालों और तिलहनों में आत्मनिर्भरता
भारत में खाद्य तेलों और दालों के आयात को कम करने के लिए सरकार ने इनकी घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है। मूंगफली, सोयाबीन, सरसों और सूरजमुखी की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 6,437.50 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इससे किसानों को अधिक लाभ होगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।

4. सब्जी उत्पादन क्लस्टर
महत्वपूर्ण उपभोक्ता केंद्रों के पास बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। यह न केवल आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा, बल्कि बाजार में मूल्य स्थिरता लाने में भी सहायक होगा। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलियों की भूमिका कम होगी।

5. नमो ड्रोन दीदी योजना
महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए, 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ड्रोन प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे किसानों को किराये पर ड्रोन सेवाएं दे सकेंगी। यह योजना कृषि में तकनीकी उन्नति लाने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य करेगी।

6. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके तहत जैविक खेती, जैव-उर्वरकों और प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा और किसानों की लागत भी कम होगी।

7. झींगा उत्पादन और निर्यात
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए झींगा ब्रूडस्टॉक के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे। यह पहल विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों के किसानों के लिए फायदेमंद होगी और भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात को भी मजबूती देगी।

बजट का दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव
कृषि अर्थशास्त्रियों के अनुसार, यह बजट कृषि क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को गति देगा। दालों और तिलहनों में आत्मनिर्भरता से आयात पर निर्भरता कम होगी और व्यापार संतुलन में सुधार आएगा। डिजिटल कृषि अवसंरचना से नीतिगत निर्णय अधिक डेटा-संचालित होंगे, जिससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन और विपणन की कार्यक्षमता बढ़ेगी।

नवाचार और तकनीक-आधारित नीतियों के माध्यम से किसानों को अधिक अवसर मिलेंगे, जिससे उनकी उत्पादकता और आय दोनों में वृद्धि होगी। सरकार की इन पहलों से कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण होगा और भारत आत्मनिर्भर कृषि अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होगा।

निष्कर्ष
कृषि अर्थशास्त्र की दृष्टि से वित्त वर्ष 2025-26 का कृषि बजट संतुलित और दूरदर्शी प्रतीत होता है। यह न केवल किसानों की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाएगा, बल्कि कृषि क्षेत्र में नवाचार, निवेश और निर्यात संभावनाओं को भी सुदृढ़ करेगा।