मुकेश कुमार पटेल, शोधार्थी कीट विज्ञान,
पल्लवी राय, कृषि विस्तार विभाग,
(इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय रायपुर) (छ.ग.)

बैक्टीरियल विल्ट मिट्टी जनित जीवाणु (राल्स्टोनि आसोलेने सीरम) के कारण होता है। टमाटर के अलावा यह आलू, बैंगन और शिमला मिर्च में भी हमला करता है। कुल्लू घाटी में इस बीमारी का प्रकोप कम है। अगर यह रोगज़नक़ एक बार मिट्टी में स्थापित हो जाता है तो यह नौ साल तक उस खेत में रह सकता है।

पहचान
रोग के कारण कुछ ही दिनों में पौधे का पूरा भीतरी तंत्र कमजोर पड़ जाता है और बाद में अचानक ही पत्ते गिरना शुरू हो जाते हैं। ग्रसित पौधे के पत्ते बिना पीले हुए हरे ही रहते हैं।

रोग का समय

रोपाई और अंतर– कृषि क्रियाओं (निराई-गुडाई और मिट्टी चढाना) के बाद यह रोग फैलता है। मिट्टीजनित रोग होने के कारण यह जुलाई के दौरान गर्म मौसम में तेजी से फैलता है।

बीमारी का प्रबंधन
  • खेत में विल्ट के लिए अति संवेदनशील फसलों आलू, बैंगन और शिमला मिर्च या अन्य इसी प्रकार की कोई फसल पहले न लगी हो। खरीफ में धान और मक्का के साथ नियमित फसल बदलने से रोग के रोगाणु खेत में नहीं फैलते हैं।
  • नीम की खली और कार्बनिक पदार्थ का मिट्टी में प्रयोग करने से विरोधी बैक्टीरिया की आबादी बढ़ जाती है और इस बीमारी से बचा जा सकता है।
  • मुख्य क्षेत्र में रोपण के लिए अत्यंत सावधानीपूर्वक केवल स्वस्थ अंकुरण वाली पौध का चयन करके रोपाई की जानी चाहिए। पौध में रोपाई से एक सप्ताह पूर्व सीमित सिंचाई करनी चाहिए और उसे बाहर के मौसम के अनुसार ढलने के बाद ही रोपाई की जानी चाहिए।
  • उचित जल निकासी के साथ उठी हुई मेंडों पर रोपण करें। रोपाई के बाद 25 दिनों से पूर्व ही मिट्टी चढाने का कार्य पूराकर लेना चाहिए क्योंकि उसके बाद ज़मीन खोदने से पौधों की जडों को नुकसान होने का खतरा हो जाता है और अगर मौसम अनुकूल हुआ तो विल्ट के फैलने में सुगमता होती है। जब मौसम साफ रहे तभी यह कार्य दोहराना चाहिए।
  • पहले ग्रसित पौधों को खेत से निकालकर स्वस्थ पौधों से अलग कर लेना चाहिए। बाद में नीम के काढ़े से खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से गीलाकर देना चाहिए।
  • मिट्टी की उर्वरता को बचाए रखने और मिट्टी जनित रोगों के रोगाणुओं को कम करने के लिए प्रत्येक साल रबी मौसम में मटर या गोभीवर्गीय फसल आधारित फसल चक्र अपनाना चाहिए।
  • उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर, सब्जी उत्पादक महत्वपूर्ण चरणों में रोग निवारक प्रबंधन के उपाय कर सकते हैं। यह लागत और कीटनाशक स्प्रे की संख्या कम करने और पैदावार बढ़ाने में मदद करता है।