मधुकुमारी (कीट विज्ञान), 
डॉ. सुबुही निषाद, कार्यक्रम अधिकारी (राष्ट्रीय सेवा योजना महिला इकाई)
शांता साहू (पादप रोग विज्ञान)
कृषि महाविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर,(छत्तीसगढ़)

परिचय
आमतौर पर किसान जैसे ही फसल में कोई भी कीट देखता है वो तुरंत उसे खत्म करने के लिए तरह-तरह के कीटनाशकों का छिड़काव करना शुरू कर देता है। बिना ये जाने कि फसल में जो कीट हैं वो शत्रु कीट हैं या मित्र कीट। इसलिए किसानों को ये जानकारी होना बहुत जरूरी है कि कौन से कीट हैं जो उनके मित्र हैं और कौन उनके शत्रु। सबसे पहले आपको मैं ये बतादूं कि शत्रु कीट वे कीट होते हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं और मित्र कीट वे कीट होते हैं जो हमारी फसल को न सिर्फ शत्रु कीटों से फसल को बचाते हैं, बल्कि फसल के उत्पादन बढ़ाने में भी मदद करते हैं। ऐसे बहुत से कीट होते हैं जो किसान के मित्र होते हैं। मैं आपको उन्हीं के बारे में बताने जा रही हूं, ताकि आप उन्हें आसानी से पहचान सकें।

जैविक कारकों द्वारा नाशीकीटों को नियंत्रित करने की प्रक्रिया को जैविक कीट नियंत्रण कहते हैं। इनमें मित्र कीटों में पर भक्षी, परजीवी, कीट, रोगकारी, सूक्ष्म जीव, कीट पर पोषी तथा सूत्रकृमि प्रमुख है। उदाहरण-परभक्षी कीट आकार में अपने पर पोषी से बड़ा होता है। परभक्षी कीटों में लेडी बर्ड बीटल (कॉकीनेला प्रजाति), प्रेयिंग, मेंटिस, रेडयुविडमत्कुड महत्वपूर्ण तथा कैंथो कोनिड प्रजाति प्रमुख है। यह अपने जीवन काल में कई परपोषी कीटों को अपना शिकार बनाते हैं।

उद्देश्य
इस प्रकार एक कीट से दूसरे कीट को बिना रासायनिक दवाई छिड़कने, जैविक कीट नियंत्रण के तहत किया जा रहा है। इस प्रयोगशाला का प्रमुख उद्देश्य किसानों को इन मित्र कीटों से अवगत कराना एवं इनके लाभ बताना तथा प्रशिक्षण एवं भ्रमण के माध्यम से इनकी जानकारी दी जाती है। साथ ही साथ छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले बीटल बायो एजेंट की लोकल स्पीशीज को बढ़ावा देना है।

मित्र कीट का विवरण
1. ब्रैकान (ततैया)- ब्रैकान एक परभक्षी कीट है, जो विभिन्न प्रकार के कीड़ों को नष्ट करता है।

2. एपेन्टेलिस- एपेन्टेलिस एक परभक्षी कीट है, जो विभिन्न प्रकार के सूड़ियों पर अपने अण्डे देकर नष्ट करता है।

3. जिओ कारिस- जिओ कारिस एक परभक्षी कीट है, जो रसचूसक कीटों को नष्ट करता है।

4. ओरियस- ओरियस एक परभक्षी कीट है, जो रसचूसक कीटों को नष्ट करता है।

5. कॉक्सीनेला (इन्द्रगोप भृंगा)- कॉक्सीनेला एक परभक्षी कीट है, जो रस चूसक कीटों को नष्ट करता है।

6. सिरफिड मक्खी- सिरफिड मक्खी यह एक प्रकार की मक्खी है, जो रस चूसक कीट जैसे माहू आदि को खाकर नष्ट करती है।

7. चीटि़यां- चीटियों की कई प्रजातियां शत्रु कीटों को पकड़कर नष्ट करती हैं।

8. मकड़ियां- मकड़ियां मकड़ी की कई प्रजातियां खेती में पायी जाती हैं, जो विभिन्न प्रकार के हानिकारक कीटों को परभक्षी के रूप में पकड़कर नष्ट करती हैं।

प्रक्षेत्र में ट्राइकोग्रामा का कार्य
ट्राइकोग्रामा स्पीशीज
ट्राईकोग्रामा स्पीशीज बहुत छोटे आकार का एक मित्र कीट है, जिन्हें खेतो में आसानी से देख पाना कठिन है लेकिन प्रयोगशालाओं में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है। इसके वंश को बढ़ाने का काम प्रयोगशाला में किया जाता है तथा बाद में इन्हें खेतो में छोड़ दिया जाता है। यह एक प्रकार का अंड-परजीवी मित्र कीट है, जो शत्रु कीट के अण्डों में अपना अंडा डालकर उन्हें अंडावस्था में ही नष्ट कर देते है और शत्रु कीट के अंडे से इनका (मित्र कीट ट्राइकोग्रामा) का वयस्क बाहर आता है, जो दोबारा शत्रु कीट में अपना अंडा देता है। इनका जीवन चक्र बहुत छोटा होता है तथा एक फसल अवधि में इसकी अनेक पीढ़ियां आ जाती हैं। इस प्रकार इनकी संख्या शत्रु कीट की तुलना में अनेक गुणा बढ़ जाती है तथा शत्रु कीट के अण्डों को नष्ट करता रहता है।

ट्राइकोग्रामा (ट्राइकोकार्ड)
यह ट्राइकोग्रामा जाति की छोटी ततैया जो अंड परजीवी है, जो कि लैपीडोप्टेरा परिवार के लगभग 200 प्रकार के नुकसानदेह कीड़ों के अंडों को खाकर जीवित रहता है। इस ततैया की लम्बाई 0.4 से 0.7 मिमी. होती है तथा इसका जीवन चक्र निम्न प्रकार है-

अंडा देने की अवधि

16-24

घण्टे लार्वा अवधि

2-3 दिन

प्यूपा पूर्व अवधि

2 दिन

प्यूपा अवधि

2-3 दिन

कुल अवधि

8-10 दिन

(गर्मी) कुल अवधि

9-12 दिन (जाड़ा)


मादा ट्राइकोग्रामा अपने अंडे हानि पहुंचाने वाले कीड़ों के अंडों के बीच देती है तथा वहीं पर इनकी वृद्धि होती है एवं ट्राइकोग्रामा का जीवन चक्र पूरा होता है। ततैया अंडो में छेंदकर बाहर निकलता है। ट्राइकोग्रामा की पूर्तिकार्ड के रूप में होती है, जिसमें एक कार्ड पर लगभग 20000 अंडे होते हैं। धान, मक्का, गन्ना, सूरजमुखी, कपास, दलहन, फलों एवं सब्जियों के नुकसानदायक तनाछेदक, फलवेधक, पत्तील पेटक प्रकार के कीड़ो का जैविक विधि से नाश करने हेतु ट्राइकोग्रामा का प्रयोग किया जाता है। इससे 80 से 90 प्रतिशत क्षति को रोका जा सकता है। ट्राइको कार्ड को विभिन्न फसलों में 10 से 15 दिन के अंतराल पर 3 से 4 बार लगाया जाता है। खेतों में जैसे ही हानिकारक कीड़ों के अंडे दिखाई दें, तुरन्त ही कार्ड को छोट-छोटे समान टुकड़ों में कैंची से काटकर खेत के विभिन्न भागों में पत्तियों की निचली सतह पर या तने पत्तियों के जोड़ पर धागे से बांध दे। सामान्य फसलों में 5 किन्तु बड़ी फसलों जैसे गन्ना में 10 कार्ड प्रति हेक्टेयर का प्रयोग किया जाय। इसे सांयकाल खेत में लगाया जाय किन्तु इसके उपयोग के पहले उपयोग के पहले, उपयोग के दौरान व उपयोग के बाद खेत में रासायनिक कीटनाशक का छिड़कावा न किया जाय। ट्राइको कार्ड को खेत में प्रयोग करने से पूर्व तक 5 से 10 डिग्री से तापक्रम पर बर्फ के डिब्बे या रेफ्रिजरेटर में रखना चाहिए।

प्रक्षेत्र में ट्राइको कार्ड उपयोग-
जैव-नियंत्रण एजेंटों के गुण और दोष

गुण
  • लागत-प्रभावी।
  • रसायनों और अन्य कीट नाशकों के उपयोग को कम करता है।
  • वे पर्यावरण के अनुकूल हैं और उनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • सभी मौसमों में प्रभावी, उपयोग में आसान और आसानी से उपलब्ध।

दोष
  • यह उत्पाद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
  • कीट पूरी तरह से समाप्त नहीं होता।
  • लघु-स्तरीय अनुप्रयोगों के लिए बहुत प्रभावी नहीं है।