सुजीत सुमेर, पी.एचडी. स्काॅलर
कृषि मौसम विज्ञान विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)
  • इस माह खरीफ फसलों की तैयारी हेतु खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें एवं पाॅलीथीन से ढ़ंक दें जिससे मृदा जनित खरपतवार, बीमारी एवं कीड़ों के अण्डे नष्ट हो जाएं।
  • खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई हेतु मिट्टी पलट हल का प्रयोग गहरी जुताई हेतु करें।
  • खरीफ फसल की बोनी के पूर्व खेतों में लगने वाले कृषि यंत्र एवं उपकरणों की व्यवस्था कर आवश्यक मरम्मत कर लेवें।
  • किसान भाईयों को सलाह दी जाती हैं कि खरीफ में जिन फसलों की बुवाई करना हो उनकी उन्नतशील जातियों के प्रमाणित बीज की व्यवस्था जरूर कर लेवें।
  • अनाजों को धूप में अच्छी तरह से सुखाकर भंडारण करें।
  • फसलों में दीमक तथा अन्य भूमिगत कीटों से नियंत्रण हेतु क्लोरपायरीफास 1.5 चूर्ण को 20-25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलायें तथा गुड़ाई करें अथवा क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।
  • गेहूँ के बीजों को सूर्य ताप द्वारा उपचारित कर भण्डारण करें। इस हेतु बीजों में 10 प्रतिशत तक नमी पर्याप्त होती हैं।
  • पानी की सुविधा उपलब्ध हो तो हरी खाद हेतु सन् व ढ़ेंचे को लगावें।
  • सिंचाई एवं निकास नालियों की मरम्मत करें।
  • गर्मी की फसल एवं साग सब्जी की फसलों की सतत् निगरानी रखें एवं आवश्यकतानुसार उपयुक्त सिंचाई करें।
  • ग्रीष्मकालीन मूंग अभी पकने की अवस्था में हैं जिसे फसल के पकते ही काटने की सलाह दी जाती हैं जिससे दानों को झड़ने से बचाया जा सके।
  • गर्मी में पकने वाले फल जैसे- आम, फालसा, बेर, कैथा एवं खिरनी इत्यादि की तुड़ाई करें।
  • वर्षा ऋतु हेतु क्यारियों का रेखांकन करें।
  • वर्षा ऋतु में पौध रोपण हेतु गड्ढ़े तैयार करें।
  • वर्षाकालीन सब्जियों की बुवाई हेतु तैयारी करें।
  • गन्ना में मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें।
  • हल्दी, घुइयाँ, अदरक हेतु खेत की तैयारी करें एवं बुवाई करें।
  • खड़ी फसल में पौध संरक्षण के उपाय करें।
  • बेल, कैथा, खिरनी, अनन्नास, शहतूत, तरबूज एवं कच्चे आम का स्क्वैश तैयार करें।
  • कैथा, बेल, अनन्नास, बेर का मुरब्बा, चटनी, अचार एवं सब्जियों को सुखाने का कार्य करें।
  • नींबूवर्गीय पौधों में सफेद मक्खी तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के नियंत्रण हेतु डाइमिथोएट 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
  • आम, नींबूवर्गीय एवं अन्य फसलों में सिंचाई प्रबंधन करें। नये फल उद्यान हेतु तैयारी करें, फलदार वृक्षों हेतु निर्धारित दूरी पर गड्ढ़े खोदकर छोड़ देवें।
  • टमाटर, बैगन, मिर्च, भिंडी एवं अन्य सब्जी वाली फसल में निंदाई गुड़ाई करें एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई कर नत्रजन उर्वरक की मात्रा देवें। वातावरण में तापमान को देखते हुए सिंचाई की दर बढ़ा देवें।
  • कोमल पौधों की लू से रक्षा के उपाय करें।
  • मौसमी पुष्पों के बीजों की बुवाई करें।
  • गेंदा में शीर्ष पिंचिंग (अग्र शिरा कटाई) करें।