मनीष कुमार एवं पुष्पराज दीवान, वरिष्ठ शोध अध्येता
हर्षा वाकुडकर, वैज्ञानिक
संदीप गांगिल, प्रधान वैज्ञानिक
 परमानंद साहू, शोध सहयोगी
कृषि ऊर्जा एवं शक्ति प्रभाग
भा.कृ.अ.प.-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नबीबाग, भोपाल, (म.प्र.)

परिचय
सामान्य तौर पर, धान की कटाई की पारंपरिक विधि में लगभग 150-200 मानव-घंटे प्रति हेक्टेयर लगते हैं जो कृषकों के लिए किफायती नहीं है (लोहान एवं साथी., 2018)। इसलिए, ज्यादातर किसान धान की फसल काटने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करते है। कंबाइन हार्वेस्टर धान की कटाई के समय लगभग 20-30 सेमी (लगभग 9 टन प्रति हेक्टेयर) तक फसल अवशेष छोड़ देता है (दत्ता एवं साथी., 2022)। धान की कटाई के बाद उसी खेत में गेहूं की अगली फसल बोने के लिए 10-15 दिनों में भारी मात्रा में धान के फसल अवशेष का प्रबंधन करना होता है। इस कारण से किसान फसल अवशेषों को जलाना पसंद करते हैं, इससे न केवल फसल अवशेष का नुकसान होता है अपितु पर्यावरण भी प्रदूषित होता है (परिहार एवं साथी.,2018)। औसतन, धान के भूसे में 0.7 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.23 प्रतिशत फास्फोरस और 1.75 प्रतिशत पोटाश होता है (गोस्वामी एवं साथी., 2020)। पराली जलाने से इन पोषक तत्वों की हानि के साथ-साथ हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। धान के एक टन फसल अवशेष को जलाने से 1,515 कि.ग्रा. कार्बन-डाईआक्साइड, 92 कि.ग्रा. कार्बन-मोनोआक्साइड, 3.83 कि.ग्रा. तीक्ष्णजन-ऑक्साइड, 0.4 कि.ग्रा. सल्फर-डाइऑक्साइड, 2.7 कि.ग्रा. मीथेन, और 15.7 कि.ग्रा. गैर-मीथेन वाष्पशील कार्बनिक यौगिक का उत्सर्जन होता है (सिंह एवं साथी., 2017)। इस प्रकार फसल अवशेष प्रबंधन से मूल्यवान संसाधनों एवं मृदा स्वास्थ्य का ह्रास होता हैं। फसल अवशेष जलाने से जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए विभिन्न फसल अवशेष प्रबंधन विधियाँ विकसित की गई हैं। सुपर सीडर एक उपयोगी मशीन है जिसका उपयोग खड़ी ठूंठ वाली फसल अवशेष में बीज बोने के लिए किया जाता है। सुपर सीडर फसल अवशेषों को जलाने से रोकने एवं वर्तमान कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक प्रभावशाली विकल्प है।

सुपर सीडर
सुपर सीडर का उपयोग धान की फसल काटने के बाद खड़े फसल अवशेष वाले खेत में गेहूं बोने के लिए किया जाता है। फसल अवशेष को प्रबंधन करने, खेत की जुताई करने और बुआई के लिए अलग से किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। भूसे प्रबंधन सहित ये सभी कार्य एक ही समय में इस मशीन के उपयोग से किया जा सकता है। सुपर सीडर रोटावेटर और जीरो टिल ड्रिल के एक साथ संयोजन से बना है जिससे धान के फसल अवशेष के प्रबंधन और गेहूं की बुआई एक साथ किया जा सकता है। अधिकांश किसान गेहूं की बुआई के समय धान की फसल के अवशेषों को जला देते हैं, जिससे मिट्टी के पोषक तत्व एवं उर्वरता कम हो जाती है और हानिकारक गैसें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। सुपर सीडर पर्यावरण के अनुकूल उपकरण है, यह मिट्टी की नमी को भी संरक्षित करता है।

सुपर सीडर के प्रमुख घटक
1. बीज एवं उर्वरक बॉक्स 2. रोटर एक्सल 3. रोटर ब्लेड 4. बीज एवं उर्वरक मीटरिंग प्रणाली 5. यूनिवर्सल शाफ्ट 6. ग्राउंड व्हील 7. फरो ओपनर 8. प्रेस व्हील

सुपर सीडर की कार्यप्रणाली
सुपर सीडर को चलाने के लिए कम से कम 45-60 एचपी के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। यह थ्री-प्वाइंट लिंकेज सिस्टम की मदद से ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है। यूनिवर्सल शाफ्ट का उपयोग ट्रैक्टर के पीटीओ शाफ्ट और सुपर सीडर के पीटीओ को जोड़ने के लिए किया जाता है जो रोटावेटर को ड्राइव देता है। बीज एवं उर्वरक मीटरिंग प्रणाली की मदद से बुवाई हेतु बीज एवं उर्वरक की मात्रा का निर्धारण किया जाता है। ग्राउंड व्हील बीज और उर्वरक शाफ्ट को घुमाता है, जिससे बीज एवं उर्वरक की निर्धारित मात्रा बुवाई के समय फरो ओपनर की मदद से मिट्टी को काटकर गिराता है फिर प्रेस व्हील की सहायता से बीज एवं उर्वरक को मिट्टी के अंदर दबा दिया जाता है।

सुपर सीडर के लाभ
  • सुपर सीडर फसल अवशेषों को काटकर मिट्टी में मिला देते हैं, जो जैविक खाद बन जाता है।
  • सुपर सीडर किसानों को धान की कटाई के बाद बिना फसल अवशेषों को जलाए सीधे गेहूं की बुवाई करता है।
  • बेहतर अंकुरण के लिए सुपर सीडर्स उचित गहराई और दूरी पर बीज की बुवाई करता हैं।
  • सुपर सीडर एक बार में खेत तैयार कर सकते हैं, जिससे प्रति हेक्टयर गेंहू के उत्पादन की लागत में कम होती है।
  • सुपर सीडर में एक मीटरिंग प्रणाली होती है जो कम बीज बर्बादी के साथ बीज की बुवाई करता है।
  • सुपर सीडर फसल की उपज और गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है।

निष्कर्ष
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना संसाधनों का उपयोग करना कृषि क्षेत्र को टिकाऊ बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्रक्रिया में सुपर सीडर का उपयोग एक बड़ी समस्या का समाधान करता है जिससे किसानों को कई लाभ मिलते हैं। इससे फसल अवशेष जलाने से होने वाली समस्या का निदान हो जाता है, जिससे किसान के लिए पराली प्रबंधन आसान और सुविधाजनक हो जाता है। सुपर सीडर समय एवं ऊर्जा की बचत के साथ कम लागत में मिट्टी के पोषक तत्वों का ह्रास किये बिना धान के अवशेषों का प्रबंधन कर गेहूं की बुआई के लिए एक सक्षम उपकरण है।

संदर्भ

1. लोहान, एस.के., जाट, एच.एस., यादव, ए.के., सिद्धू, एच.एस., जाट, एम.एल., चौधरी, एम., और शर्मा, पी.सी. (2018)। भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों में धान अवशेष प्रबंधन के ज्वलंत मुद्दे। नवीकरणीय और सतत ऊर्जा समीक्षा, 81, 693-706।

2. दत्ता, ए., पात्रा, ए., हाजरा, के.के., नाथ, सी.पी., कुमार, एन., और रक्षित, ए. (2022)। भारत में फसल अवशेष जलाने की अत्याधुनिक समीक्षारू पिछला ज्ञान, वर्तमान परिस्थितियाँ और भविष्य की रणनीतियाँ। पर्यावरणीय चुनौतियाँ, 100581।

3. परिहार, डी.एस., नारंग, एम.के., डोगरा, बी., प्रकाश, ए., और महादिक, ए.एस. (2023)। उत्तरी भारत में चावल के अवशेष जलाना। पर्यावरणीय चिंताओं और संभावित समाधानों का आकलन-एक समीक्षा। पर्यावरण अनुसंधान संचार।

4. गोस्वामी, एस.बी., मंडल, आर., और मंडी, एस.के. (2020)। चावल-चावल प्रणाली में फसल अवशेष प्रबंधन विकल्परू एक समीक्षा। कृषि विज्ञान और मृदा विज्ञान के पुरालेख, 66(9), 1218-1234।

5. सिंह, पी., गौतम, बी.एस., और यादव, आर.के. (2017)। संयुक्त कटाई में गेहूं की फसल बोने के लिए हैप्पी सीडर का प्रदर्शन मूल्यांकन। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, 10(2), 643-646।