प्रीति टोप्पो, फल विज्ञान,
नेहा गावड़े, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन, 
इं.गां.कृ.वि.वि.रायपुर (छ.ग.)

नत्रजन एक प्रमुख पोषण तत्व है जो पौधे द्वारा अवशोशित समस्त पोषक तत्वों का 50 प्रतिशत से अधिक होता है, पृथ्वी के वायुमंडल में 78 प्रतिशत नत्रजन (वायुमंडल में 35000 मी. टन नत्रजन प्रति एकड़, वायुमंडल) अतः वायुमंडल नत्रजन का एक सघन स्त्रोत है। लेकिन फसल इस नत्रजन का सीधा उपयोग नही कर पाती। इसके लिए वायु मंडलीय नत्रजन को यूरिया संयंत्र द्वारा रासायनिक रूप में परिवर्तित कर पौधे के लिए उपयोग में लाया जाता है अथवा बैक्टीरिया द्वारा भूमि में स्थापित कर पौधे को प्राप्त होता है। तरल राइजोबियम, जैव.उर्वरक, मृदा से अलग किये गये प्राकृतिक बैक्टीरिया होते है, जो चना, मटर, बरसीम, मूंग, उड़द, अरहर तथा ढेंचा हरी खाद हेतु उपयोगी की जड़ों में गांठ बनाकर अपनी संख्या में वृद्धि कर नत्रजन स्थिरीकरण करते है। 500 मि.ली. तरल जैव.उर्वरक एक बोरी यूरिया के बराबर नत्रजन भूमि में स्थापित करता है। इसकी क्रियाशीलता कम्पोस्ट के उपयोग से बढ़ जाती है जिससे और अधिक मात्रा में नत्रजन की उपलब्धता होती है। नेशनल प्रोजेक्ट आन डेवलपमेंट द्वारा किये गये परिक्षणों तथा प्रदर्शन से ज्ञात हुआ है कि जैव.उर्वरक के प्रयोग 11 प्रतिशत अधिक उत्पादन होता है।

एफ. सी. ओ. मानक:
  • आधार : तरल आधार
  • बैक्टीरिया संख्या : 1×10 बैक्टीरिया मि.ली.
  • पी.एच. : 6.5.7.5
  • संदूषण स्तर (मिलावट) : 105 तनुकरण (डाइल्यूसन) तक कोई संदूषण नहीं
तरल जैव-उर्वरक के लाभ:-
तरल जैव-उर्वरक के अनेक लाभ है जैसे:
  • सेल्फलाईफ- एक वर्ष (ठोस, जैव-उर्वरक की तुलना में दुगुनी) तापमान के प्रति सहनशीलता 45 डिग्री से. (ठोस जैव-उर्वरक की तुलना में 15 डिग्री से. अधिक)
  • ड्रिप सिंचाई सामान्य सिंचाई दोनो में उपयोगी।
  • प्रति मि.ली. बैक्टीरिया संख्या- 10 करोड़ /मि.ली. (ठोस जैव-उर्वरक की तुलना में दुगुनी)
  • बीज, मृदा दोनों में समान रूप से उपयोगी।
  • सुरक्षित हथलन परिवाहन व भंडारण में सुरक्षित।
  • भुमि, जल, वायु हेतु प्रदुषण मुक्त लागत मुल्य में कमी तथा आमदनी में बढोत्तरी ।
  • युरिया की मांग में कमी लाता है जिससे प्राकृतिक गैस की बचत होती है।
  • युरिया के आयत में कमी, जिससे बहुमुल्य विदेशी मुद्रा की बचत होती है।
समस्त तरल राइजोबियम जैव-उर्वरक फसल विशेष के लिये अलग-अलग होते है, इसलिये दलहनी फसल अनुसार तरल राइजोबियम जैव-उर्वरक का उपयोग अनुशंशित किया जाता है। तरल राइजोबियम जैव-उर्वरक की मात्रा एवं उपयोग का तरीका मात्रा -500 मि.ली. तरल राइजोबियम जैव.उर्वरक प्रति एकड़।

(अ) उचित उपचार विधि:

बीज उपचार (बुआई के समय)
1. बीज की मात्रानुसार तरल जैव.उर्वरक का 1 से 2 लीटर पानी में घोल बनायें।

2. इस जैव.उर्वरक के घोल को 15-20 मिनट तक बीज में मिलायें। जिससे बीज की सतह पर जैव-उर्वरक की एक परत चढ़ जायें।

3. इस उपचारित बीज को छाया में 1/2 घंटा सुखायें।

4. उपचारित बीज की तुरंत बोनी करें।

(ख) अन्य उपचार विधियाँ:

बुआई से पूर्व (भूमि उपचार):
तरल राइजोबियम जैव-उर्वरक को 50-100 किलो कम्पोस्ट में अच्छी तरह मिलाकर पौध रोपण के पूर्व खेत में समान रूप से बिखेरना चाहिये। शाम के समय या बदली के समय जैव-उर्वरक को फेलाना उत्तम होता है।

फसल बोनी के पश्चात (खड़ी फसल में)
यदि तरल जैव-उर्वरक का उपयोग बोनी के समय नही हो पाया हो तो खड़ी फसल में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

1. सामान्य सिंचाई की अवस्था में जिस स्थान से खेत में पानी का बहाव होता है उसी स्थान पर तरल जैव-उर्वरक का घोल एक उचित पात्र में रखकर धीरे-धीरे पानी में मिलाने की व्यवस्था की जानी चाहिये।

2. ड्रिप सिंचाई के माध्यम से भी जैव-उर्वरक की उचित मात्रा पानी के टैंक में मिलाकर टपक सिंचाई द्वारा डालें।

सावधानियाँः-
  • जैव-उर्वरक को धूप एवं गर्मी से दूर रखना चाहिये।
  • तरल जैव-उर्वरक को फसलों पर छिड़काव न करें, क्योंकि यह धूप व गर्मी के प्रति संवेदनशील है।
  • तरल जैव-उर्वरक को ठण्डे स्थान में रखें ताकि जीवाणु अधिक समय तक जीवित रहें।
  • तरल जैव-उर्वरक को बच्चों एवं पालतू जानवर से दूर रखें।
  • जैव-उर्वरक के उपयोग के पश्चात साबुन से हाथ धोना आवश्यक है।
  • जैव-उर्वरक को अन्य रासायन/उर्वरक/कीटनाशक/खरपतवारनाशक आदि दवाओं के साथ न मिलाएं। ऐसा करने से जीवाणु मर सकते हैं तथा वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते ।