डॉ. विवके कुमार सिंघल, डॉ. साक्षी बजाज, डॉ. आदित्य सिरमौर और डॉ. अनुराग
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)


परिचय
वेस्ट डीकंपोजर का आविष्कार राष्ट्रीय जैविक केन्द्र द्वारा वर्ष 2015 में किया गया।यह गाय के गोबर से प्राप्त एक सूक्ष्म जीवो का संगठन होता है, जो कार्बनिक पदार्थो में अपघटन की प्रक्रिया को तेज कर देता है। वेस्ट डीकंपोजर को जिस भी जैविक कार्बनिक अवशेष में डाला जाता है वहां ये श्रृंखला तैयार कर कुछ ही दिनों में सड़ाकर खाद बना देते है।इस प्रकार से ये भूमि में जैविक कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होते है।ये मृदा की उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ मृदा में मौजूद हानिकारक बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं की संख्या को भी नियंत्रित करते है और भूमि को स्वस्थ बनाने में मदद करते है।यह फसल अवशेष, गोबर, एवं अन्य जैव कचरे का उपभोग कर तेजी से जनसंख्या में बढ़ोतरी करते है।

वेस्ट डी-कंपोजर बनाने की विधि
  • 2 किलो गुड़ को 200 लीटर पानी वाले प्लास्टिक के ड्रम में मिलाएं।
  • अब एक बोतल वेस्ट डीकंपोजर कोले और उसे गुड़ के गोल वाले प्लास्टिक ड्रम में मिला दें।
  • ड्रम में सही ढ़ंग से वेस्ट डीकंपोजर के वितरण के लिए लकड़ी के एक डंडे से इसे हिलाये और व्यवस्थित ढंग से मिलाएं।
  • इस ड्रम को पेपर या कार्डबोर्ड से ढ़क दें और प्रत्येक दिन एक या दो बार डंडे से मिलाएं।
  • 5 दिनों के बाद ड्रम का घोल क्रीमी हो जाएगा यानि एक बोतल से 200 लीटर वेस्ट डीकंपोजर घोल तैयार हो जाता है।

वेस्ट डी-कंपोजर की विशेषताएं
  • बनाने में और उपयोग करने में आसान होता है।
  • कम लगत में तैयार किया जा सकता है, इसे मात्र प्रति बोतल 20 रुपए में प्राप्त किया जा सकता है।
  • इसका सेल्फ लाइफ अधिक होता है इसे 3 वर्ष तक सरंक्षित किया जा सकता है।
  • सभी प्रकार के फसलों में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • पूर्व कल्चर से इसे बार-बार बनाकर उपयोग किया जा सकता है।

वेस्ट डी-कंपोजर का उपयोग
  • वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग 1000 लीटर प्रति एकड़ की दर से किया जाता है। इसके उपयोग के 21 दिनों के अंदर ही सभी प्रकार की मृदाओ के रासायनिक एवं भौतिक गुणों में सुधार आने लगते हैै तथा 6 माह में ही एक एकड़ भूमि में 4 लाख से अधिक केचुएं मृदा में पैदा हो जाते हैं।
  • वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग से कृषिक चरा, जानवरों कामल, किचन का कचरा तथा शहरों का कचरा जैसे सभी अन्य जैविक सामग्री 40 दिनों के अंदर ही अपघटित होकर जैविक खाद बन जाते है।
  • वेस्ट डीकंपोजर से बीजों का उपचार करने पर बीजों का 98 प्रतिशत मामलों में शीघ्र और एक सामान अंकुरण प्राप्त होता हैं तथा इससे अंकुरण से पहले बीजों को संरक्षण प्रदान होता है।
  • वेस्ट डीकंपोजर का पौधों पर छिड़काव करने से फसलों में सभी प्रकार की बीमारियों पर प्रभावी रूप से रोक लगाता है।
  • वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग करके किसान बिना रसायन उर्वरक व कीटनाशक के खेती कर सकते हैं।
  • वेस्ट डीकंपोजर का प्रयोग करने से कीटनाशी फफूंदनाशी और जीवनाशी रसायनो का 90 प्रतिशत तक उपयोग कम हो जाता है क्योंकि यह जड़ों की बीमारियों और तनों की बीमारियों को नियंत्रित करता है।

वेस्ट डी-कंपोजर के फायदे
  • मिट्टी की उर्वरता क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक है।
  • मृदा के सूक्ष्म जीवो की संख्या में वृद्धि कर फसलों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है।
  • मृदा में उपस्थित जैविक अवशेष को सड़ाकर खाद में रूपांतरित करता है।
  • मृदा को भुरभुरा और मुलायम रखता है।
  • मृदा में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा को बढ़ाता है।
  • मृदा में उपस्थित हानिकरण फंगस को खत्म कर पौधों की बीमारियों से रक्षा करता है।