नेहा गावड़े, मृदा विज्ञान एवं रासायनिक शास्त्र विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

वर्तमान में फसलों में कीड़े एवं रोगो का प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिसके लिये किसान को महंगी रसायनिक़ दवाईयाँ डालनी पड़ रही है, जिससे भूमि के मित्र कीट एवं पक्षी नष्ट होते जा रहे है वहीं उपज से प्राप्त अनाज, सब्जी, दलहन, तिलहन, को मनुष्य एवं पशु के द्वारा उपयोग करने से शरीर पर बीमारी आलस्य आदि के दुष्परिणाम दिखाई दे रहे हैं, अतः कम खर्च एवं घर में उपलब्ध सामग्री से तैयार की गई औषधियों को अपना कर स्वास्थ व हानि रहित फसल भी प्राप्त हो सकता है।

1. गोमुत्र:- गोमुत्र को कांच की बाटल में भरकर रख सकते हैै स्प्रेयर पंप में पानी के साथ मिलाकर 200 कि.ग्रा. गोमुत्र बुवाई के 15 दिन बाद से प्रति 10 दिन में छिडकाव करने से फसलों में कीट एवं रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाती है।

2. नीम:- (अ) नीम की 15.20 कि.ग्रा. पत्तियों को 1 ड्रम पानी में 4 दिनों तक भिगोकर छांव में रखे हरे - पीले पानी में इतना पानी मिलाये कि हरे - पीले पानी में झाग आ जाये। इस मिश्रण को पंप में भरकर छिड़काव करें।

(ब) नीम की 2 कि.ग्रा. निम्बोली को 10 लीटर पानी में ड़ालकर 4 - 6 दिन रखें इसे मसलकर 20 गुना पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।

3. छाछ का प्रयोग:- एक मटकें में छाछ भरकर उसके मुंह को प्लास्टिक से बाँँधकर 1 माह के लिए रख देवें अधिक दिन भी चलेगा, इसके उपरान्त 1 स्प्रेयर पंप में 250 ग्राम की दर से तैयार मिश्रण को डालकर स्प्रे करें इल्ली एवं अन्य कीट रोग की रोकथाम होगी।

4. बेशरम पत्ती:- यह बहुत जहरीली होती है 2कि.ग्रा. बेशरम पत्ती को 5 लीटर पानी में उबालें, मिश्रण आधा रह जाने पर ठंडा कर प्रति पंप 1 गिलास मिश्रण एवं शेष पत्ती डालकर छिड़काव करें।

5. तम्बाकू पत्ती:- आधा किलो तम्बाकू पत्ती या डंठल को पांच लीटर पानी में उबालें । मिश्रण आधा हो जाने पर ठंडा कर प्रति पंप 1 गिलास मिश्रण एवं शेष पानी डालकर छिड़काव करें।

6. मिर्च-लहसुन:- आधा किलो हरी मिर्च एवं आधा किलो लहसुन पीसकर चटनी बनायें इसे पानी में घोलकर छान लेवें इसमें 100 लीटर पानी एवं 100 ग्राम वाश्ंिाग पावडर मिलावें प्रति पंप 1 गिलास मिश्रण एवं शेष पानी मिलाकर छिड़काव करें।

7. हींग का प्रयोग:- खेंतों में दीमक (ऊंघी) की रोकथाम हेतु 200 ग्राम हींग की पोटली बनायें और खेती में पानी के पाईप के पास लकड़ी में बाँधकर पानी में ड़ाल देवें जिससे वह घुलकर जमीन में पहुँचेगी और दीमक को नष्ट कर देगी।

8. लकड़ी की राख:- 10 किलो राख में 100 मि.ग्रा. मिट्टी का तेल मिलाकर भुरकने से माहों पर नियंत्रण होता है।

9. अन्तवर्तीय खेतीः- खेत में एक फसल की कतारों के बीच अन्य फसल की कतारें लगाने से कीट रोग आगे नहीं फैल पाते, जैसे सोयाबीन की 4 कतार के बाद 2 कतार मक्का अथवा ज्वार अथवा अरहर की लगावें।

10. प्रकाश प्रपंच:- रात्रि में खेत में बल्ब जलाकर उस पर तेल वाला कागज या चमकीली पत्रा लगायें, नीचे तगारी में पानी भरें व उसमें थोड़ा मिट्टी का तेल मिलावें जिससे आकर्षित होकर उड़ने वाले कीड़े आते है व टकराकर नीचे के पानी में गिरकर नष्ट हो जाते हैं।

11. लकड़ियां गड़ाना:- खेत में फसल ऊँचाई से थोड़ी ऊँची टी आकार की बबूल की लकड़ी गाड़े जिस पर बैठकर पक्षी कीडों को खा जाते है, एक पक्षी प्रतिदिन अपने वजन के बराबर कीड़े खाता है।

12. एन.पी.व्ही.:- यह घोल इल्लियों से ही बनाया जाता है जिसका छिड़काव करने से इल्लियॉ बीमार हो जाती है, तथा फसलों पर पुनः छिड़काव करते रहते है।

13. टानिक:- बायबंडग पीसकर 1 कि.ग्रा., 10 लीटर गोमुत्र 3 दिन तक भिगायें, मसलकर छान लेवें 1 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़के, उपज में वृद्धि होती है।