डॉ. योगेश कुमार कोसरिया, अतिथि शिक्षक (कृषि अभियांत्रिकी)
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, रायगढ़, (छ. ग.)
निशा वर्मा, पी.एच.डी. (कृषि अभियांत्रिकी), 
ई. गा. कृ. वि., रायपुर, (छ. ग.)

गाय के दूध के अनेकों फायदे हैं साथ ही इसकी मांग भी बहुत है, भारत विश्व का सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश है इसके साथ ही गाय के गौमूत्र और गोबर के भी अनेकोंफायदे होते है। गाय के गोबर में एंटीबैक्टीरियलगुण पाये जाते हैं। जिससे तमाम तरह के हानिकारक बेक्टेरियाएवं कीटाणुखत्म हो जाते हैं। गाय के गोबर में अनेक खनिज तत्व पाए जाते है गाय का गोबर उष्मारोधी होता है। गाय के गोबर से इनकम लेने के लिए भारत सरकार ने इसे टैक्स फ्री कर दिया है गाय से बने उत्पाद को दूसरेदेशों में बेचने के लिए किसी भी तरह के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होती है। गाय से बने उत्पाद का मांग नेपाल, न्यू-गिनिया तथा फिलिपिन्स में बहुत ज्यादा है भारत में भी गोबर से बने उत्पादों की मांग दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। अंत: गाय के गोबर से हम कई प्रकार के लघु औद्योगिक उत्पाद तैयार कर सकते हैं एवं अच्छे लघु व्यापार की शुरुवात कर सकते हैं और एक सफल व्यापारी बन सकते हैं एवं एक अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं आइये जानते हैं कि कैसे गाय के गोबर का उपयोग करके अलग-अलग गोबर से बने उत्पादों का व्यवसाय किया जा सकता है।

वैदिक पेंट- यह नया तकनीक है जिसकी काफी ज्यादा मांग है। गाय के गोबर को ड्रायर में डालकर उसके 40 प्रतिशत नमी को हटाया जाता है फिर पाईप की सहायता से पिगमेंटरंग, गाढा करने का द्रव और बाइंडर मिलकर पेंट तैयार किया जाता है ये पेंटएंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, पर्यावरण हितैषी होने के साथ साथ केमिकल रहित होने की वजह से बहुत पसंद कियां जा रहा है।

गोबर पावडर- गोबर पावडर बनाने के लिए गोबर ड्रायर मशीन का उपयोग किया जाता है इससे गोबर का पावडर और पानी अलग हो जाता है इस पावडर का उपयोग खाद बनाने के लिए, ईट बनाने के लिया, खाद बनाने के लिया, गमले बनाने में, धूपबत्ती बनाने में, मच्छर-अगरबत्ती आदि बनाने के लिए किया जाता है।

गोबर खाद- गोबरडी-वाटरिंगमशीन से सूखा गोबर अलग हो जाता है और जो पानी निकलता है उसमे पौधों के लिए लाभदायक पोषक गुण-मौजूदहोतेंहैं इस पानी को बायो-फ़र्टिलाइज़रके रूप में बेचा जाता है।

गोबर के गमले- गमले बनाने के लिए 80 प्रतिशत गोबर और 20 प्रतिशत काली मिट्टी को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है फिर इस मिश्रण को गमले बनाने के सांचे में डालकर गमला बनाया जाता है गमले को ऑनलाइनतथाऑफलाइनदोनों माध्यमों से बेचा जा सकता है।

गोबर के दिये- गाय के गोबर से बने दिए की मांग बहुत है गाय के गोबर से बना दिया, दिया बनाने वाली मशीन से या फिर दिया बनाने वाले सांचे से बनाया जा सकता है बाज़ार में इसके लिए हस्तचलित तथा बिजली-चालित मशीनेउपलब्ध हैं।दिया बनाने के बाद इसमें पेंट लगाकर सुखा कर बेचा जा सकता है इन दियोंको ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों माध्यमों से बेचा जा सकता है।

गाय के गोबर से बनी धुपबत्तीएवं कागज़- इसका बाज़ार में बहुत मांग है इसे बनाने के लिए कई विधियां है जिसमे से एक है गाय क गोबर को सुखाकर, पीसकर,फिर उसमे चन्दन पाउडर, घी और धूपबत्ती मसाला मिलाकर धुपबत्ती तैयार किया जा सकता है इसकी एक और विधि है, गोबर में अरंडी का तेल, चन्दन पावडर एवं कच्चा कपूरमिलाकर मशीन की सहायता से धुपबत्ती बनाए जाते है भारत एक धार्मिक मान्यताओं वाला देश है इसलिए पूजापाठ, धार्मिक स्थलों एवं अनुष्ठानो में गोबर से बने धुपबत्ती का उपयोग किया जाता है इन धुपबत्ती को भी ऑफलाइन दोनों माध्यमों से बेचा जा सकता है। अगर आपके पास 8 से 10 लाख का बजट है तो सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर कागज बनाने का भी व्यापर शुरू कर सकते हैं सरकार इस व्यापर के लिए वित्तीय सहायता देती है जिसकी जानकारी आपको विभिन्न सरकारी योजनाओं के वेबसाइटो में मिल जाएगी।

खाद बनाना- गोबर का उपयोग जैविक खाद बनाने में भी किया जाता है इस खाद का उपयोग खेतो में, नर्सरी में ,बागवानी में, तथा घरों में लगे पौधों में किया जाता है यह खाद आसानी से बाज़ार में बिक जाती है तथा इससे अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है।

गोबर के कंडे या उपले- छत्तीसगढ़ में गोबर के कंडे को छेना के नाम से जाना जाता है इसका उपयोग हवन, पूजा, यज्ञ, तथा अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में बहुतायत रूप से किया जाता है गोबर के उपले पारंपरिक तरीके से हाथोसे भी बनाए जाते है साथ ही साथ उपले बनाने वाली मशीन का उपयोग कर के अलग अलग आकार तथा आकृति के उपले बनाए जाते है उपले बनाने की मशीन भी बाजार में उपलब्ध है जिसकी सहायता से बहुत ही कम समय में ज्यादा से ज्यादा गोबर के उपले बनाए जा सकते है, गोबर के कंडे की उष्मीय मान 2130 किलोकैलोरी प्रति किलोग्राम होती हैं।

वर्मी-कम्पोस्ट बनाना- गाय के गोबर में केचुए मिलाकर एक विशेष विधि द्वारा वर्मीकम्पोस्ट बनाया जाता है गोबर से बने वर्मीकम्पोस्ट का मांग अभी बहुत ज्यादा है जो कि एक आर्गेनिक खाद है।

वैदिक प्लास्टर- वैदिक प्लास्टर गाय के गोबर से बना एक ऐसा पदार्थ है जो घरो की दीवारों पर और फ़र्स दोनों में उपयोग किया जाता है इसके उपयोग से घरो में गर्मियों में ज्यादा गर्मी नहीं होती और ठंडी के मौसम में ज्यादा ठंड भी नहीं होती वैदिक प्लास्टर की तरह गोबर लेप को प्राचीन कल में गाँव के घरों में उपयोग किया जाता था यह अधिक गर्मी तथा सर्दी दोनों से शरीर को बचाता है साथ ही एंटीबैक्टीरियलगुण होने के कारण घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है।

वैदिक ईट- गाय के गोबर से बनाने वाले ईट को वैदिक ईट भी कहा जाता है ये सामान्य ईट से 10 गुना ज्यादा हलकी होती है यह सामान्य ईट की तरह ही मजबूत होती है ईट बनाने के लिए 90 प्रतिशत गोबर व 10 प्रतिशत चूने का उपयोग किया जाता है इन ईटोंको सांचे की मदद से बनाया जाता है यह सांचे लकड़ी या फिर धातु के भी हो सकते है।

अगरबत्ती- गोबर से बने अगरबत्ती की मांग पूजापाठ, धार्मिक प्रतिष्ठान में बहुत ज्यादा है गाय के गोबर से अगरबत्ती बनाने के लिए गाय के गोबर को सुखाकर उसका पावडर तैयार किया जाता है फिर उसमेघी,कपूर और चन्दन पाउडर मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है इसपेस्ट को अगरबत्तीमेकिंग मशीन में डालकर अगरबत्ती तैयार किया जाता है तैयार अगरबत्ती को बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है गाय के गोबर से बनी आगरबत्ती सामान्य अगरबत्ती की तुलना में महँगी होती है इसलिए इससे उद्यमी बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

कैमिकल रहित वैदिक साबुन- रासायनिक साबुन से होने वाले त्वचा सम्बन्धी रोगों से बचने के लिए गाय के गोबर से बने साबुन की मांग लगातार बाज़ार में बढते जा रही है इसे गाय के गोबर में निश्चित मात्रा में हल्दी, नीम का तेल, नारियल का तेल मिलाकर तैयार क्या जाता है।

सजावटी सामान एवं लकड़ी- गाय के गोबर के सकारात्मक पहलूवो को देखते हुए गाय के गोबर से घरो को सजाने वाले कई तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे है इस तरह के वस्तुओ को विभिन्न साचो की मदद से तैयार किया जाता है फिर इन्हें आकर्षक रंगों में रंग दिया जाता है गोबर से बने उत्पाद बाज़ार में काफी अच्छी कीमतों में बिकती है जिससे किसान या उद्यमी एक अच्छा मुनाफा ले सकते है गाय के गोबर से बनी लकड़ी की मांग वर्तमान में चरम सीमा पर है गाय के गोबर को लकड़ी बनाने की मशीन की सहायता से दबा कर लकड़ी का आकार दिया जाता है फिर इसे 3-4 दिन धूप में सुखाया जाता है इस तरह तैयार लकड़ी वजन में काफी हल्की और काफी मजबूत होती हैं तैयार लकड़ी का उपयोग हवन, यज्ञ, पूजा-स्थलों में किया जाता है इस तरह बनी लकड़ी का उपयोग देंह-संस्कार में बहुतायत रूप से किया जाता है।

गोबर गैस प्लांट- अगर आप पशुपालन करते हैं या गोबर का व्यवसाय करते हैं तो गोबर गैस प्लांट लगाकर बहुत अच्छा इनकम ले सकते हो तैयार गैस को आप स्वयं के घरो में भी उपयोग कर सकते हैं इस तरह की प्लांट को स्थापित करने और तमाम तरह की जानकारी के लिए सरकार सब्सिडी तथा ट्रेनिंग दोनों उपलब्ध कराती है।

मच्छर नष्ट करने की दवाई- मच्छर आजकल बहुत बड़ी समस्या है इसे भगाने के लयेरासायनिक क्वाइल्सका उपयोग किया जाता है जो मानव सेहत के लिए घातक है इसलिए गाय के गोबर से बने क्वाइलकी मांग बहुत बढ़ रही है गाय के गोबर में नीम का पावडर और कपूर मिलाकर क्वाइल तैयार किया जाता है गोबर से क्वाइल बनाने वाली मशीन का उपयोग क्वाइल बनाने के लिए किया जा सकता है।