रूपेश खापर्डे,  (कृषि विस्तार विभाग)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

मुन्गा एक बहुत ही उपयोगी पौधा है जिसके फल, फुल एवं पत्ती सभी का सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों विटामिन ‘ए’ और एस्कार्बिक अम्ल की काफी धनी होती है। पत्तियों को कुटकर पेस्ट बना के घाव में लगाना लाभकारी है। इसके बीज को भूनकर मूंगफली जैसे प्रयोग में लाया जाता है। इसके बीज से तेल निकाला जाता है। जिसको जलाने में प्रयोग किया जाता है। इसके छाल के रेशो का प्रयोग चटाई, पेपर, लुगदी आदि बनाने में किया जाता है। इसके पत्तियों का सेवन कैंसर में लाभकारी पाया जाता है।

जलवायु एवं भूमि:-
मुन्गा उपोष्ण जलवायु का पौधा है। मुन्गा के पौधा के उचित बढ़वार के लिये 18.7 से 28.5 सें. ग्रेड तापमान की आवश्यकता पड़ती है।

मुन्गा को सभी प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता हैं लेकिन इसकी खेती के लिये चिकनी मिट्टी का चयन नहीं करना चाहिये। रेतीली चूना की मात्रा पर्याप्य हा तोे मुन्गा की खेती के लिये उत्तम है।

बुवाई का समय:-
इनकी बुवाई मानसून की प्रथम वर्षा होने पर करना चाहिये। मुन्गा की बुवाई जून से अगस्त माह के मध्य किया जा सकता है।

बुवाई की विधि:-
मुन्गे का प्रवर्धन बीज एवं वानस्पतिक दोनों विधियों के द्वारा किया जाता है। इसके बीज एक सप्ताह के अंदर अंकुरित हो जाते है। यदि बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर कमरे के तापक्रम पर रख दिया जाये तो उसमें अंकुरण शीघ्र होता है। अच्छी तरह से नमी युक्त भूमि में 13 सेमी. की गहराई पर बुवाई करने से बीज का अंकुरण शीघ्र होता है। बुवाई के लिये बराबर ताजे बीजों का प्रयोग करना चाहियें क्योंकि 2 महीने से अधिक समय तक रखे पुराने बीजों का बुवाई के लिये प्रयोग करने पर उनकी अंकुरण क्षमता घट जाती है। नर्सरी में बीज की बुवाई करने के बाद 3 महीने में पौध रोपण के लिये तैयार हो जाते है।

वानस्पतिक प्रवर्धन के लिये मुन्गा के तने के टुकड़ों का उपयोग किया जाता है। इसके लिये 1-3.5 मी. लम्बे और 14-16 सेमी. मोटाई के टुकड़े काटे जाते है। एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच का अंतराल 3-5 मीटर रखा जाता है।

उन्नत किस्मे:-
पी.के.एम-1 चबाक चेरी, मुरिंगाई, चेमुरिंगाई जाफना टाइप, कटुमुरिंगाई, कोडिकल मुरिंगाई याजफनम मुरिंगाई।

खाद एवं उर्वरक:-
पौधे से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग पौधों के लगाने के लिये पहले करना अच्छा होता है। गोबर की खाद 75 किलो गड्ढे तैयार करते समय देना चाहिये। मुन्गे की फसल हेतु उर्वरकों की मात्रा एवं उनके अनुप्रयोग की जानकारी नीचे दी जा रही है।

उर्वरक मात्रा         (किग्रा./हेक्टेयर)
सुपरफॉस्फेट -113
19ः19ः19ः  -32
13ः00ः45  -94
यूरिया  -274

मुन्गा के लिए घुलनशील खाद की मात्रा का निर्धारण
फसल की अवस्था फर्टिगेशन की अवधि उर्वरकग्रेड कितनी बार मात्रा (किग्रा./प्रत्येक बार)
प्रथम अवस्था पौध रोपण के तीन महीने बाद से लेकर 145 दिन तक 19ः19ः19

सुपर फॉस्फेट की संपूर्ण मात्रा 113 किग्रा. को पौध रोपण के तीन महीने बाद आधारीय मात्रा के रूप में देना चाहिए, सुपर फॉस्फेट जल में अघुलनशील होता है।

अंतः कर्षण:-
वर्ष में एक बार पेड़ के चारों ओर हल्की गुड़ाई करना लाभकारी है।

सिंचाई प्रबंधन:-
मुन्गा के पौधे को ज्यादा पानी नहीं चाहिए। पूरी तरह से सूखे मौसम में शुरूआत के पहले दो महीने नियमित पानी चाहिए और उसके बाद तभी पानी डालना चाहिए जब इसे जरूरत हो। मुन्गा पेड़ तभी फूल और फल देता है जब पर्याप्त पानी उपलब्ध होता है। अगर साल भर बरसात होती रहे तो मुन्गा पेड़ भी साल भर उत्पादन कर सकता है। सूखे की स्थिति में फूल खिलने की प्रक्रिया को सिंचाई के माध्यम से तेज किया जा सकता है। इसका पौधा काफी दमदार होता है और सूखे मौसम में प्रत्येक दो सप्ताह में एक बार सिंचाई की जरूरत होती है। वहीं व्यावसायिक खेती में सिंचाई की ड्रिप तकनीक का सहारा लिया जा सकता है जिसके तहत गर्मी के मौसम में प्रति पेड़, प्रतिदिन 12 से 16 लीटर पानी दिया जा सकता और अन्य मौसम में ये मात्रा घटकर सीधे आधी रह जाती है।

फसल की कंटाई-छटाई:-
पेड़ की कटाई-छटाई का काम पौधा रोपन के एक या डेढ़ साल बाद (ठंडे मौसम में) की जा सकती है।दो फीट की ऊंचाई पर प्रत्येक पेड़ में 3 से 4 शाखाएं छाट सकते है।

हानिकारक कीट और रोग:-
मुन्गा पर लगने वाले प्रमुख कीट है फल मक्खी, पत्ती खाने वाला कैटर पिलर एवं माहू। इनके नियंत्रण के लिये डाइक्लोरेफॉस दवा का 4 ग्राम 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करन से सुगमतापूर्वक नियंत्रण हो जाता है। मुन्गे में कोई हानिकारक रोग नहीं लगता है।

तुड़ाई:-
कलम के द्वारा तैयार किया गया पौधा 6 महीने बाद फल देने लगता है। दो साल पुराने पौधे मंे 500-600 फल लगते है। मुन्गे के भण्डारण के लिये कोई भी विधि उपयुक्त नहीं है इसलिये मुन्गा तुड़ाई के 1-2 दिन के अंदर ही इसका उपयोग कर लेना चाहिये।