सृष्टि सिंह परिहार, करुणा साहू, प्रवीण गुप्ता
पीएच.डी. विद्वान, 
सब्जी विज्ञान विभाग, 
कृषि महाविद्यालय,आईजीकेवी, रायपुर (छ.ग.)

फसलें

सूखा सहिष्णु या प्रतिरोधी किस्में

टमाटर

अर्का विकास

थार अनंत

बैंगन

काशी तरु

काशी संदेश

काशी हिमानी

मिर्च

अर्का लोहित

काशी अनमोल

आलू

कुफरी थार-2

सेम

अर्का जय

अर्का विजय

शकरकंद

श्री नंदिनी

लोकी

थार समृद्धि

काशी गंगा

कसावा

श्री हर्षा

श्री प्रकाश

श्री सहया

प्याज़

एग्रीफाउंड डार्क रेड

अर्का कल्याण


टमाटर:- अर्का विकास
यह अमेरिकी किस्म टिप-टॉप का शुद्ध वंशावली चयन है। फल चपटे, मध्यम बड़ा (80-90 ग्रा.), अण्डाकार और हल्के हरे स्कंध वाले, पकने पर गहरे लाल होते हैं। ताज़ा बेचने के लिए प्रजनित। गर्मी और नमी के तनाव के प्रति सहनशील। फसल खरीफ/रबी मौसम में उगाई जाती है और 140 दिनों में पक जाती है। औसत उपज 35-40 टन/हेक्टेयर है।

बैंगन:- काशी तरु
इस किस्म के पौधे लम्बे और सीधे होते हैं, ऊँचाई 120-130 सेमी, पत्तियाँ और तना गहरा हरा होता है; रोपाई के 45-50 दिन बाद पहला फूल आना शुरू हो जाता है। फल लंबे, बैंगनी, लंबाई 31 सें.मी. और व्यास 5 सें.मी. होते हैं। फल में बीज की कम होता है। इसलिए उपभोक्ता इसे अधिक पसंद करते हैं। तुड़ाई रोपाई के 75-80 दिन बाद शुरू होती है और 700-750 क्विंटल/हे. की उपज देती है।

मिर्च:- काशी अनमोल
इस किस्म के पौधे सिमित बढवार वाले 40 से 50 से.मी. और छातानुमा होते हैंl फल ठोस सीधे एवं 6 से 7 से.मी. लंबे होते हैंl छिलका मोटा और रंग गाढ़ा हरा होता है। सामान्य मिर्च से इसमें तीखापन ज्यादा होता है। रोपाई के 75 से 80 दिन बाद तोड़ाई की जा सकती है। फलों की औसत उपज 200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती हैl

आलू:- कुफरी थार-2
यह उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त सूखा सहिष्णु टेबल आलू किस्म है। इसमें कम पानी (<20%) की उपलब्धता के तहत 30 टन/हेक्टेयर तक और सामान्य सिंचाई व्यवस्था के तहत 35 टन/हेक्टेयर तक उत्पादन करने की क्षमता है।

सेम:- अर्का विजय
माता-पिता हेब्बल अवारे x IIHR 93 को शामिल करते हुए बैक क्रॉस और वंशावली चयन के माध्यम से विकसित किया गया। पौधे बौने, झाड़ीदार, सीधे और प्रकाश के प्रति असंवेदनशील होते हैं। फलियाँ छोटी, गहरी हरी हैं। बीज मोटे हैं। फलियाँ विशेष खुशबूवाली और बिना चर्मपत्र की होती हैं। कम नमी दाब के प्रति सहनशील। फली की उपज : 90 दिनों में 12 टन/हे.।

शकरकंद:- श्री नंदिनी
यह शकरकंद की जल्दी पकने वाली (100-105 दिन) किस्म है। यह धान की परती फसल के लिए उपयुक्त है और सूखा सहिष्णु है। हल्की क्रीम त्वचा, सफेद मांस और अच्छी खाना पकाने की गुणवत्ता के साथ फैलने वाली किस्म है।100-105 दिनों में 20-25 टन/हेक्टेयर तक उत्पादन करने की क्षमता है।

लोकी:- काशी गंगा
लौकी की इस किस्म को अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है | यह लगभग 400 से 450 क्विंटल के आसपास प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है | इसमें हरे तथा सामान्य आकार के फल होते है, यह लम्बाई में एक से डेढ़ फीट तक लम्बे होते है | लौकी की यह किस्म बीज रोपाई के 50 से 55 दिन बाद फल देना आरम्भ कर देते हैl

कसावा:- श्री प्रकाश
टैपिओका की एक उच्च उपज वाली किस्म है जिसमें छोटे (1-1.5 मी) और गैर-शाख वाले पौधे हैं। यह कसावा के स्वदेशी जर्मप्लाज्म संग्रह से चयनित किस्म है। निचली भूमि की खेती के लिए उपयुक्त। परिपक्वता अवधि 7 महीने है और औसत उपज 30-35 टन/हेक्टेयर है। ताजे कंदों में स्टार्च की मात्रा 29-31% होती है।

प्याज़:- अर्का कल्याण
यह गहरे लाल रंग का बाहरी शल्क और मांसल रसीला आंतरिक शल्क। औसत बल्ब वजन 130-180 ग्राम के होते हैं। टीएसएस 11-13% के साथ तीखा। अल्टरमेरिया पोरी के कारण होने वाले बैंगनी धब्बे के लिए मध्यम प्रतिरोधीl बीज की उपज 8 क्विंटल/हेक्टेयर है। खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त किस्म है। कंद की उपज : 140 दिनों में 47 टन/हे.।