सुजीत सुमेर, पी.एचडी. स्काॅलर
कृषि मौसम विज्ञान विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

कृषि कार्ययोजना

  • गेहूँ फसल में कन्से तथा गाँठ बनने की अवस्था में सिंचाई करें।

  • गेहूँ में गेरूआ रोग दिखने पर जिनेब (3 ग्राम) या ट्राइएडीमीफाॅन 50 मि.ग्रा./10 ली. पानी का छिड़काव करें।

  • यह माह ग्रीष्मकालीन मूंग बोने के लिए अनुकूल हैं, जहां चना की कटाई हो गई हो वहां सीमित सिंचाई उपलब्ध होने की स्थिति में मूंग की बोनी की जावे।

  • ग्रीष्मकालीन तिल एवं मूंग की बुवाई करें। मूंग में पीला मोजेक निरोधक जातियाँ जैसे हम-1 का उपयोग करें।

  • ग्रीष्मकालीन धान का रोपा नहीं लगाया हो तो तुरंत लगाएं।

  • ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई के पूर्व दीमक तथा अन्य जड़ के हानिकारक कीटों से बचाव हेतु मिट्टी का उपचार क्लोरपायरीफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण से 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से करें।

  • चने में दाने फरने की अवस्था में सिंचाई करें।

  • दलहनी फसलों में पीला मोजेक रोग दिखाई देने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें तथा मेटासिस्टाक्स या रोगोर कीटनाशक दवा का 1 मिली/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • सरसों में माहू (एफिड) का प्रकोप बढ़ने की संभावना हैं। अगर माहू बढ़ता हैं, तो उसके रोकथाम के लिए डाइमिथोएट 30 ई.सी. 1000 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कने की सलाह दी जाती हैं।

  • सरसों में चूर्णी फफूंदी या भभूतिया रोग आने पर डिनोकेप (1 मि.ली.)/कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • आम फसल में मिली बग से बचाव हेतु पेड़ में जमीन से ऊपर लगभग एक फिट में ग्रीस बैंड लगाएं तथा पेड़ों के नीचे जमीन की जुताई कर क्लोरोपायरीफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण का भुरकाव करें।

  • आम में फुदका कीट का प्रकोप होने पर मिथाइल डिमेटान 25 मि.ली. अथवा डायमिथोएट 30 ई.सी., 2 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। शाम के समय आम के बगीचे में जगह-जगह सूखा कचरा इकट्ठा कर जलाकर उसमें गंधक चूर्ण डालकर धूम्रण करें।

  • आलू में पछेती अंगमारी रोग आने पर मेटालेक्जिल (1.5 ग्राम) दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार 8-10 दिन में दोबारा छिड़काव करें।

  • प्याज के बैगनी धब्बा (परपल ब्लाच) रोग की रोकथाम के लिये मेन्कोजेब/ताम्रयुक्त दवा (3 ग्राम)/थायोफिनेट मिथाइल या कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम)/साफ सुपर (2 ग्राम) में से किसी एक दवा ा छिड़काव करें।

  • गन्ने की बुवाई के पूर्व लगाने वाले टुकड़ों को दीमक से बचाव हेतु क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. दवा के घोल से उपचारित कर लें।

  • मटर में गेरूआ रोग की रोकथाम हेतु ट्राइडेमाॅर्फ (1 मि.ली./ली.) का छिड़काव करना चाहिए।

  • टमाटर, फूलगोभी, गाजर, मटर आदि आसानी से सस्ते मूल्यों में उपलब्ध हो जाते हैं। अतः इनका संरक्षण कर टमाटर साॅस, अचार, टमाटर प्यूरी बनायें। फूलगोभी, गाजर, मटर का मिश्रित अचार बनायें, जिसका उपयोग वर्ष भर किया जा सकता हैं।

  • कद्दूवर्गीय सब्जियों जैसे- लौकी, करेला इत्यादि के अलावा बरबट्टी, भिंडी एवं अन्य ग्रीष्मकालीन सब्जियों के अच्छे अंकुरण के लिए तापमान अनुकूल हैं। अच्छी तरह भुरभुरी खेत तैयार कर इन फसलों की बुवाई करें।

  • अदरक, हल्दी एवं कंदवर्गीय फसलों की खुदाई करें। 

  • वर्तमान मौसम ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बोवाई के लिए उपयुक्त हैं। अतः किसान भाईयों को सलाह हैं कि कद्दूवर्गीय सब्जियों की पाॅलीथीन बैग में नर्सरी तैयार करें, पत्तेदार सब्जियों की बोवाई करें तथा ग्रीष्मकालीन सब्जियों के लिए खेतों की तैयारी करें।

  • गर्मी की सब्जियों का पौध रोपण करें।

पशुपालन कार्ययोजना

  • क्षय रोग (एंथ्रेक्स) संक्रमण वाले इलाकों में पालतू पशुओं को एंथे्रक्स का टीका लगवायें।

  • अगर्भित भैंसों के गर्भाधान पर विशेष ध्यान देवें।

  • पशुओं के शरीर पर बाह्य परजीवियों (जूँ, किलनी, पिस्सू आदि) का प्रकोप होने पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव (स्प्रेइंग एवं डस्टिंग) करें। भेड़-बकरियों एवं आवश्यक होने पर अंडा देने वाली मुर्गियों की डिपिंग (कीटनाशक दवा के घोल में डुबाना, जैसे साइपरमेथ्रिन 0.1 से 0.2 प्रतिशत या मेलाथियान 0.5 प्रतिशत) की व्यवस्था करें।

  • हरा चारा सुखाकर ही तैयार करें।