वैसे दुनिया का 95% केसर ईरान में होता है। शेष हिस्सा भारत, स्पेन, इटली, ग्रीस, मोरक्को और अजरबैजान में पैदा होता है। केसर की पैदावार आसान नहीं है। कारण यह कि कैंसर के 1 लाख फूलों से महज 1 किलो केसर निकलता है।
यह सोने जितना महंगा है और तस्करी के लिए उतना ही आकर्षक, दुनियाभर के अमीर और कुलीन लोग हजारों साल से इसे पसंद करते आ रहे हैं। दुनिया का सबसे ताकतवर और अमीर देशों में शुमार अमेरिका को भी यह इतना पसंद है वह दुश्मन देश ईरान से भी चोरी छिपे इसे मंगाता है। हजारों साल पहले इजिप्ट की रानी क्लियोपेट्रा इससे स्नान करती थी तो सिकंदर ने भी जंग के घावों को भरने में इसका प्रयोग किया। इसकी महक भारतीय बिरयानी से लेकर इटैलियन डिश रिसोटो में भी मिलेगी। स्किन को चमक से लेकर सेक्स लाइफ बढ़ाने तक में इसका इस्तेमाल होता है। यह एक चीज कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ती है। यह है दुनिया का सबसे महंगा मसाला केसर। केसर के उगने से मार्केट में बिकने आने तक इस प्रोसेस काफी मुश्किल होती है। बाजार में बिकने वाली डिब्बियों तक आने तक इस केसर के पीछे काफी मेहनत की जाती है। ऐसे में जानते हैं इसकी खेती कैसे होती है, जिस वजह से ये काफी महंगा होता है। 

केसर के बीज में कोई पेड़ आदि नहीं निकलते हैं। इसमें बस एक फूल पत्तियां सी निकलती हैं और सीधे पूल निकलता है। दिखने में लहसून और प्याज जैसा पौधा निकालता है। इसमें एक फूल लगता है और एक फूल के अंदर पत्तियों के बीच में 6 और पत्तियां निकलती हैं, जो फूल के पुंकेसर की तरह होती है, जैसे गुलाब के फूल में छोटी-छोटी पत्तियां होती हैं।
यह पौधा दो-तीन इंच ऊपर आता है. इसमें दो-तीन पत्तियां तो केसर होती हैं, जो लाल रंग की होती है। वहीं, तीन पत्तियां पीली रंग की होती है, जो काम की नहीं होती है।

पैदावार होती है काफी कम-केसर के भाव सुनने में काफी ज्यादा लगते हैं, लेकिन जब इसकी खेती होती है तो काफी लंबी दूरी में खेती करने के बाद भी काफी कम मात्रा की पैदावार हो पाती है।

माना जाता है कि अगर 5-साढ़े 5 हजार स्कवायर फीट में खेती होती है तो सिर्फ 50 ग्राम केसर ही मिल पाता है। वहीं, एक किलो केसर पाने के लिए काफी लंबी जमीन में खेती करनी पड़ती है।

ऐसे में हर फूल से सिर्फ केसर की पत्तियां एक तरह करनी होती है। कहा जाता है कि जब करीब 160 केसर की पत्तियां निकाली जाती है तो उससे सिर्फ एक ग्राम केसर बन पाता है।

यानी एक ग्राम केसर के लिए कई फूलों से केसर को अलग करना होता है, जो काफी मेहनत का काम है। वैसे ये मेहनत से निकलने वाला एक ग्राम केसर 100 लीटर दूध में काफी होती है।

इसकी खेती अगस्त में होती है और फूल आने की प्रक्रिया अक्टूबर-नवंबर में ही होती है। यह फूल की प्रक्रिया एक महीने की ही होती है। माना जाता है कि यह 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच होती है। वहीं, इसकी सिंचाई नैचुलर ही होती है और इससे फूल निकालने में काफी मेहनत लगती है और लेबर का खर्चा काफी ज्यादा होती है। कश्मीर के एक हिस्से में ही इसकी ज्यादा खेती होती है, क्योंकि यहां लाल रंग की खास मिट्टी होती है, जिसमें केसर की खेती होती है।

3 से 5 लाख रुपये प्रति किलो है कीमत-भारत में केसर सिर्फ कश्मीर में पैदा होता है। इसका इस्तेमाल खान-पान, सौंदर्य प्रसाधनों, मंदिरों में किया है। केसर की अच्छी फसल के लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण की जरूरत होती है। ईरानी केसर दुनिया में सबसे अच्छा समझा जाता है और इसकी कीमत भी कश्मीरी केसर से 50% कम है। ईरान से ज्यादातर केसर दुबई पहुंचता है और वहां से कनाडा, अमेरिका और चोरी छिपे भारत भेजा जाता चूंकि यह मेटल डिटेक्टर में पकड़ में नहीं आता इसलिए, तीन से पांच लाख रुपये/किलो से भी ज्यादा है।

15 साल तक चलता है बीज-वैसे केसर के बीज की बुवाई 15 साल में एक ही बार करनी होती है और हर साल इसमें फूल आ जाते हैं। 15 साल बार फिर से बीज को निकालने होते हैं और उसके बाद हर बीज में कई बीज और भी बन जाते हैं।

साभार- CNBC TV18