यदि कोई पैसा कामना चाहता है, तो उसे बस सही दिशा में पूरी ईमानदारी से मेहनत करने की जरुरत है। किसी ने ठीक ही कहा है की कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अच्छे से किये गए हर काम में तरक्की और कमाई है। आज हम एक ऐसे शख्स की बात कर रहे है, जिसने अपने मन की सुखी। लाखों की नौकरी छोड़कर उनका मन जिस काम को करने में लगा, वह उस काम को करने लगे और सफल हो गए।
यह शख्स है उत्तर प्रदेश के इटावा (Etawah) के रहने वाले रवि पाल (Ravi Pal)। आज क्षेत्र में इनकी सफलता की मिसाल दी जा रही है। इन्होने अच्छी पढाई की। स्कूल के अच्छे नंबर से पास होने के बाद कॉलेज से होते हुए एमबीए (MBA) की पढ़ाई भी पूरी की। होसियार होने के साथ साथ वे काबिल भी थे, तो एलएनटी और कोटेक महिंद्रा जैसी कंपनी में नौकरी लग गई।

इनकी जिंदगी अच्छी चल रही थी। हाँथ में अच्छी खासी जॉब थी। लेकिन, रवि का दिल कुछ और करने का हो रहा था। वह हमेशा बेहतर करने की प्लानिंग करते थे। एक दिन उन्होंने फैसला लेते हुए अपनी नौकरी छोड़ दी, ताकि अपने दिल की कर सकें।अच्छी कंपनी की कॉर्पोरेट जगत जॉब (Company Job) को छोड़ने का फैसला आसान नहीं था। उन्होंने अपने परिवार वालों, दोस्त और कुछ लोगो से गहन चर्चा की, परन्तु कोई भी उनकी बात से राज़ी होने को तैयार नहीं था। लेकिन, रवि के मन में जो पक रहा था, वे उस पर भरोसा कर रहे थे। फिर उन्होंने सबको अनसुना किया और नौकरी छोड़कर खेती करने चल दिए।
रवि ने साल 2011 में MBA किया था। पढ़ाई के बाद LNT में उनकी जॉब लग गई। फिर वह आगे बढ़ने के लिए कोटेक महिंद्रा जॉब स्विच कर गए। लेकिन, वह अपने काम से खुश नहीं रहते थे। उन्हें आभास हुआ की 10 से 7 की नौकरी में वह संतुष्ट नहीं रह सकते हैं। वे इससे और अच्छा करना चाह रहे थे। बस यही से उनका बिजनेस और खेती (Farming and Business) का सफर शुरू हुआ।

ऐसे में वह नौकरी छोड़कर गांव चले गए। गांव में एक बार फिर उन पर काम का बवाब था। वही दिक्कत थी, जो आप लोगो के साथ आज भी होती है। आस पड़ोसी और रिस्तेदार पूछते कि क्यों नौकरी छोड़ी, क्या करना है, कैसे करना है, अब आगे क्या करोगे बेटा, कई प्रकार की बातें, जो हर नौजवान आजकल झेल रिया है। लेकिन, रवि ने कुछ और ठान रखा था। उसी के लिए वह नौकरी छोड़कर गांव वापस आ गए थे। उन्हें तो अपने मन की करनी थी।रवि ने एक हिंदी अख़बार को बताया की, गांव में नीलगाय की बहुत परेशानी थी। ये गाय किसानों के फसल को बर्बाद कर देती थीं। ऐसे में किसान परेशान थे। उनकी फसल बर्बाद हो जाय करती थी। रवि ने फसलों के बारे में सोचना शुरू किया। उन्होंने ऐसी खेती के बारे में सोचा, जिसे नीलगाय खराब न कर पाए। बहुत रिसर्च की।फिर रवि ने दो बीघा खेत में गेंदे का पौधा (Marigold plant) लगा दिया। उनकी यही तरकीब सफल रही। दो महीने में ही फ़सल तैयार हो गई। ये उनका पहला जुगाड़ का काम था। एक बीघा गेंदा (Marigold) लगाने में नर्सरी से लेकर खाद तक में टोटल 3000 रुपये का खर्च आता है। लेकिन, यही फसल पकने के बाद 30 से 40 हजार रुपये बना देती है। सीजन के समय कमाई और अधिक हो जाती है। सीजन का मतलब दीपावली, नई ईयर क्रिसमस और शादियों के सीजन से है।

रवि को अब फायदा होने लगा। वे अपने खेतों में उगाये गए फूल (Gende ke phool) दूसरे जिले में भी बेचते हैं। आगरा, कानपुर और दिल्ली की मंडियों में उनके खेतों के फूल जाते हैं। इतना ही नहीं वह अपने जिले के दूसरे किसानों को भी इस खेती (Gende ke phool ki kheti) के बारे में सिखा रहे हैं। आस पास के 5 गांव के 12 किसान उनसे इस तरह की खेती (Flower farming business) सीख कर गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं।

स्रोत ENN