डॉ. गीतेश मिश्र एवं डॉ. अनूप कुमार सिंह, सहायक प्राध्यापक
पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग
अंतर्राष्ट्रीय पशु चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, रोहतक, हरियाणा
डॉ. प्रिंस चौहान, पशुपोषण विभाग
अंतर्राष्ट्रीय पशु चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, रोहतक, हरियाणा
डॉ. धर्म प्रकाश श्रीवास्तव, पशुपालन वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज गाजीपुर (उ.प्र.)

भारत की अर्थव्यवस्था मे पशुपालन की सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पशुपालन व्यवसाय लघु और सीमान्त किसानों, ग्रामीण महिलाओं और भूमिहीन कृषि श्रमिको को रोजगार के पर्याप्त व सुनिश्चित अवसर देकर ग्रामीण अर्थव्यस्था को ठोस आधार प्रदान करता है। प्रायः मानसून के अलावा पशुओं का फसल अवशेषों एवं भूसे आदि पर पालना पड़ता है। जिससे पशुओं की बढ़ोतरी, उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
इस समस्या से उभरने के लिये पशुपालको को अजोला फर्न की खेती आवश्यक रूप से करनी चाहिए।

अजोला क्या है
अजोला जल सतह पर मुक्त रूप से तैरने वाली जलीय फर्न है। आज़ोला का आकार समान्यता 2-2.5 सेमी तक होता है।यह पानी पर तैरता हुआ अपने आपबढ़ता रहता है एवं इसकी शाखाएं टूटकर नया पौधा बनाती रहती है।यह वायुमंडल के नाइट्रोजन का स्थारीकरण करता है।

अजोला के गुण

1. अजोला पशु चारे के रूप में एक सस्ता एवं सरल विकल्प है।

2. इसे पशुओ के लिये वर्ष भर हरे चारे के रूप में उपयोग कर सकते है।

3. अजोला पोषक तत्वों की दृष्टि से काफी सुदृढ़ होता है।

4. यह जल में तीव्र गति से बढ़वार करती है।

5. यह प्रोटीन, आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन (विटामिन ए, बी-12 तथा वीटा केरोटीन) विकास वर्धक सहायक तत्वों एवं केल्शियम, फास्फॉरस, पोटेशियम, फेरस, कॉपर, मैग्नीशियम से भरपूर है।

6. इसमें उत्तम गुणवता युक्त प्रोटीन एवं उपर्युक्त तत्वों के कारण पशु इसे आसानी से पचा लेते है।

7. इसकी उत्पादन लागत काफी कम होती है।

8. यह औसतन 15 कि.ग्रा वर्ग मीटर की दर से प्रति सप्ताह उपज देती है।

9. सामान्य अवस्था में यह फर्न तीन दिन में दुगुनी हो जाती है।

10. यह पशुओं के लिये आदर्श आहार के साथ-साथ भूमि उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये हरी खाद के रूप में भी उपर्युक्त है।

11. विभिन्न दलहनी चारा फसलों जैसे- रिजका, बरसीम की अपेक्षा अधिक प्रोटीन प्राप्त होती है।

  • बड़े जानवर (गाय, भैंस) 1-1.5 किलोग्राम/प्रतिदिन
  • छोटे जानवर (बकरी, भैंड़) 150-200 ग्राम/प्रतिदिन

अजोला में पाये जाने वाले पोषक तत्व

क्र.सं.

तत्व

मात्रा (प्रतिशत में)

1.

प्रोटीन

24.30

2.

फाइबर

12.7

3.

राख

16.2

4.

हेमी सेलूलोस

10.2

5.

सेलूलोस

12.74

6.

लिग्निन

28.24

7.

कैल्शियम

1.16

8.

फास्फॉरस

1.29

9.

पोटाश

1.25


अजोला उत्पादन की तकनीके

1. अजोला उत्पादन बगीचो या 50 प्रतिशत एग्रोशेड नेट हाऊस में कर सकते है।

2. किसी छायादार स्थान पर 6 फीट चौड़ा * 12 फीट लम्बा * 2 फीट गहरा क्यारी खोदे।

3. पानी के रिसाव को रोकने के लिये पॉलीथीन शीट बिछाई जाती है।

4. पॉलीथीन शीट पर 2 ईन्च मिट्टी 8-10 किलोग्राम गाय गोबर, 60-80 किलोग्राम साफ उपजाऊ मिट्टी की 2.3 ईन्च मोटी परत बना देवें।

5. क्यारी में 400-500 लीटर पानी भरे जिसमें क्यारी में पानी की गहरायी 8-10 सेन्टीमीटर तक हो जावे।

6. अब उपजाऊ मिट्टी व गोबर खाद को जल में अच्छी तरह मिश्रित कर देवें।

7. इस मिश्रण पर दो किलो ताजा अजोला बीज डालते है।

8. क्यारी को अब 50 प्रतिशत नायलॉन जाली से ढ़क कर 15-20 दिन तक अजोला को वृद्धि करने दे।

9. 15-20 दिन में पूरी क्यारीभर जाती है 20 दिन बाद इस क्यारी से 1.5 - 2 किलो ग्राम अजोला का प्रतिदिन उत्पादन होता है।

10. प्रतिदिन 1.5 से 2 किलोग्राम अजोला की उपज प्राप्त करने के लिये 20 ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा 5-8 किलोग्राम गोबर घोल बनाकर प्रतिदिन क्यारी में मिलावें।

11. अजोला को छलनी या बाँस की टोकरी से पानी के ऊपर से ले लेते है इसके बाद इसको साफ पानी से धो लेते है बाद में वांटे में मिलाकर पशुओं को खिलाते है।

रख रखाव

1. क्यारी को छायादार स्थान पर बनाना चाहिये।

2. क्यारी में जल स्तर को 8. 10 से.मी तक बनाये रखें।

3. प्रतिदिन 1.5 - 2 किलोग्राम अजोला की उपज प्राप्त करने के लिये 20 ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा 5 - 8 किलोग्राम गोबर का घोल बनाकर प्रतिमाह क्यारी में मिलावें।

4. प्रत्येक 3 माह पश्चात् अजोला को हटाकर पानी व मिट्टी बदलें तथा क्यारी के रूप में दुबारा पुनःसवर्धन करें।

5. अजोला की अच्छी बढ़वार के लिये 20-35 सेन्टीग्रेड तापक्रम उपर्युक्त रहता है व मिट्टी व जल का पीएच मान 5.7 अच्छी बढ़वार हेतु उपर्युक्त रहता है।

6. शीत ऋतु में तापक्रम कम होने की अवस्था पर अजोला क्यारी को प्लास्टिक मल्च अथवा पुरानी बोरी के टाट से ढ़क देवें।


किस्म
अजोला पिनाटा, अजोला माईक्रो फाईला,अजोला कैरोलीनियानाआदि

उपज
200-250 ग्राम/वर्गफीट

अजोला खिलाने के लाभ

1. अजोला सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार है।

2. पशुओं को प्रतिदिन आहर के साथ 1.5 से 2 किलोग्राम अजोला खिलाने से 15-20 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी संभव हैं

3. अजोला खिलाने वाले पशुओं में वसा व वसा रहित पदार्थ समान्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध से अधिक पाई जाती है।

4. अजोला खाने वाले पशु सामान्य आहार खाने वाले पशुओं की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ रहते है।

5. अजोला पशुओं के वांझपन निवारण में उपयोगी है।

6. 1.0 किलोग्राम अजोला की गुणवता 1.0 किलो खल के बराबर है।

7. मुर्गीयो को 30-50 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से उनके शारीरिक भार व अण्डा उत्पादन क्षमता में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

8. भैंड़ एवं बकरियों को 150-200 ग्राम ताजा अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि एवं दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।

9. पशु के पेशाब में खून की समस्या फास्फॉरस की कमी से होती है ऐसे पशुओं को अजोला खिलाने से यह कमी दूर हो सकती है

10. अजोला क्यारी से हटाये पानी को सब्जियों एवं पुष्प खेती में कम उपयोग करने से यह एक वृद्धि क्रियात्मक का कार्य करता है जिससे सब्जियों एवं फूलों के उत्पादन में वृद्धि होती है।

11. अजोला एक उत्तम जैविक एवं हरी खाद के रूप में कार्य करता है।

12. तीन महीनेवार अजोला क्योरी की 2.0 किलोग्राम मिट्टी में 1.0 किलोग्राम एनपीके उर्वरक व बराबर पोषक तत्व रहते है।

13. जानवर जो 3.4 लीटर/प्रतिदिन दूध देते है उनको अजोला खिलाने से प्रोटीन की पूर्ति पूरी हो जाती हैं। उन्हें अलग से दाना देने की जरूरत नहीं होती है।

14. प्रतिकिलोग्राम अजोला उत्पादन का खर्च 1.5-2.5 रुपया प्रति किलो आता है।