डॉ. धर्मप्रकाश श्रीवास्तव, एस.एम.एस. (पशु-चिकित्सा विज्ञान)
केवीके, पीजी कालेज, गाजीपुर (उ.प्र.)
भारत वर्ष में गाय का पालन धार्मिक कार्य के साथ-साथ छोटे व सीमांत कृषकों के लिए आर्थिक महत्व भी रखता हैं। मौसम की अनिश्चताओं की वजह से पशुधन हमारे किसानों को विपत्ति की स्थिति में आर्थिक संबल प्रदान करता हैं। अधिक उत्पादन हेतु यह आवश्यक हैं कि हम अच्छी गाय का चयन करें। अच्छी गाय के चयन हेतु हम स्वयं गाय के पूर्व उत्पादन का रिकार्ड, उसके पुरखों के उत्पादन का रिकार्ड, उसकी संतानों के उत्पादन का रिकार्ड व उसके निकट संबंधियों के रिकार्ड के अध्ययन से कर सकते हैं परंतु यदि यह उपलब्ध न हो तो गाय के शारीरिक अभिलक्षणों व संरचना को गौर से अध्ययन कर हम उसके उत्पादन का मोटे तौर पर अनुमान लगा सकते हैं। एक अच्छी गाय का मूल्यांकन उसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता, दूध में वसा का प्रतिशत, नियमित रूप से समय पर बच्चा देने की प्रवृत्ति तथा अपने गुणों को अपनी संतान में देने की क्षमता एवं स्वभाव में सीधा होना आदि जैसे बिन्दुओं के आधार पर किया जाता हैं। अतः दुधारू पशु के चुनाव के समय निम्न बातों की ओर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता हैं।
सुविकसित एवं सुव्यवस्थित अयन तथा स्तन
अच्छी गाय के अयन का आकार बड़ा, लचीला और गांठ रहित होना चाहिए। वह अधिक झूलता हुआ (Pendulous) न हो और पिछली टाँगों के बीच में काफी ऊँचाई पर जुड़ा हो तथा आगे की ओर काफी दूर तक फैला हो। दूध निकाल लेने के पश्चात् स्तन मुलायम तथा लचीला हो जाना चाहिए। अधिक दूध देने के लिए स्तन में अधिक रक्त संचार की जरूरत होती हैं। इसके लिए दुग्ध शिराओं का मोटा, टेढ़ी-मेढ़ी तथा अनेक (Milk veins should be thicker, zigzag and numerous) होना चाहिए। थन गोलाई लिए हुए, लंबे, गांठ रहित तथा सभी थन समान दूरी पर होने चाहिए।
पशु का बड़ा आकार एवं तिकोना रूप
दुधारू पशु का बड़ा आकार इस बात का संकेत करता हैं कि पशु अपने जीवन निर्वाह एवं उत्पादन हेतु अधिक आहार का उपयोग कर सके। शरीर के आकार में लंबाई, गहराई और चौड़ाई का विशेष योगदान होता हैं। पशु के सीने का निचला भाग से भारी होना चाहिए। पसलियों रोढ़ की हड्डी से समकोण बनाते हुए होनी चाहिए और एक-दूसरे के मध्य पर्याप्त स्थान होना चाहिए ऐसी शारीरिक बनावट हृदय एवं फेफड़ों को भली प्रकार से अधिक कार्य करने की सुविधा प्रदान करती हैं तथा पशु का पेट एवं यकृत पूर्ण विकसित या बड़े होनेे के कारण आहार ग्रहण करने व उसे पचाने की क्षमता भी अधिक होती हैं। यह शारीरिक विशेषताएं जिन पशुओं में नहीं होती हैं उनमें और भी कमियाँ देखने को मिलती हैं। एक अच्छी गाय के शरीर पर तीन त्रिकोण की आकृति बनना गुणकारी माना जाता हैं।
बगल का त्रिकोण
पिछले पैरों के पास सर्वाधिक चौड़ा गले के पास सबसे पतला होता हैं।
ऊपर का त्रिकोण
पुट्ठों के मध्य अधिक चौड़ा और डिल्ले के पास कम चौड़ा होता हैं।
सामने का त्रिकोण
दोनों अगले पैरों के मध्य सबसे अधिक चौड़ा और डिल्ले यानि कुकुद के पास कम चौड़ा होता हैं। गाय या भैंस में यह तीनों त्रिकोण जितने अधिक स्पष्ट होते हैं वह उतनी ही दुधारू होती हैं।
शरीर के अन्य आवश्यक लक्षण
- सुंदर चेहरा, बड़ी एवं चमकदार आंखें, चौड़ा थूथन, लंबी और पतली गर्दन, कंधा (Wither) पतला एवं सुंदर, पतली मांसल जाँघ, मुलायम व पतली त्वचा और रोएं आदि अच्छे दुधारू पशु के लक्षणों में गिने जाते हैं।
- अच्छी गाय अथवा भैंस को अपनी नस्ल के अनुरूप होना चाहिए। पशु स्वभाव में सरल और डिल्ला साफ, नोकीला तथा संकरा होना चाहिए।
- कंधे चिकने व ढ़ालू, पसलियां मोटी उभरी हुई, अंदर का घेरा लंबा, गहरा और चौड़ा कुल्हे उभरे हुए होने चाहिए।
- पूँछ लंबी तथा सिरे की ओर क्रमशः पतली होनी चाहिए।
- स्तन भली-भांति विकसित, भरा हुआ, चौड़ा व शरीर में ऊंचाई तक जुड़ा होना चाहिए तथा एक ब्यात में नौ माह तक दूध देने की क्षमता होना चाहिए। पशु के अन्य गुणों-अवगुणों को भी देखा जाना चाहिए।
अधिक उत्पादन देने वाली गाय नस्ल की विशेषताएं
- आकर्षक व्यक्तित्व मादाजनित गुण, ऊर्जा, सभी अंगों में समानता व सामंजस्य, सही उठान।
- जानवर के शरीर का आकार खूँटा या रूखानी के समान होनी चाहिये।
- उसकी आंखें चमकदार व गर्दन पतली होनी चाहिये।
- थन पेट से सही तरीके से जुडे हुए होने चाहिये।
- थनों की त्वचा पर रक्त वाहिनियों की बुनावट सही होनी चाहिये।
- चारो थनों का अलग-अलग होना व सभी चूचक सही होनी चाहिये।
व्यावसायिक फार्म के लिये गाय की नस्ल का चुनाव करना
- बाजार में अच्छी नस्ल व गुणवत्ता की गायें उपलब्ध है व इनकी कीमत प्रतिदिन के दूध के हिसाब से 1200 से 1500 रूपये प्रति लीटर होती है। उदाहरण के लिये 10 लीटर प्रतिदिन दूध देनेवाली गाय की कीमत 12000 से 15000 तक होगी।
- यदि सही तरीके से देखभाल की जाए तो एक गाय 13 - 14 महीनों के अंतराल पर एक बछडे को जन्म दे सकती है।
- ये जानवर आज्ञाकारी होते है व इनकी देखभाल भी आसानी से हो सकती है। भारतीय मौसम की स्थितियों के अनुसार होलेस्टिन व जर्सी का संकर नस्ल सही दुग्ध उत्पादन के लिये उत्तम साबित हुए है।
- गाय के दूध में वसा की मात्रा 3.5 से 5 प्रतिशत के मध्य होता है व यह भैंस के दूध से कम होता है।
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