पी.मूवेन्थन, मनोज कुमार साहू, योगिता, उत्तम सिंह, रेवेन्द्र साहू एवं एच.के.सिंह
भा.कृ.अनु.प. -राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान बरौंडा, रायपुर (छ.ग.)

”जैविक पादप रोगों एवं सूक्ष्म कीटों के कारण फसलों में होने वाले आर्थिक हानि के फलस्वरूप ग्रामीण कृषक परिवारों की आय एवं दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा एक बडा खतरा है। कृषि में जैविक एवं अजैविक पादप रोगों को लाक्षणिक आधार पर प्रक्षेत्र स्तर पर पहचान करना बहुत ही कठिन कार्य है, परन्तु फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप की गति, सटीकता, कम लागत एवं प्रभावशीलता पहुँच के फलस्वरूप प्रक्षेत्र स्तर पर ही त्वरीत एवं अप्रत्याशित समाधान प्राप्त कर पाना संभावित है। जैविक पादप प्रबंधन में फोल्डस्कोप तकनीक का कृषि में उपयोग करके जैविक कारकों विशेषकर पादप रोग एवं सूक्ष्म कीट से होने वाले आर्थिक हानि को कम एवं फसलोत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं।“

फोल्डस्कोप का अविष्कार डॉ. मनु प्रकाश और जिम साइबुल्सकी ने 2014 में किये थे। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय स्थित मनु के प्रयोगशाला में जिम पी.एच.डी. के छात्र थे। फोल्डस्कोप बनाने की प्रेरणा उन्हेें विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के भ्रमण से उत्पन्न हुई, जहाँ वेे भारी भरकम सूक्ष्मदर्शी, टुटे हुए सूक्ष्मदर्शी, प्रयोगशाला का अभाव एवं अन्य संसाधनों की कमी का सामना करते थे। जैसा कि हम सबको ज्ञात है कि पारंपरिक सूक्ष्मदर्शी अक्सर बहुत महंगे, भारी एवं बडे आकार के होते हैं। इन सभी कारणों के फलस्वरूप उन्हें सार्वभौमिक पैमाने, कम लागत एवं क्रांतिकारी समाधान की आवश्यकता का एहसास हुआ।

खेत-खलिहान, नर्सरी प्रक्षेत्र एवं बगीचे इत्यादि में घुमते-टहलते हुए जब किसी पादपरोग, सुक्ष्म कीट-पतंग एवं अन्य लक्षण पौधों में दिखाई पड़ते हैं तो हमें उसे नजदीकी से देखने, जानने एवं समझने की जिज्ञासा उत्पन्न होता है। उक्त लाक्षणिक आधार पर उसके बारे में गहराई से चिंतन करते है, कि यह क्या है किससे संबंधित है ताकि इसके शीघ्र्र ही समस्या का समाधान निकाला जा सके। कृषि उपज में जैविक कारकों के द्वारा होेने वाले कुल वार्षिक हानि में लगभग खरपतवार 45 प्रतिशत, कीट 30 प्रतिशत, रोग 20 प्रतिशत एवं अन्य 5 प्रतिशत का योगदान है।

कृषि में जैविक एवं अजैविक पादप रोगों को सामान्यतः लाक्षणिक आधार पर प्रक्षेत्र स्तर पर पहचान कर पाना बहुत ही कठिन कार्य है, जिसे प्रयोगशाला स्तर पर सूक्ष्मदर्शी के माध्यम से सटीक पहचान एवं विश्लेषण करते हैं परन्तु फोल्डस्कोप की गति, सटीकता, कम लागत और प्रभावशीलता पहुँच के फलस्वरूप प्रक्षेत्र स्तर पर ही त्वरित गति एवं अप्रत्याशित समाधान प्राप्त कर पाना संभावित है, क्योंकि इसके सहायता से किसी सूक्ष्मजीव एवं नमूने कोे सूक्ष्मता से देख सकते हैं, जिसके फलस्वरूप अवलोकन किया जा सकता है एवं इसके जैविक कारकों के द्वारा विशेषकर पादप रोग से होने वाले आर्थिक हानि को कम किया जा सकता है।

फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप संरचना
  • वास्तव में यह एक तरह का वहनीय माइक्रोस्कोप है, जो पेपर क्लीपिंग की एक श्रृंखला से बनाया जाता है। इसे बनाने में बहुत ही सरल घटकों जैसे-कागज की शीट, लेंस, गोंद, टेप, चुम्बकीय युग्मक (कपलर) एवं एल.ई.डी. मैग्नीफायर इत्यादि से मिलाकर बनाया जाता है।
  • फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप की एक अन्य विशेषता यह है कि इसे पुनः विभिन्न घटकों में आसानी से पृथक कर सकते हैं, इसी आधार पर ही इसका नाम फोल्डस्कोप रखा गया है।
  • फोल्डस्कोप में किसी नमूने की चित्र प्राप्त करने हेतु मोबाइल फोन का उपयोग किया जाता है। मोबाइल फोन के कैमरे में चुम्बकीय युग्मक को गोंद या टेप के माध्यम से संलग्न करके फोल्डस्कोप पर स्थापित किया जा सकता है।
  • फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप को आसानी से मोड़ा जा सकता है, यह आकार में छोटा एवं वजन में बहुत हल्का (लगभग 8-10 ग्राम) होता है, जिसके कारण आसानी से इसे पॉकेट में रखकर कहीं भी ले जाना संभव है।
  • फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप में लेंस स्थापित किया जाता है, जिसके माध्यम से किसी रोगजनक या नमूने को 140 गुना तक आवर्धित करने की क्षमता होता है ,फलस्वरूप नग्न आंखों से दिखाई न पड़ने वाले सूक्ष्म से अतिसूक्ष्म पादप रोगजनकों (फफूंद एवं जीवाणु) तथा कीट-पतंगो को बहुत सुलभता से परीक्षण कर सकते हैं।


फोल्डस्कोप कार्यप्रणाली
  • सर्वप्रथम आवश्यक सामाग्री यथा -रंजक (लेक्टोफिनाल), स्लाइड, कवर स्लीप, नीडिल, टेप, ब्रश, रूई, मार्कर पेन, चिमटी एवं एल्कोहल इत्यादि का आवश्यकता होता है।
  • प्रक्षेत्र में पादप रोग संक्रमित के सूक्ष्म नमूने को स्वच्छ स्लाइड के ऊपर रंजक (लेक्टोफिनाल) की एक छोटी बूंद लेते हैं तथा इस पर चिमटी एवं नीडिल के माध्यम से नमूने की बहुत सूक्ष्म मात्रा को रख देते हैं तत्पश्चात कवर स्लीप को ऊपर में लगा दिया जाता है।
  • तैयार किये हुए स्लाइड को अवलोकन के लिए फोल्डस्कोप में लगाया जाता है जिसे सुगमतापूर्वक आगे-पीछे, ऊपर-नीचे एवं केन्द्रित किया जा सकता है। फोल्डस्कोप के साथ मोबाइल फोन को स्थापित कर लेते है तथा इसक मदद से नमूने को देखा जाता है।
  • नमूने की चित्र को मोबाइल के माध्यम से जूम फंक्शन का उपयोग करते हुए बड़ा किया जा सकता है और इसे मोबाइल में संग्रहीत भी किया जा सकता हैं।

फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप का महत्व
  • यह आकार में बहुत छोटा एवं वजन में हल्का होता है।
  • यह पारंपरिक सूक्ष्मदर्शी के समान प्रदर्शन करता है।
  • यह बहुत टिकाऊ है क्योंकि बहुत ऊंचाई से गिरने के बावजूद भी नहीं टूटता है।
  • इसका प्रयोग मुख्यतः प्रक्षेत्र स्तर पर प्राथमिक निदान के लिए किया जाता है।
  • फोल्डस्कोप का प्रयोग पादपरोग जनक के कारक एवं सूक्ष्मकीटों का अवलोकन करने में किया जा सकता है।
  • इसके माध्यम से जैव फफूंदनाशक की जीव्य दृष्टया को पता लगाया जा सकता है।
  • पशुपालन के अंतर्गत जानवरो में लगने वाले सूक्ष्मजीवों का पता लगाने में भी प्रयोग किया जा सकता है।
  • इसके प्रयोग से रोग निवारण में लगने वाले आर्थिक हानि को कम किया जा सकता है।
  • फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप में बिजली की आवश्यकता नहीं होता है, इसे सूर्य की प्रकाश या एल.ई.डी. मैग्नीफायर के माध्यम से देख सकते है। अतः इसका प्रयोग उन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जहाँ आज पर्यन्त तक बिजली की उपलब्धता नहीं है।
  • इसको बनाने की लागत लगभग 100 रूपय से भी कम है।
  • ग्रामीण कृषि अधिकारी, कृषि छात्र, कृषि वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील कृषकों के लिए पादप रोग निदान साधन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद किया जा सकता है एवं साथ ही पादप रोग संबंधी प्रशिक्षण कार्य भी सुगमतापूर्वक किया जा सकता है।

फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप का अविष्कार एवं उसके उपलब्धता ने विज्ञान को रोजमर्रा के जीवन से बहुत करीब ला दिया है। भारत जैसे विकासशील देशों में जहाँ दूरस्थ क्षेत्रों में विशेषकर ऐसे राज्य एवं केन्द्र शासितप्रदेश- अरूणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं उड़ीसा में संसाधन की बहुत कमी है, वहाँ फोल्डस्कोप की उपलब्धता से कृषि क्षेत्र में पादप रोगों एवं सूक्ष्मजीवों के निवारण में अप्रत्यासित सफलता प्राप्त किया जा सकता है एवं कृषि विज्ञान को प्रयोगशाला (लैब) से प्रक्षेत्र स्तर तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है जिसे किसी विशेष आर्थिक राशि की सहायता के बिना भी पूरा किया जा सकता है। फोल्डस्कोप कृषि छात्रों में भी सूक्ष्मविज्ञान के प्रति दिलचस्पी बढ़ाने में प्रोत्साहित करेगा। भविष्य में फोल्डस्कोप को कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में उपयोग में लाने हेतु विश्व के विभिन्न प्रयोगशाला में शोध हेतु वैज्ञानिक एव छात्र प्रयासरत हैं एवं प्रयोग निरंतर जारी है।