त्रिशला साहू, सुमन साहू, योगेश कोसरिया (रिसर्च स्कॉलर)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

स्थानीय बोली में कोदो, कोद्रव, काऊ ग्रास को “ भागर के चावल “ के नाम से जाना जाता है। यह एक शुगर फ्री चावल के नाम से प्रसिद् है , जिसे उपवास में खाया जाता है। परन्तु इसकी खेती दिनों दिन कम होती जा रही है, जो चिंता का विषय है क्योंकि यह अन्न, औषधीय गुणों का भण्डार है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में रहने वाले आदिवासी आज भी कोदो का उपयोग अपने मुख्य भोजन के रूप में करते हैं।

कोदो के सामान्य नाम एवं महत्व- कोदो, कोद्रव, कोदो मिलेट, कोदरा, काउ ग्रास, शुगर फ्री मिलेट के नाम से जाना जाता है।

कोदो का वानस्पतिक नाम- पास्प्लम स्कोर्बिकुलातम

कोदो एक उपेक्षित अनाज
मोटे अनाज में गिना जाने वाला कोदो आज उपेक्षित (विलुप्त) अनाज में शामिल हो गया है। कम लागत में अधिक उपज पाने की लालसा में भले ही किसान धान, गेंहू व् अन्य अनाज की खेती करने में पसंद दिखा रहे लेकिन, कोदो की पौष्टिकता के बारे में उनको अंदाजा नहीं है। कोदो की पौष्टिकता चावल से कहीं अधिक है और इसकी खेती कम वर्षा में भी की जा सकती है परन्तु किसान कम मुनाफे के कारण इसकी खेती नहीं कर रहे हैं।

यह उपेक्षित अनाज “ आईयूसीएन रेड लिस्ट” में शुमार है, जिसकी रक्षा और लोकप्रिय बनाने के प्रयास जोर शोर से सरकार कर रही है।

“ऋषि” अन्न के रूप में महत्व
सुपोषण के लिए सर्वाेत्तम अन्न कोदो को माना गया है। कोदो भारत का एक प्राचीन अन्न है , इसकी पौष्टिकता, औषधीय चमत्कारिक गुणों के कारण इसे “ऋषि अन्न” के नाम से जाना जाता है।

चावल एवं कोदो के पौष्टिक तत्वों का संयोजन
प्रोटीन, कार्बाेहाइड्रेट, वसा, फ़ूड फाइबर, लौह तत्व, कैल्शियम, फस्फोरस शामिल है।

कोदो के प्रसिद्ध लोकगीत
कोदो कुटकी के भात खाले , बिमारी भगा ले, यह जिन्दगी हवे सुन्दर छाया हैं रे हाय, कोदो कुटकी के भात खाले चकोड़ा की भाजी सब दूर होते रहे मन में राशि मधु मोह मोह सपा होवे न रोगी।

यह प्रसिद् लोकगीत मध्यप्रदेश के अनुपपुर जिले की आंगनबाड़ी सेविकाएं अक्सर सुनाती है, और इस गीत के माध्यम से कोदो कुटकी के औषधीय गुणों की व्याख्या करती है।

कोदो के औषधीय गुण

1. घेंघा रोग के उपचार में- जलकुम्भी भस्म को गोमूत्र में पकप्कर इसे कपडे से छान लें। इसे कोदो के भात के साथ खाने से गले की गाँठ (घेंघा) रोग ठीक होता है।

2.साँसों की बिमारी एवं खांसी में- कोद्रव की बीजों का भस्म बनाकर 1-2 ग्राम भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से साँसों के रोग और खांसी में लाभ होता है।

3.रूसी हटाने के लिए- कोदो को जलाकर उसकी भस्म में जल मिलाकर सर पर लेप करने से रूसी की समस्या से छुटकारा मिलता है।

4.मधुमेह के नियंत्रण में- कोदो एक प्रकार का शुगर फ्री अन्न है, जिसे मधुमेह के रोगियों को दिया जाता है, ताकि उनकी बिमारी नियंत्रण में रहे। क्योंकि यह ग्लूकोस लेवल को तेजी से कम करता है।

5.मोटापे के नियंत्रण में- कोदो में फाइबर बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह वजन बढ़ने नहीं देता है, और वजन कम करने में सहायक होता है एवं डाइटिंग में इसका उपयोग होता है।

6.कोलेस्ट्रोल एवं दिल के रोग से बचाव- कोदो हृदयघात से रक्षा प्रदान करता है, और कोलेस्ट्रोल के रक्तचाप के प्रवाह को नियंत्रण में रखता है।

7.कब्ज के इलाज में- यह शरीर को हाइड्रेट रखता है, और कब्ज की समस्या दूर करता है।

8.किडनी, रोग में रामबाण औषधि- इसके सेवन से किडनी, एवं मूत्राशय की गंभीर बीमारियों से निजात पाया जा सकता है।