निशा जांगडे, वन्दना यादव एवं मुक्तिलता तिर्की
सब्जी विज्ञान विभाग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

भोजन के विभिन्न मुख्य घटकों में सब्जियों का प्रमुख स्थान है। इनका समावेश प्रतिदिन भोजन में किया जाना आवश्यक है। सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट और वसा कम मात्रा में तथा विटामिन, खनिज तत्व एवं खाद्य रेशा अधिक मात्रा में प्राप्त होते है। सब्जियाँ हमारे भोजन को सरस, स्वादिष्ट व पौष्टिक बनाने में मदद करती हैं। वर्तमान शोध परिणामों से यह भी पुष्टि होती है कि सब्जियों में पाये जाने वाले कुछ विशेष प्रकार के यौगिक जैसे- बीटा कैरोटीन, विटामिन-सी, विटामिन-ई तथा ग्लूकोसिनोलेट इत्यादि हमें बीमारियों से लड़ने में सहायता करते हैं। अतः सब्जियों को रक्षात्मक भोजन भी कहा जाता है। सब्जियाँ पौष्टिक आहार के उन अनिवार्य तत्वों की पूर्ति करती हैं, जो यद्यपि बहुत छोटी मात्राओं में आवश्यक होते हैं, परन्तु मानव शरीर में विभिन्न जैव रासायनिक क्रियाओं के लिये अनिवार्य तत्वों की पूर्ति करते हैं। हम खाद्यान उत्पादन की ट्टष्टि से पूरी तरह आत्मनिर्भर है पर कुपोषण की समस्या अभी भी बनी हुई है। हम अपने आहार में अनाज को अधिक शामिल करते है जो शरीर को सम्पूर्ण पोषक तत्व प्रदान नहीं करती है। यदि हम अपनी इस आदत को बदल ले तो कुपोषण की समस्या दुर हो जाएगी। इसलिए यहॉ पर सब्जी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। भारत में वर्ष 2018-2019 में सब्जी का क्षेत्रफल 10073.000 हे. रहा जिससे 183170.000 मैट्रिक टन उत्पादन प्राप्त हुआ। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 489,271.000 हे. क्षेत्रफल में 6868,126.000 मैट्रिक टन उत्पादन प्राप्त हुआ। हमारा देश सब्जी उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है फिर भी हमारे दैनिक आहार में सब्जियों का समावेश कम मात्रा में है। खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने भोजन में कम से कम 325 ग्राम सब्जी अवश्य लेना चाहिए जिसमें 125 ग्राम पत्तियों वाली, 125 ग्राम जड़ो वाली तथा 100 ग्राम अन्य सब्जियॉ प्रतिदिन अवश्य होना चाहिए।

पोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं प्रमुख स्त्रोंत

कार्बोहाइड्रेट
प्रौढ़ व्यक्ति में ऊर्जा की कमी जिससे वजन घटने लगता है। कार्य करने की क्षमता तथा रोगों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि होती है, शरीर में रेशे और कोलेस्ट्राल की मात्रा को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: शकरकन्द आलू, करेला, चुकन्दर, जिमीकन्द, गाजर, प्याज, सेम, ब्रुसेल्स स्प्राउट, करी पत्ता, सूखा लहसुन, राजमा, घुइंया, रतालू एवं मटर।

खाद्य रेशा
यह ऑत के कैंसर और कब्ज की जैसी बीमारियों से बचाता हैं। शरीर में जल का अवशोषण बढाता है। आहार के पाचन व अवशोषण को क्रियाओं को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: खेक्सा, अगेथी, चौलाई करी पत्ता सहिजन, परवल, घियापत्ती, लोबिया, राजमा, करेला एवं सिलेरी पत्ता।

वसा व लिपिड
शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है। आहार को रूचिकर बनाता है।

प्रमुख स्त्रोत: सेम के बीज, गांठगोभी व फूलगोभी के पत्ते एवं टमाटर।

प्रोटीन
शरीर में जैव रासायनिक क्रियाएं को नियंत्रित करता हैं। तन्तुओं का निर्माण, ऊतक तथा कोशिका का निर्माण और शरीर की वृद्धि में सहायक है। एन्जाइम एवं हार्मोन निर्माण को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: मटर, अगेथी, चौलाई, करी पत्ता सहिजन पत्ती, बथुआ लोबिया, बाकला, सेम, पालक, धनियॉ, फूलगोभी के पत्ते, पुदीना, कटहल के बीज एवं सिलेरी पत्ती।

विटामिन-ए
ऑख की रोशनी बढाने में सहायक है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। त्वचा को कान्तिमय बनाता है। शरीर की वृद्धि को बढाता है। प्रोटीन निमार्ण में सहायक है।

प्रमुख स्त्रोत: गाजर, पालक, घुइंया पत्ती, करी पत्ती, सहिजन पत्ती, शकरकन्द (पीला) मेथी पत्ती, हरी मिर्च टमाटर (पका), कटहल, चौलाई, पोई एवं मूली पत्ती।

विटामिन-डी
शरीर में कैल्शियम व फास्फोरस को नियंत्रित करता है। हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

प्रमुख स्त्रोत: मूली के पत्ते, टमाटर (पका), हरी मिर्च, शिमला मिर्च, लीक, सेम, आलू, घुइयां पत्ती, सरसों का साग, पालक, शलजम के पत्ते, चुकन्दर एवं हरी मटर।

विटामिन-ई
एन्जाइम तथा हेमी प्रोटीन के संश्लेषण को नियंत्रित करता है। कोशिकाओं की झिल्लियों को मजबूत बनाता है। विटामिन ए एवं सी के आक्सीकरण को नियंत्रित करता है। प्रजनन में सहायक होता है।

प्रमुख स्त्रोत: गाजर मटर, टमाटर, पत्तागोभी प्याज, सलाद, शलजम के पत्ते पत्तेदार व अन्य हरी सब्जियॉ।

विटामिन-के
घाव के जल्दी भरने में सहायक हैं, प्रोटीन पाचन में गड़बड़ी, प्रोथ्रेम्बिन तथा रक्त का थक्का के निर्माण में सहायक है। प्रोटीन के पाचन को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: ब्रोकोली, ऐस्परगस, सलाद, सेम, पत्तागोभी, टमाटर, पालक, शलजम, आलू, कद्द, बीन्स एवं मेंथी।

विटामिन-बी1
बेरी-बेरी रोग, पैरों में जलन, ऊर्जा के प्रमुख स्त्रोत शर्करा तथा स्टार्च के अवशेषण को बढ़ाता है। पाचन तंत्र के क्रियान्वयन में सहायक है। हृदय की मॉसपेशियों को मजबूत बनाता है।

प्रमुख स्त्रोत: पालक, बथुआ, चौलाई, मेंथी पत्ती, मूली पत्ती, घुइंया (काली पत्ती), करी पत्ता, पुदीना एवं सिलेरी पत्ती।

विटामिन-बी2
गले में खरास, मुॅह का किनारा फटना, ऑखों में नसें उभरना एवं लाल होना, विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों से बचाता है। सामान्य रोगों के संक्रमण की सम्भावना को कम करता है।

प्रमुख स्त्रोत: बैंगन, फूलगोभी, अरबी के पत्ते, शलजम, भिण्डी, धनियॉ, सरसों का साग, लोबिया, टमाटर एवं गाजर।

निकोटिनिक अम्ल
चर्म रोग के नियंत्रण में सहायक है। पैलाग्रा और डायरिया रोग से बचाता है।

प्रमुख स्त्रोत: सेलेरी के पत्ते, मूली व मूली के पत्ते, चुकन्दर के पत्ते, मटर, आलू अगेथी, गाजर के पत्ते, करी पत्ती, पुदीना, फूलगोभी, लोबिया, हरी मिर्च, बैंगन, चौलाई, शकरकन्द के पत्ते एवं जंगली जिमीकन्द।

विटामिन-बी6
एनीमिया और डरमेटाइटिस नामक रोग से बचाव एवं अग्नाशय में इन्सुलिन को नियंत्रित करता है। चर्म रोग सेे बचाव में सहायक है। शरीर में लौह तत्व के अवशोषण को बढ़ाता है।

प्रमुख स्त्रोत: पालक, आलू, हरी मटर, फूलगोभी, ऐस्परगस एवं अन्य पत्ती वाली सब्जियॉ।



पैन्टाथिनिक अम्ल
शारीरिक वृद्धि में सहायक है। बालों में मिलेनिन को बढ़ाता है। तन्तुओं और मॉसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

प्रमुख स्त्रोत: ऐस्परगस, फूलगोभी, मटर, शकरकन्द एवं लोबिया।

फोलिक अम्ल
यह हृदय रोग और ऑत के कैंसर को कम करता है। यह एनीमिया से बचाव में सहायक है, खून में लाल रक्त कणिकायें के बनने में सहायक होता है।

प्रमुख स्त्रोत: चिचिन्डा, कुन्दरू, कद्दू, राजमा, गॉठगोभी, चौलाई पत्तागोभी, करी पत्ता, पालक, पुदीना, प्याज, आलू, लौकी, खीरा, लोबिया, टमाटर एवं बैंगन।

बायोटिन
कार्बोहाइड्रेट के पाचन में सहायक है। त्वचा एवं बालों के लिए जरूरी है।

प्रमुख स्त्रोत: आलू, हरा चना, लोबिया, फूलगोभी, पालक हरी मटर, गाजर, पत्तागोभी एवं चुकन्दर।

विटामीन-बी12
मेगालोब्लस्टिक एनीमिया नामक रोग से बचाता है।

प्रमुख स्त्रोत: चुकन्दर, फूलागोभी, पालक, चौलाई, सलाद एवं अन्य पत्ती वाली सब्जियॉ।

विटामिन-सी
स्कर्वी नामक रोग होना जिसके कारण शरीर में कमजोरी, मसूढ़ों में खून आना एवं हड्डियों के समुचित विकास और कोलेजन का निर्माण में सहायक है। रक्त कणिकाओं के निर्माण में सहायक है। गठिया नामक रोग का होना एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। शारीरिक क्रियाशीलता को बढ़ता है।

प्रमुख स्त्रोत: चौलाई, पत्तागोभी, ब्रूसेल्स स्प्राउट, कंद, धनियॉ पत्ती, मिर्च, करेला, फूलगोभी, सहिजन फलियॉ, मेंथी पत्ती, गांठगोभी, शलजम एवं टमाटर।

फास्फोरस
दांतों एवं हड्डियों का निर्माण सहायक है। शर्करा का आक्सीकरण बढ़ाता है। ऊतकों की कोशिकाओं का गुणन तथा ऊतकों में उचित द्रव्य अंश का अनुरक्षण करता है।

प्रमुख स्त्रोत: गाजर, घुइयां, राजमा, सेम के बीज, लहसुन, मटर, कद्दू, सरसों पत्ती एवं सहजन।

पोटेशियम
अन्त कोशिका रस का निर्माण करता है। अम्ल व क्षार के अनुपात को नियंत्रित करता हैं। स्नायु उत्तेजना के संवाहन में वृद्धि करता है। हृदय की गतिविधि को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: चौलाई, ब्रूसेल्स, स्प्राउट, घुइयां शकरकन्द, आलू टमाटर, फूलगोभी पालक, करेला, सरसों का साग, चौलाई, मूली हरी मिर्च, धनियां परवल एवं बैंगन।

कैल्शियम
हड्डियों एवं दॉतो को मजबूती प्रदान करता है। शरीर में लौह तत्वों के अवशोषण में सहायक हैं। हृदय तथा मांसपेशियों के संकुचन में व्यवधान को दूर करता है। रक्त में थक्का बनाने में सहायक हैं।

प्रमुख स्त्रोत: चौलाई, घुइयां पत्ती (हरी), करी पत्ती सहिजन पत्ती, सरसों पत्ती मेंथी पत्ती मूली पत्ती, सेम, भिण्डी, मेंथी, पुदीना एवं प्याज।

मैग्नीशियम
मनुष्यों में हृदय सम्बन्धित बीमारियों से बचाव में सहायक है। अम्ल व क्षार की मात्रा को नियंत्रित करता है। खून के दबाव को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: चौलाई, पालक, भिण्डी, धनिया, लोबिया, करी पत्ता हरी मिर्च, सलाद करेला, राजमा एवं आलू।

गन्धक
प्रोटीन का पाचन, शोषण और उपापचय क्रियाओं में सहायक है। बालों व नाखूनों का विकास के लिए जरूरी है। जैव रासायनिक क्रियाओं में भाग लेने वाले कुछ एन्जाइम की क्रियाशीलता को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: कटहल, बैंगन सेम, मटर, धनिया करी पत्ती, पुदीना, गॉठगोभी फूलगोभी, चौलई लोबिया, पालक, ब्रूसेल्स स्प्राउट एवं मेंथी।

लौह
रक्त की लाल रूधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन का निर्माण को बढ़ाता है। विभिन्न आक्सीकरण एवं अपचयन की क्रियाओं में सहायक है।

प्रमुख स्त्रोत: चौलाई, बथुआ, पत्ती घुइयां पत्ता (हरा) मेंथी पत्ती, सरसों पत्ती, पुदीना पत्ती, पोई मूली पत्ती, सोआ पत्ती, फूलगोभी के पत्ते, धनिया, पुदीना एवं मेथी।

तॉबा
शरीर के मुख्य स्नायु तंत्र के लिए जरूरी है। रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण प्रभावित होना लाल रक्त कणों में उचित संगठन का होना, वसा व अम्लों का आक्सीकरण को नियंत्रित करता है। लोहे के अवशोषण तथा उपापचय को प्रभावित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: सिलेरी पत्ती, चुकन्दर, मूली, हरी मिर्च, परवल, सफेद मूली, अदरक, हरा चना, चुकन्दर, टमाटर, बैंगन धनिया, करेला एवं लोबिया।



जस्ता
शरीर की वृद्धि के लिए जरूरी है। प्रजनन अंगों के विकास में सहायक है। प्रोटीन की पाचन क्रिया में हिस्सा लेने वाले एन्जाइम को निंयत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: मटर, चुकन्दर, पत्तागोभी, गाजर, सलाद, पालक एवं आलू।

मैगनीज
हड्डियों की संरचना को बनाये रखता है। लिपिड, प्रोटीन और श्वेतसार के उपापचयन में हिस्सा लेने वाले एन्जाइम की क्रिया को नियंत्रित करता है।

प्रमुख स्त्रोत: चौलाई, चुकन्दर, सरसों का साग, सेम, धनिया पत्ती, सहिजन पत्ती, पुदीना पत्ती, हरी मिर्च पालक एवं अदरक।

सोडियम
अम्ल एवं क्षार का सन्तुलन बनाए रखता है। जल के निष्कासन को नियंत्रित करता है। विभिन्न प्रकार के चर्म रोग होने की सम्भावना को कम करता है।

प्रमुख स्त्रोत: हरा चना, लोबिया, चौलाई, सलाद, धनिया, मेंथी, पालक, चुकन्दर, गाजर, मूली, सेम, फूलगोभी, हरा मटर, गॉठगोभी, बाकला, पुदीना, करी पत्ता एवं सिलेरी पत्ती।

आयोडीन
घेंघा नामक रोग को होने से रोकता है एवं बच्चों का मानसिक विकास में सहायक है। अमीनो अम्ल व आक्सीकरण को बढ़ाता है।

प्रमुख स्त्रोत: पत्तेदार एवं कन्दमूल वाली सब्जियॉ।

सब्जियों से अधिक से अधिक पोषक तत्व कैसे प्राप्त करें
  • सब्जियों का सलाद के रूप में अधिक उपयोग करें।
  • सब्जियों को पकाने के लिए कम से कम पानी का उपयोग करें।
  • सब्जियों को काटकर ज्यादा देर ना रखें।
  • हमेशा ताजी सब्जियों का ही उपयोग करें।
इस तरह हम अच्छा स्वास्थ्य तभी पा सकते है जब हम अपने भोजन में विभिन्न प्रकार की सब्जियों का समावेश उचित मात्रा में करें। स्वस्थ और ऊर्जावान रहने के लिए सब्जियों का भोजन में उपयोग बेहद जरूरी है क्योंकि स्वस्थ शरीर ही सुखी जीवन का आधार है।