पी.मूवेन्थन, मनोज कुमार साहू, योगिता, उत्तम सिंह, रेवेन्द्र कुमार साहू एवं एच.के.सिंह
(भा.कृ.अनु.प. - राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान बरौंडा, रायपुर, छ.ग. 493225)

फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप का आविष्कार स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन में बायोइंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ. मनु प्रकाश एवं टीम के द्वारा वर्ष 2014 में किया गया था। वास्तव में यह एक तरह का ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप हैं। यह वजन में बहुत हल्का लगभग 8 ग्राम का होता है, और यह एक किट में आता है, जिसमे लेंस होते हैं जो 140X आवर्धन प्रदान करतें हैं। यह एक किफायती माइक्रोस्कोप है जो क्षेत्र की परिस्थितियों में काम करने के लिए बहुमुखी और पर्याप्त है। यह उपकरण (फोल्डस्कोप) बहुत ही सस्ते होने के कारण इसे आमजन बहुत आसानी से खरीद सकते है एवं स्थायी स्वामित्व प्राप्त कर सकते हैं एवं अपने उपयोग के अनुसार प्रयोग कर सकते हैं।
फोल्डस्कोप का अग्र दृश्य


फोल्डस्कोप का पश्च दृश्य

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ लगभग 70 प्रतिशत आबादी का मुख्य आजीविका कृषि है। भारत में मुख्यतः खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, सब्जी एवं फलों का खेती बहुतायत में किया जाता है, परन्तु इसमें लगने वाले जीवाणु एवं फफँूद जनित रोगांे के कारण कृषको एवं उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि इसके रोगजनकों की पहचान सटीकता से नहीं हो पाता है। भारतीय शोधकर्ताओं के द्वारा इस पर निरंतर शोध जारी है एवं अध्ययन में फोल्डस्कोप नामक इस बेहद सस्ते माइक्रोस्कोप को बहुत ही कारगर पाया गया है एवं निरंतर शोध जारी है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इसके माध्यम से प्रक्षेत्र स्तर पर ही फसलों में लगने वाले बहुत से रोगो की पहचान आसानी से किया जा सकता है एवं साथ ही रोग नियंत्रण के त्वरित एवं सरलता से समाधान भी प्राप्त किया जा सकता है।

रोगजनकों के पहचान में मददगार
फसलों के रोगजनकों में मुख्य कारक फफूँद एवं जीवाणु है। फफूँद जनित रोगों के द्वारा कृषकों एवं उत्पादकों को सर्वाधिक नुकसान होता है एवं साथ ही फोल्डस्कोप के माध्यम से जीवाणु के तुलना में फफूँद का पहचान शीघ्र एवं आसानी से प्राप्त होता है। इसके लिए संक्रमित रोग जनित पौधों के नमूने का स्लाइड तैयार करके फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप में परीक्षण किया जाता है। फफूँद जनित रोगों में विशेषकर लीफ ब्लाइ, लीफ स्पाट, भभूतिया रोग, डाऊनी मिन्डयू एवं पर्णीय रोगों के परीक्षण एवं पहचान आसानी से किया जा सकता है।

कुसुम का संक्रमित अल्टरनेरिया ब्लाइट


रोगजनक - अल्टरनेरिया कारथेमी


मोबाइल फोन से संबध्द
फोल्डस्कोप एक तरह का फील्ड माइक्रोस्कोप है। शोध कार्यों में उपयोग होने वाले पारंपरिक अनुसंधान सूक्ष्मदर्शी की तरह इसे आप्टिकल गुणवत्ता देने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। फोल्डस्कोप में लेंस स्थापित करते हैं, जिसके माध्यम से किसी रोगजनक को 140 गुना तक आवर्धित करने की क्षमता होता है। मोबाइल फोन के कैमरे में चुम्बकीय युग्मक को गोंद या टेप के माध्यम से संलग्न करके फोल्डस्कोप पर स्थापित किया जाता है। नमूने के चित्र को मोबाइल के माध्यम से जूम फंक्शन का उपयोग करके बड़ा कर सकते हैं एवं चित्र को मोबाइल में संग्रहीत भी कर सकते हैं।

मोबाइल फोन आधारित फोल्डस्कोप के माध्यम से पादप रोगजनकों का पहचान


संग्रहित रोगजनक चित्र - पेनिसिलियम डिजिटेटम

दूरस्थ अंचलो तक पहूँच एवं रोग नियंत्रण में योगदान
शोधकर्ताओं के अनुसार यह बहुत सस्ती एवं साथ ही पोर्टेबल तकनीक है जिसे दूरस्थ इलाकों एवं गांवो तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है, जिसका लाभ स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष प्राप्त हो सकता है। उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता कई कारकों पर निर्भर करता है। कवक (फफुँद) रोगों के कारण होेने वाले फसल नुकसान भी उनमें से एक है। बीमारियों के रोकथाम के लिए रोगों एवं रोगजनकों के पहचान के साथ-साथ रोगजनकों को पृथक करना भी अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच के फलस्वरूप आगे यह फसलों के रोग नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान स्थापित करेगा।