डॉ. विनिता झोड़ापे, कविता साहू एवं डॉ ओकेश चन्द्राकर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

परिचय   
कृषि के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए उन्नतशील प्रजातियों के बीजों के प्रयोग का अत्यन्त महत्व है। खाद्यान्नों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हेतु अधिक उपज देने वाली प्रजातियों का योगदान सर्वविदित है तथा विभिन्न फसलों की उपज बढ़ाने में उच्च गुणवत्ता के बीजों का महत्व पूरी तरह सिद्ध हो चुका है। टिकाऊ कृषि उत्पादन, टिकाऊ बीज आपूर्ति पर निर्भर है। इसमें किंचित मात्र संदेह नहीं है कि उत्पादन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तथा प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि अतिवृष्टि एवं सूखे आदि जैसी आकस्मिक परिस्थितियों के दौरान बीजों की कमी की समस्या से निपटने के लिए सुदृढ़ एवं असरदार बीज आपूर्ति की व्यवस्था के विकास की नितान्त आवष्यकता है।

प्याज की बीज उत्पादन तकनीक

खेत का चयन 
प्याज के लिए ऐेसे खेत का चयन करना चाहिए जो कि स्वैच्छिक उगे पौधों से मुक्त हो।

जलवायु 
यह द्विवर्षी फसल है। बीज उत्पादन के लिए पूरे दो मौसम लगते हैं। पहले मौसम में कन्द निर्मित होते हैं और दूसरे मौसम में बीज ब्रन्त निकलते हैं। जिन पर बीज शीर्ष आते हैं। प्याज की कंद उगाने के लिए सामान्यतः ठण्डी जलवायु की जरूरत होती है। सामान्यतः इसकी बोल्टिंग 10-15 डिग्री सें.ग्रे. तापमान पर होती है। फसल की कटाई के समय अधिक तापमान होना चाहिए।

पृथक्करण दूरी
प्याज एक परपरागित फसल है। लेकिन कुछ मात्रा मे स्वः परागण भी हो जाता है। आधार बीज उत्पादन के लिए पृथक्करण दूरी 1000 मीटर और प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए 500 मीटर रखी जानी चाहिए।

बीज उत्पादन विधि 
इसके उत्पादन की दो विधियॉं हैः-
  1. पहले मौसम में प्याज की फसल को खेत में पूरे ठण्ड के मौसम में खड़ा रखा जाता है और फसल में बीज ब्रन्त निकलते हैं, जिनमें बीज बनते हैं।
  2. दूसरी विधि में शल्क केन्द्रों को निकालकर व छांटकर भण्डारित कर लिया जाता है। और फिर अगले मौसम में इनको बीज उत्पादन हेतु लगा दिया जाता है। जिनसे बीजब्रन्त निकलते हैं और जिससे बीज प्राप्त हो जाता है।


प्रमुख कृषि क्रियाएं 

शल्क कंद से बीज उत्पादन विधि 
यह विधि सामान्यतः अधिक प्रयोग में लाई जाती है।

(क) प्रथम वर्ष (शल्क कंदों का उत्पादन एवं भण्डारण)
खेत की तैयारी एक बार जुताई करके 2-3 बार हैरो चलाकर की जाती है।

बीज का स्रोत
आधार बीज उत्पादन के लिए मान्य स्रोत से प्रजनक/आधार बीज तथा प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए आधार बीज प्राप्त करें।

बोवाई का सयम
नर्सरी में बीज की बुवाई मैदानों में अक्टूबर/नवम्बर के मध्य में तथा पहाड़ी क्षेत्रों में अप्रैल से जून में की जाती है।

बीज दर 
8-10 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर

सिंचाई
सामान्य तापक्रम होने पर एक सप्ताह के अन्तराल में और गर्म वातावरण होने पर दो सप्ताह के अन्तराल से सिंचाई करते रहना चाहिए।

उर्वरक
भूमि की तैयारी के समय 250 क्विंटल गोबर की खाद और बोवाई के समय 250 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट एवं 45 कि.ग्रा. पोटेशियम सल्फेट डालना चाहिए वर्धन काल के दौरान 2-3 बार में 250-375 कि.ग्रा. अमोनियम सल्फेट या कैल्शियम अमोनिया नाइट्रेट डाला जाता है।

शल्क कन्दों की खुदाई एवं संसाधन
अच्छी तरह से पके हुए शल्क कंदों की खुदाई की जानी चाहिए। खुदाई के बाद शल्क कंदों की ग्रीवा 1/2 इंच ऊपर की पत्तियां काट दी जाती है।

भण्डारण
  1. भण्डारण से पूर्व शुल्क कंद अच्छी तरह से परिपक्व, सुखाए हुए और संसोधित होने चाहिए।
  2. भण्डारण ग्रह में उचित वातन होना आवश्यक है।
  3. भण्डारण छिद्रित तली वाले उचले पात्रों में किया जाना चाहिए।
  4. 0-4.5 सें.ग्रे. तापमान पर भण्डारण सुरक्षित होता है।

(ख) द्वितीय वर्ष की बुवाई एवं बीज उत्पादन

बुवाई का समय
बुवाई का सर्वोत्तम समय अक्टूबर का दूसरा पखवाड़ा होता है।

बीज दर
बीज दर शल्क कंद के आकार पर निर्भर करती है। यदि 2.5-3 सें.मी. के शल्क कंदों का उपयोग किया जाता है तो 15 क्विंटल शल्क कंदों की आवश्यकता प्रति हैक्टेयर होती है।

रोपाई की विधि एवं दूरी
चुने हुए शल्क कंद भूमि में 45*30 सें.मी. की दूरी पर 8-10 की गहराई पर बोए जाते हैं।

उर्वरक एवं सिंचाई
प्रथम वर्ष के लिए दिय गये विवरण के अनुसार एवं अन्य कृषि क्रियाएं भी उपर्युक्त विवरण के अनुसार करें।



फसल सुरक्षा 

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवारों को समय-समय पर निकालते रहना चाहिए। जल्दी-जल्दी निराई करने से गांठों का विकास भी अच्छा होता है।

कीट नियंत्रण
थ्रिप्स की रोकथाम के लिए 2 प्रतिशत एमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करना चाहिए।

अवांछनीय पौधों को निकालना
बीज उत्पादन की दोनों विधियों में पौधों के आकार-प्रकार प्याज की गांठ के रूप आदि को जांचकर वृद्धि की प्रत्येक अवस्था पर अवांछनीय पौधों को निकाला जाता है।

फसल कटाई
जब पहले निर्मित बीज शीर्षों में से बीज झड़ने लगे तो फसल को काट लिया जाना चाहिए। उस समय खेत में लगभग 10 प्रतिशत बीज शीर्षों में काला हो जाता है बीज शीर्षों को तने के एक भाग सहित काट लिया जाता है। मशीनों की पूरी तरह सफाई जरूरी है, ताकि मिश्रण न हो।

बीज उपज
प्याज के बीज की औसतन उपज 850-1000 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर प्राप्त होती है।