फूलगोभी एक लोकप्रिय सब्जी हैं। भारत में इसकी कृषि के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल लगभग 3000 हेक्टेयर हैं, जिससे तकरीबन 685000 टन उत्पादन होता हैं। उत्तर प्रदेश तथा अन्य शीतल स्थानों में इसका उत्पादन व्यापक पैमाने पर किया जाता हैं। वर्तमान में इसे सभी स्थानों पर उगाया जाता हैं। फूलगोभी, जिसे हम सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं, के पुष्प छोटे तथा घने हो जाते हैं और एक कोमल ठोस रूप निर्मित करते हैं। फूलगोभी में प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, विटामिन ’ए’, ’सी’ तथा निकोटीनिक एसिड जैसे पोष्क तत्व होते हैं। गोभी को पकाकर खाया जाता हैं और अचार आदि भी तैयार किया जाता हैं। पौध रोपण के 3 से 3 माह में सब्जी योग्य फूल तैयार हो जाते हैं। फसल की अवधि 60 से 120 दिन की होती हैं। प्रति हेक्टेयर 100 से 250 क्विंटल फूल प्राप्त हो जाते हैं। उपज पौधे लगने के समय के ऊपर निर्भर करती हैं।

किस्में
  • अंगेतीः पूसा मेघना, पूसा अर्ली सिंथेटिक, पूसा कार्तिक संकर, पूसा दीपाली
  • मध्यम अंगेतीः पूसा शरद, पूसा हाइब्रिड-2
  • मध्यम पछेतीः पूसा सिंथेटिक, पूसा पौषजा, पूसाद्यशुक्ति
  • पछेतीः पूसा स्त्रोबाल के-1, पूसा स्त्रोबाल केटी 25

अंगेती
  • बीज की मात्राः 500-600 ग्राम/हे.
  • बुवाई का समयः मध्य मई से जून
  • परिपक्वता समयः सितम्बर से अक्टूबर

मध्यम अंगेती
  • बीज की मात्राः 400 ग्राम/हे.
  • बुवाई का समयः जुलाई अंत से अगस्त प्रारम्भ
  • परिपक्वता समयः नवम्बर से दिसम्बर

मध्यम पछेती
  • बीज की मात्राः 350 ग्राम/हे.
  • बुवाई का समयः अगस्त अंत से सितम्बर प्रारम्भ
  • परिपक्वता समयः दिसम्बर से जनवरी

पछेती
  • बीज की मात्राः 300 ग्राम/हे.
  • बुवाई का समयः सितम्बर-अक्टूबर
  • परिपक्वता समयः फरवरी-मार्च

बीज उपचार
कैपटान या बैविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उर्वरण व खाद
  • गोबर का खादः 50-60 टन प्रति हेक्टेयर
  • नत्रजनः 120 कि.ग्रा./हे.
  • फॉस्फोरसः 100 कि.ग्रा./हे.
  • पोटाशः 60 कि.ग्रा/हे.
    खेत की अंतिम तैयारी के समय आधी मात्रा में नत्रजन तथा आधी मात्रा में फॉस्फोरस व पोटाश भूमि में मिला दें। शेष नत्रजन को बराबर दो हिस्सों में बांट कर एक हिस्सा रोपाई के एक महीने पश्चात् निराई-गुड़ाई के साथ डालें तथा दूसरा हिस्सा फूल बनने की स्थिति में पौधों को मिट्टी चढ़ाते समय मिलाएँ। पौधों की बढ़वार कम होने की स्थिति में 2-3 बार 1.0 से 1.5% यूरिया का छिड़काव विशेषकर लाभकारी होता हैं।

खरपतवारनाशी
रोपाई से पहले स्टाम्प 3.3 लीटर या वैसलीन 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर हल्की सिंचाई करें।

रोपाई का समय
  • अंगेती फसलः 5-6 सप्ताह वाली पौध
  • मध्य व पछेती फसलः 3-4 सप्ताह वाली पौध
अन्तराल
  • अंगेती फसलः 45×30 से.मी.
  • मध्य फसलः 60×45 से.मी.

सिंचाई
अंगेती फसल में रोपाई के तुरन्त बाद तथा उसके पश्चात् साप्ताहिक अंतराल पर व मध्यम व पछेती फसल में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।


कटाई व उपज
गोभी फूलों को उनकी प्रजाति के अनुसार आकार ग्रहण करते ही विपणन के लिए तुरन्त काट लेना चाहिए। देर करने से गुणवत्ता में कमी आयेगी। कटाई उपरांत फूलों को बाजार के लिए तैयार करते समय केवल बाहर वाले बड़े पत्तों को ही हटाएँ। इससे फूलों की गुणवत्ता बनी रहेगी। विभिन्न्ा वर्गों की प्रजातियांे की पैदावार इस प्रकार होती हैं-
  • अगेती: 10 टन प्रति हे.
  • मध्य अगेती: 12-15 टन प्रति हे.
  • मध्यकालीन: 20-25 टन प्रति हे.
  • पछेती: 25-30 टन प्रति हे.

बीजोत्पादन
तापमान संवेदनशील होने के कारण केवल अगेती मध्यकालीन किस्मों के बीज ही मैदानी क्षेत्रों में पैदा किये जा सकते हैं। फूलगोभी एक परंपरागित फसल हैं तथा इसका वर्ग की अन्य फसलों से भी परागत हो जाता हैं। इसलिए प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए गोभीवर्गीय किन्हीं दो प्रजातियांे व फसलों के बीच लगभग 1600 मीटर का अन्तराल होना आवश्यक हैं। उत्तम गुणवत्ता का बीज पैदा करने के लिए अवांछनीय व रोगी पौधों को वनस्पति बढ़वार के समय, फूल बनने के समय, फूल तैयार होने के समय तथा बीज बनने वाले फूल आने पर निकाल देना चाहिए।

बीज उत्पादन के लिए खादों का प्रयोग इस प्रकार करें-
फूलगोभी तुड़ाई स्थिति में पहुँचने पर खेत में 40 कि.ग्रा. नत्रजन, 100 कि.ग्रा. फॉस्फोरस तथा 50 कि.ग्रा. पोटाश मिला दें। 40 कि.ग्रा. नत्रजन बीज डंठल निकलने पर तथा 40 कि.ग्रा. बीज फूल आने पर खेत में मिलाएँ। जब बीज-फलियाँ पीली होने लगें तो बीज फसल काट कर ढ़ेर लगा दें तथा उलट-पलट कर सुखायें। सूखने पर बीज अलग कर लें तथा साफ कर अच्छी तरह सूखा लें जिससे भण्डारण से पहले बीज में नमी 8% से कम आ जायें।

बीजउपज
  • अंगेतीः 150 कि.ग्रा./हे.
  • मध्यमः 250 कि.ग्रा./हे.

कीट प्रकोप एवं उसके नियंत्रण

हीरण पतंगा कीट (डायमंड बैक मोथ)
इस कीट की इल्लियाँ पत्तों के हरे पदार्थ को खाती हैं तथा खाई गई जग पर केवल सफेद झिल्ली रह जाती हैं जो बाद में छेदों में बदल जाती हैं।

नियंत्रण
इस कीट के नियंत्रण के लिए नीम बीज अर्क (4%) या बी.टी. 1 ग्राम/लीटर या स्पिनोसिड 45 एस.सी. 1 मि.ली./4 लीटर या एमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस.सी. 1 ग्राम/2 लीटर या इन्डोसल्फान 35 ई.सी. 3 मि.ली./लीटर या फैनवैलीरेट 20 ई.सी. 1.5 मि.ली./2 लीटर पानी का छिड़काव करें।

गोभी तितली (कैबेज बटरफलाई)
इस कीट की रोमिल इल्लियाँ झुंड में पौधों के पत्तों को खाती हैं। इल्लियाँ फूलों में घुसकर इन्हें अपने मैले से बर्बाद कर देती हैं।

नियंत्रण
शुरू में अंड समूहों व इल्लियों के झुंडों वाले पत्तों को निकाल कर नष्ट कर दें।
    जरूरत पड़ने पर नियंत्रण के लिए नीम बीज अर्क (4%) या बी.टी. 1 ग्राम/लीटर या स्पिनोसिड 45 एस.सी. 1 मि.ली./4 लीटर या एमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस.सी. 1 ग्राम/2 लीटर या इन्डोसल्फान 35 ई.सी. 3 मि.ली./लीटर या फैनवैलीरेट 20 ई.सी. 1.5 मि.ली./2 लीटर पानी का छिड़काव करें।

तम्बाकू की इल्ली (टोबैको कैटरपिल्लर)
इस कीट की इल्लियाँ शुरू में झुंड में पत्तों को खाती हैं तथा बाद में दूसरे पौधों पर भी फैल जाती हैं। फूलगोभी में इल्लियाँ फूलों में घुसकर इसे अपने मैले द्वारा बर्बाद कर देती हैं।

नियंत्रण
अंडों व इल्लियों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें।
    जरूरत पड़ने पर नियंत्रण के लिए नीम बीज अर्क (4%) या बी.टी. 1 ग्राम/लीटर या स्पिनोसिड 45 एस.सी. 1 मि.ली./4 लीटर या एमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस.सी. 1 ग्राम/2 लीटर या इन्डोसल्फान 35 ई.सी. 3 मि.ली./लीटर या फैनवैलीरेट 20 ई.सी. 1.5 मि.ली./2 लीटर पानी का छिड़काव करें। पूरे खेत की बजाए इल्लियों के झुंडों पर छिड़काव काफी प्रभावी होता हैं।

गोभी सेमी लूपर
इस की इल्लियाँ पत्तों  में गोलाकार छेद कर फसल को हानि पहुँचाती हैं।

नियंत्रण
इस कीट के नियंत्रण के लिए नीम बीज अर्क (4%) या बी.टी. 1 ग्राम/लीटर या स्पिनोसिड 45 एस.सी. 1 मि.ली./4 लीटर या एमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस.सी. 1 ग्राम/2 लीटर या इन्डोसल्फान 35 ई.सी. 3 मि.ली./लीटर या फैनवैलीरेट 20 ई.सी. 1.5 मि.ली./2 लीटर पानी का छिड़काव करें।