Vertical Farming Business Idea: अब वो दिन दूर नहीं जब तमाम फल और सब्जियां खेतों के बजाए फैक्ट्रियों में उगाई जाएंगी। धीरे-धीरे आबादी बढ़ती जा रही है और जमीन कम होती जा रही है। इसी के साथ एक नई तरह की खेती शुरू हो गई है। ये है इजराइल की तकनीक पर आधारित वर्टिकल फार्मिंग। यानी कई लेयर में फार्मिंग, लेकिन जमीन पर नहीं, बल्कि जमीन के ऊपर। महाराष्ट्र में ऐसा एक कंपनी (A S Agri and Aqua LLP) का ऐसा ही प्रोजेक्ट चल भी रहा है, जिसमें हल्दी की खेती (How to do vertical farming of turmeric) की जा रही है। हल्दी का इस्तेमाल ना सिर्फ घरों में खाने में होता है, बल्कि कॉस्मेटिक्स और फार्मा इंडस्ट्री में भी इसका बहुत अधिक इस्तेमाल (benefits of Turmeric Farming) होता है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस तकनीक से आप 1 एकड़ में 100 एकड़ के बराबर उत्पादन ले सकते हैं और हल्दी की खेती से करीब 2.5 करोड़ रुपये की कमाई (profit in Vertical Farming) कर सकते हैं।

क्या होती है वर्टिकल फार्मिंग?

वर्टिकल फार्मिंग में जीआई पाइप और करीब 2-3 फुट गहरे, 2 फुट तक चौड़े लंबे-लंबे कंटेनर्स को वर्टिकल तरीके से सेट किया जाता है। जैसा कि आप तस्वीर में भी देख रहे हैं, इसमें ऊपर का हिस्सा खुला होता है, जिसमें हल्दी की खेती होती है। वैसे तो वर्टिकल फार्मिंग अधिकतर लोग हाइड्रोपोनिक या एक्वापोनिक तरीके से करते हैं, जिसमें मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन इसमें मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए एक बड़ा शेड बनाना होता है, जिसमें खेती होती है। तापमान को 12 से 26 डिग्री के बीच में रखना होता है। तापमान को कंट्रोल करने के लिए फॉगर्स लगाए जाते हैं, जो तापमान बढ़ते ही पानी का फुहारा बरसाने लगते हैं और तापमान को हो जाता है। वर्टिकल फार्मिंग का स्ट्रक्चर जीआई से बना होता है तो वह कम से कम 24 सालों तक खराब नहीं होता। यानी एक बार बड़ा खर्चा होगा और फिर कम से कम 24 साल तक आप उसका फायदा ले सकते हैं।

कैसे की जाती है वर्टिकल फार्मिंग?


अगर हल्दी का ही उदाहरण लेकर चलें तो हल्दी के बीज को 10-10 सेमी. की दूरी पर जिग-जैग तरीके से लगाया जाता है। यानी मिट्टी भरे कंटेनर में दो लाइनों में हल्दी के बीज लगाए जाते हैं। जैसे-जैसे हल्दी बढ़ती जाती है, इसके पत्ते किनारे की जगह से बाहर की तरफ निकल जाते हैं। हल्दी को अधिक धूप की जरूरत नहीं होती और यह छाया में भी अच्छी पैदावार देती है, ऐसे में वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक से हल्दी का बहुत अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। हल्दी की एक फसल 9 महीने में तैयार हो जाती है। क्योंकि इसें मौसम का कोई असर नहीं पड़ता तो आप हार्वेस्टिंग के तुरंत बाद दोबारा हल्दी लगा सकते हैं। यानी आप 3 साल में चार बार फसल ले सकते हैं, जबकि सामान्य खेती में 1 साल में एक ही बार फसल ली जा सकती है, क्योंकि मौसम का भी ध्यान रखना होता है।

मिट्टी, पानी, सिंचाई के लिए खास उपाय

इसमें इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी बहुत ही खास होती है। सबसे पहले जमीन की मिट्टी को लैब में टेस्ट किया जाता है और पता किया जाता है कि उसमें क्या कमियां हैं। इसके बाद उसमें कोकोपीट और वर्मी कंपोस्ट मिलाई जाती है और मिट्टी में जिन चीजों की कमी होती है, उन पोषक तत्वों को अलग से डाला जाता है। इस तरह मिट्टी बहुत ही भुरभुरी हो जाती है और ऐसी मिट्टी में हल्दी अच्छी बैठती है। इसमें सिंचाई के लिए ड्रिप की व्यवस्था होती है और उसी के जरिए पोषक तत्व भी डाले जाते हैं। इतना ही नहीं, पानी भी आरओ का इस्तेमाल होता है, क्योंकि सामान्य पानी का पीएच, टीडीएस या खारापन कम-ज्यादा होने की वजह से पौधे को नुकसान हो सकता है और साथ ही पोषक तत्व भी पूरी तरह से पौधों को नहीं मिल पाते हैं।

कितनी पैदावार और कितना मुनाफा?

अगर हम मान लें कि एक एकड़ में खेती की जा रही है और कंटेनर्स की 11 लेयर लगाई हैं, जैसा की महाराष्ट्र के एक प्रोजेक्ट में हो रहा है। ऐसी सूरत में 1 एकड़ में करीब 6.33 लाख बीज लगेंगे। मान लीजिए कि 33 हजार पौधे किसी वजह से मर जाते हैं, तो भी 6 लाख पौधे बचेंगे। इस तकनीक से एक पौधे में औसतन 1.67 किलो तक का उत्पादन हो सकता है यानी प्रति एकड़ आपकी पैदावार लगभग 10 लाख किलो (करीब 1100 टन) होगी। इस हल्दी को बेचने से पहले प्रोसेस करना होता है। इसे पहले उबाला जाता है, फिर सुखाकर पॉलिस की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद करीब एक चौथाई या उससे थोड़ी ज्यादा हल्दी ही मिलती है। इस तरह आपको करीब 250 टन हल्दी मिल जाएगी। अब अगर आपकी हल्दी का भाव 100 रुपये प्रति किलो भी मिलता है तो आपकी हल्दी 2.5 करोड़ रुपये की बिकेगी। अगर बीज और खाद आदि की लागत 50 लाख रुपये भी मान लें तो 2 करोड़ रुपये का मुनाफा। हालांकि, पहली बार इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी खर्च होगा, लेकिन वह भी अधिकतम 2 साल में निकल आएगा और फिर उसके बाद फायदा ही फायदा।

वर्टिकल फार्मिंग के फायदे भी जानिए

  1. इसमें खेती करने के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना होता, यानी आप जब चाहे तब खेती कर सकते हैं।
  2. हल्दी में सबसे अहम एलिमेंट होता है crucumin और इस तरह की खेती से हल्दी में वह 5 फीसदी से भी अधिक होता है, जबकि सामान्य खेती में इसकी मात्रा 2-3 फीसदी होती है।
  3. यह खेती पूरी तरह से बंद जगह में होती है, ऐसे में कीट-पतंगों से नुकसान या बारिश या आंधी-तूफान से नुकसान की आशंका भी नहीं रहती, बशर्ते आपके शेड को कोई नुकसान ना पहुंचे।
  4. इस तरह की खेती में सिंचाई में पानी की भी खूब बचत होती है। हालांकि, फॉगर्स में पानी खर्च होता ही है।