चीन ने उर्वरक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक के दाम में तेजी की उम्मीद है। भारत में चीन से हर साल बड़े स्तर पर उर्वरक आयात होता है।
चीन ने अपने घरेलू बाजार में सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों से केमिकल उर्वरक के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश दिया है। चीनी सरकार के इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक की कीमतों पर असर पड़ेगा। चूंकि, भारत में केमिकल उर्वरक का एक बड़ा हिस्सा चीन से भी आयात होता है, ऐसे में भारत में उर्वरक की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है। रेटिंग एजेंसी इकरा ने सोमवार को इसका जिक्र करते हुए यह भी कहा कि वैश्विक बाजार में पहले ही उर्वरक की सप्लाई बाधित है। चीन ही दुनिया का सबसे बड़ा उर्वरक उत्पादक देश है। यहां हर साल कुल वैश्विक जरूरत का 31 फीसदी यूरिया और 42 फीसदी डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का उत्पादन होता है।
दरअसल, चीन में बढ़ते एनर्जी खर्च और सप्लाई में कमी की वजह से घरेलू खपत के लिए उर्वरक की उपलब्धता कम हो रही थी। इस समस्या को देखते हुए चीन सरकार ने सभी उर्वरक उत्पादक कंपनियों को आदेश दिया कि वे तत्काल प्रभाव से इसके निर्यात को रोक दें। चीन ने यह फैसला पिछले सप्ताह ही लिया था।
इकरा के ग्रुप हेड और सीनियर वाइस प्रेसीडेंट सब्यासाची मजूमदार के अनुसार, चीन से भारत की जरूरत का 29 फीसदी यूरिया और 27 फीसदी DAP का आयात होता है. पिछले वित्त वर्ष में चीन ने 54.6 लाख टन यूरिया और 54.8 लाख टन DAP का निर्यात किया था। यह कुल वैश्विक ट्रेड का क्रमश: 11 फीसदी और 32 फीसदी है।
बढ़ती कीमतें और महंगाई की दोहरी मार
मजूमदार ने कहा, ‘चीन द्वारा उर्वरक के निर्यात से कम सप्लाई से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों पर असर पड़ेगा. पहले हमें उम्मीद थी कि वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उर्वरक की कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी, लेकिन अब रबी सीज़न तक कीमतों में कटौती की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है. इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में तेजी और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से भारत में एक बार फिर किसानों को सरकार द्वारा सब्सिडी का पूरा लाभ नहीं मिल सकेगा।
सरकार से 10-15 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की उम्मीद
इकरा का अनुमान है कि मौजूदा दरों में कम से 1 से 1.1 लाख करोड़ रुपये के सब्सिडी की जरूरत है। वर्तमान में फर्टीलाइजर सेक्टर के लिए सब्सिडी करीब 94,275 करोड़ रुपये की है। ऐसे में उम्मीद है कि केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 10 से 15 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी का आवंटन कर सकती है।
खरीफ सीज़न में कितने उर्वरक की जरूरत
गौरतलब है कि भारतीय उर्वरक उद्योग घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर सबसे ज्यादा निर्भर है। उर्वरक एवं रसायन मंत्री मनसुख मंडाविया ने पिछले सप्ताह ही राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि मौजूदा खरीफ सीज़न के लिए देश में 177.5 लाख टन यूरिया, 65.2 लाख टन DAP, 20.2 लाख टन MOP और करीब 61.9 लाख टन NPKS उर्वरक की जरूरत है।
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