निलेश कुमार (एम. टेक.) 
जीत राज (पी.एच डी. स्कॉलर)
मृदा एवं जल अभियांत्रिकी
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

हम सभी जानते है कि आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग से सारी बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक कर सकते है। कमजोर स्वास्थ्य होने पर कोरोना का असर अधिक और तुरंत दिख रहा है। ऐसे में निरंतर योग और आयुर्वेदिक औषधियों के साथ आप अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति बड़ा सकते है, इसलिए आयुर्वेदिक औषधियों के न्यूट्रिशनल समावेश एवं उनके उपयोग के बारे में जानना बहुत जरुरी है, जिनका उपयोग हम वर्तमान परिवेश में रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाये रखने एवं कोविड-19 से बचाव में कर सकते है।

तुलसी (ऑसीमम सैन्क्टम)- तुलसी के पौधे का घर में होना हमारी संस्कृति में बड़ा ही शुभ एवं पवित्र माना जाता है, भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा भी की जाती है। आइये जानते है तुलसी में पाए जाने वाले प्रमुख जैव रसायन तत्व एवं उनके उपयोग करने के तरीके- इसमें लिनालूल (30-40%) पाया जाता है, जो की शरीर चहुँमुखी विकास करने में सहायक होता है। यूजेनॉल (8-30%) पाया जाता है जो की जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी, संक्रमण से बचाव के लिए उत्तम होता है। मिथाइल चैविकोल (15-27%) मन और नसों के लिए उत्कृष्ट टॉनिक है, जो मांसपेशियों में दर्द के लिए भी अच्छा होता है। तुलसी में विशेष प्रकार के प्राकृतिक तेल कैफीन-सिनेोल और यूजेनॉल होते हैं, जो रक्त-संकुलन में मदद करते है, वातावरण को शुद्ध रखते है, मस्तिष्क को शांत रखते है, और तनाव से दूर रखते है। ये सभी गुण तुलसी को कोविड-19 में उपयोग में उपयुक्त बनाती है ।


एंटी-वायरल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होने के कारण, तुलसी बैक्टीरिया और माइक्रोबियल संक्रमण के साथ-साथ एलर्जी और अस्थमा जैसे प्रतिरक्षा संबंधी विकारों के इलाज के लिए बेहद उपयोगी है। यह विटामिन सी और जिंक सें समृद्ध होता है, जिससे यह प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करता है, इस प्रकार इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार के बाहरी संक्रमण से बचा जा सकता है ।

नुकसान/सावधानियां- गर्भवती महिलाओ को तुलसी के अधिक सेवन से गर्भ को नुकसान हो सकता है, डाइबटीज में भी इससे खतरा हो सकता है, इससे ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाता है साथ ही तुलसी के सेवन से फर्टिलिटी पर नकारात्मक असर होता है। तुलसी की पत्त्तियां खून को पतला करने के लिए जानी जाती है। तुलसी को चबाने से दाँतो पर दाग भी पड़ सकते है इसिलिए इसे निगल जाना चाहिए। तुलसी के पत्तियों का सेवन हमेशा धोकर ही करें।

गिलोय (टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया)- गिलोय को गुडूची, अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल (नीम गिलोय) को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है।

गिलोय में पाए जाने वाले नुट्रिएंट्स एवं उनके उपयोग- मैग्नीशियम (6.41%) उच्च विकारों, उच्च रक्तचाप और अवसाद रोकने में सहायक होता है। क्रोमियम (0.006%) रक्त शर्करा नियंत्रण, रक्त से ऊर्जा अवशोषण, वसा द्रव्यमान नियंत्रण। पोटेशियम (0.9%) आयनिक संतुलन, हृदय की लय को नियंत्रित करना। आयरन (0.3%)  हीमोग्लोबिन का निर्माण, ऑक्सीजन का संचार। कैल्शियम (0.13%) हड्डियों और दांतों का महत्वपूर्ण घटक। जस्ता (0.12%) ऊतकों की वृद्धि और मरम्मत। फॉस्फोरस (0.571%) कोशिका वृद्धि एवं मरम्मत, हड्डियों के विकास, गुर्दे के कार्य एवं नाइट्रोजन भोजन के पाचन और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इनके अलावा इसमें कई प्रकार के फाइटोकेमिकल्स अल्कलॉइड, फाइटोस्टेरोल, एवं ग्लाइकोसाइड इत्यादि होते हैं। इन समवेशो के कारण गिलोय का उपयोग इम्युनिटी वृद्धि, सर्दी-जुकाम-कफ, एलर्जी, आस्थमा, विटामिन्स की कमी इत्यादि एवं वत्र्तमान परिवेश में कोविड-19 के बचाव में किया जा सकता है।

नुकसान/साइडिफेक्ट- इतने सारे फायदों के आलावा इसके इस्तेमाल के कुछ नुकसान भी है, छोटे बच्चो के 2.5 मि. लि. से अधिक सेवन से उन्हें नुकसान हो सकता है, गिलोय के अधिक सेवन से एंटी-इम्युनिटी का खतरा बढ़ जाता है, इसके आलावा लो ब्लड प्रेशर, गर्भवती महिलाओं एवं सर्जरी वालो के लिए यह नुकसान दायक हो सकता है।

नीम (अजदिरचता इंडिका)- नीम स्वाद में कड़वा होता है, लेकिन नीम जितनी कड़वी होती है, उतनी ही फायदेमंद भी होती है। नीम के पत्तों को रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा नीम के पत्तों में विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी और केर्सटिन, जिंक जैसे 140 से अधिक यौगिक होते हैं। मौखिक रूप से इनका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसीलिए इसका उपयोग इम्मुनिटी बढ़ाने और एन्टीबॅक्टेरिअल के रूप में कोविड-19 के खिलाफ किया जा सकता है। नीम स्वास्थ्यवर्धक एवं आरोग्यता प्रदान करने वाली औषधि है, नीम की पत्तियाँ खाने से मुँह एवं शरीर के अंदर के हानिकारिक बैक्टीरिया साफ होते है, यह खून सॉफ करता है, जीभ में स्वाद ना आना, शरीर मे ऊर्जा का बना रहना, सर्दी-खासी में, जैसे सैकड़ो परेशानियों से राहत दिलाता है।


नुकसान/साइडिफेक्ट- नीम के ज्यादा सेवन से किडनी को खतरा होता है, ब्लड प्रेशर का संतुलन बिगड़ सकता है, पेट में जलन एवं एलर्जी का खतरा हो सकता है।

हल्दी (करकुमा लोंगा)- आयुर्वेदिक दृष्टि से हल्दी एक महत्वपूर्ण औषधि है, तथा भारतीय रसोई में इसका महत्वपूर्ण स्थान भी है। हल्दी प्रोटीन, खनिज और करबोहाईड्रेट के साथ-साथ कई आवश्यक विटामिनों का समृद्ध स्रोत है, पाइरिडोक्सिन, विटामिन बी-6, विटामिन C, कोलीन, नियासिन और राइबोफ्लेविन, तथा इसमें कैल्शियम, लोहा, पोटेशियम, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, और मैग्नीशियम, जैसे खनिजों की प्रचुर मात्रा मात्रा पायी जाती है। हल्दी के औषधीय गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के साथ ही साथ खांसी और सर्दी के इलाज में मदद करते है। इसमे एक तेल करक्यूमिन होता है, जो एंटीऑक्सिडेंट होता है। हल्दी पाचन तन्त्र की समस्याओं, रक्त-प्रवाह की समस्याओं, बैक्टीरिया के संक्रमण, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल की समस्या और शरीर की कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत में लाभकारी है। इन सभी गुणो के कारण इसका उपयोग कोविड-19 में करना फायदेमंद होगा।

नुकसान/साइडिफेक्ट- पीलिया और पथरी होने पर हल्दी बहुत घातक हो सकती है। डायबिटीज के मरीजो को सावधानी पूर्वक इसका सेवन करना चाहिए क्योंकि ज्यादा सेवन से ब्लड शुगर कम हो जाता है। हल्दी के ज्यादा सेवन से पेट की गर्मी, चक्कर आना, उल्टी व दस्त लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

अदरक (जिंजिबर ऑफिसिनेल)- अदरक वाली चाय सबको अच्छी लगती ही है, भोजन के पहले अदरक के कुछ टुकड़े लेने से भुख बढ़ जाती है, भोजन के मध्य लेने से गैस नहीं बनती एवं भोजन के बाद लेने से खाया हुआ अच्छे से पचाता है। ये हमारी रसोई में पाए जाने वाला सबसे साधारण मसाला एवं औषधि है।
    अदरक की अनोखी खुशबू और स्वाद इसमें मौजूद प्राकृतिक तेलों से आती है, अदरक के मुख्य जैव सक्रिय यौगिक जिंजरोल में शक्तिशाली एंटी ऑक्सिडेंट प्रभाव होता है, यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है, संक्रमणों के जोखिम को कम करने में मदद करता है। अदरक का उपयोग विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं के विकास को रोकता है। ताजा अदरक श्वसन संकरी वायरस (आरएसवी), श्वसन संक्रमण के एक सामान्य कारण के खिलाफ भी प्रभावी है। यह विटामिन सी, मैग्नीशियम पोटेशियम, फॉस्फोरस, जिंक, तांबा, मैंगनीज, आयरन का एक अच्छा स्त्रोत है। जिसकी वजह से इसका उपयोग निम्न परिस्थितियों में किया जा सकता है पाचन-तंत्र तंदरुस्त रखने में, सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों में, रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि, ह्रदय रोग, रक्त विकार इत्यादि।

नुकसान/साइडिफेक्ट- मंद एवं उच्चब्लड प्रेशर वालो को अदरक का ज्यादा सेवन नुकसान पहुँचा सकता है, डाईबेटिज वालो के शरीर में खून की कमी कर सकता है, एसिडिटी की समस्या हो सकती है, एवं सोने से पहले अदरक का सेवन करने से नींद न आना जैसी समस्या हो सकती है। अदरक का बहुतायत उपयोग काढ़ा बनाकर किया जाता है।

टीप- उपरोक्त आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग चिकित्सकीय सालह से किया जावें ।