अंजली धृतलहरे, डाॅ. बी.एस. राजपूत, डाॅ. नूतन रामटेके, अतुल डांगे, सुरभि जैन, आशीष गौरव शुक्ला
कृषि विज्ञान केन्द्र, राजनांदगांव

पिछले तीन-चार दशक से अधिक उपज देने वाली किस्मो का उत्पादन हो रहा है जिससे भूमि दोहन भी अधिक हो रहा है। भूमि के अत्यधिक दोहन से भूमि मे व्याप्त पोषक तत्वो का स्तर भी कम हो रहा है। कृषक बंधुओं द्वारा रासायनिक खाद का उपयोग तो हो रहा है परंतु जैविक खाद के कम व न उपयोग करने से मृदा में उपस्थित पोषक तत्व स्थिर अवस्था मे रहते है तथा वे लीचिंग द्वारा मृदा जल के साथ बह कर नही निकल पाते है। इस प्रकार वर्तमान समय मे वैज्ञानिक द्वारा मिट्टी की जाँच पर आधारित उर्वरको की सिफारिश की जा रही है। मिट्टी की जाँच से खेत मे उपलब्ध पोषक तत्वो की मात्रा का पता तो चलता ही है। साथ ही मृदा की भौतिक संरचना, मृदा अम्लीयता व क्षारीयता , कार्बनिक पदार्थ तथा किसी फसल विशेष के लिए भूमि की उपयुक्तता का भी पता चलता है।

मिट्टी परीक्षण क्या है-
खेत की मिट्टी में पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्राओं का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आंकलन करना साथ ही विभिन्न मृदा विकास जैसे मृदा- लवणीयता,क्षारीयता एवं अम्लीयता की जांच करना मिट्टी परीक्षण कहलाता है ।

मिट्टी परीक्षण के उद्देश्य-
  • मिट्टी में पोषक तत्वों के स्तर की जांच करके फसल एवं किस्म के अनुसार तत्वों की सन्तुलित मात्रा का निर्धारण कर खेत में खाद एवं उर्वरक मात्रा की सिफारिश हेतु ।
  • मृदा अम्लीयता, लवणीयता एवं क्षारीयता की पहचान एवं सुधार हेतु सुधारको की मात्रा व प्रकार की सिफारिश कर इन जमीनो को कृषि योग्य बनाने हेतु महत्वपूर्ण सलाह एवं सुझाव देना ।
  • फल के बाग लगाने के लिये भूमि की उपयुक्तता का पता लगाना ।
  • मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार करने के लिये। यह मानचित्र विभिन्न फसल उत्पादन योजना निर्धारण के लिये महत्वपूर्ण होता है तथा क्षेत्र विशेष में उर्वरक उपयोग संबंधी जानकारी देता है।
नमूना एकत्रीकरण हेतु आवश्यक सामग्री
खुरपी, फावडा, बाल्टी या ट्रे, कपडे एवं प्लास्टिक की थैलियां, पेन, धागा, सूचना पत्रक, कार्ड आदि।

मिट्टी नमूने के औजारों का चयन


नमूने लेने की सही समय व विधि
  • फसल कटाई के 15 दिन के उपरान्त मृदा नमूने ले सकते है।
  • खेतो के जुताई के पुर्व ग्रीष्मकालीन (मार्च- जून) मृदा नमूने लेने की सही समय होता है ।
  • 1 एकड़ में टेढ़े- मेढ़े 15-20 निशान लगा लें।
  • यदि पूरा खेत बहुत अघिक समानता वाला हो तो एक हेक्टेयर से केवल एक नमूना भी बनाया जा सकता हैं।
मृदा नमूने की गहराई


मिट्टी नमूना लेने की विधि
  1. खेत की मिट्टी की बनावट, ढलान, फसल की दृष्टि से समान नही हो तो खेत को विभिन्न टुकड़ो मे बांटकर प्रत्येक क्षेत्र से अलग-अलग नमूना लेना चाहिए।
  2. अब एक समान वाले खेत को 1 से 2.5 एकड़ के खण्ड में बांटकर प्रत्येक खण्ड को नाम दे देते है। इन खण्डो को किसान भाई अक्षरो से (A, B आदि) या नम्बरो (1,2 आदि) से चिन्हांकित कर सकते है।
  3. प्रत्येक खण्ड से 10 से 15 स्थानो से नमूना लेना चाहिए।
  4. नमूना लेने के लिए सबसे पहले सतह पर उगी हुई घास इत्यादि हटाकर साफ कर लेवे। तदउपरांत खुरपी व फावड़े की सहायता से V आकार का लगभग 15 से 20 सेमी गहराई तक गढ्ढा बनाया जाता है।
  5. अब इसकी दीवार के साथ पूरी गहराई तक 2 से 2.5 सेमी मोटी एक समान परत काट कर निकाल लेवे।
  6. प्रत्येक खण्ड के सम्पूर्ण स्थानों से निकाली गई मिट्टी को मिलाकर एक ढेर बनाकर (+)  धन का निशान बनाते हुए ढेर को चार बराबर भागो मे बांटते हैै।
  7. आमने-सामने के दो भागो की मिट्टी को हटाकर शेष दो भागो की मिट्टी मिलाकर एक ढेर बनाते है इस प्रकार यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है। जब तक मिट्टी का ढेर आधा किलोग्राम न रह जाये।
  8. अब इस आधा किलो मिट्टी को थैली मे भरकर नमूना पत्रक के साथ थैली को सील कर दिया जाता हैै। नमूना पत्रक मे कृषक का नाम, पता, खेत का नाम या नंबर, बोई जाने वाली फसल का नाम व किस्म, समस्याग्रस्त क्षेत्र हो तो भूमि सुधार हेतु किये गये प्रयास आदि भरे जाते है।
  9. सील थैली का नजदीकी विश्वसनीय परीक्षण लैब मे भेजना चाहिए। 15 दिन उपरांत लैब से परीक्षण प्राप्त कर अनुशंसीत क्रियाएं अपनाये।

क्र

फसल

गहराई

1

अनाज, दलहन, तिलहन,गन्ना, कपास, चारे, सब्जियों तथा मौसमी फूलो

0-15 cm

2

फलदार वृक्ष

2 m


मिट्टी लेने के लिए स्थान का चुनाव
कृषक बंधुओ को एक समान वाले खेतो से मिट्टी का नमूना लेना चाहिए। खेत का नमूना बुआई के एक महीने पहले लेवे। तथा निम्न स्थानो से नमूना नही लिया जाना चाहिए।
  1. खाद या कम्पोस्ट वाले ढेर, नीची जमीन या पानी की नाली के नजदीक वाले स्थानो से न लेवे।
  2. खड़ी फसल वाले खेत से नमूना न लेवे।
  3. वर्षा के बाद व उर्वरक, ताजी खाद, चूना या अन्य कोई भूमि सुधारक रसायन उपयोग होने के तुरंत बाद नमूना न लेवें।
  4. खेत मे उगे किसी पेड़ की जड़ वाले क्षेत्र, असाधारण स्थान, रास्ता, सिंचाई की नाली पुरानी मेड़ आदि से नमूना न लेवे।
मिट्टी की जाँच से मिलने वाली जानकारी
  1. पी. एच. मान:- यह मृदा की क्षारीयता व अम्लीयता दर्शाता है। इसके आधार व लवणीय भूमि के सुधार व प्रबंधन के बारे मे सिफारिश दी जाती है।
  2. जैविक कार्बन एवं उपलब्ध नत्रजन (C-N ratio):- इससे कृषक बंधु फसल द्वारा और चाही गई नत्रजन व कार्बनिक पदार्थ ज्ञात कर संतुलित उर्वरक प्रयोग कर सकता है।
  3. उपलब्ध फास्फोरस व उपलब्ध पोटाश के बारे मे भी जानकारी व सिफारिश प्राप्त होती है।
  4. विद्युत चालकता:- विद्युत चालकता से घुलनशील लवणों के बारे मे जानकारी प्राप्त होती है जिससे लवणो को सहन करने वाली फसलो के चुनाव करने एवं भूमि सुधार के उपाय अपनाने मे सहायता मिलती है।
  5. सुक्ष्म पोषक तत्वः- जिंक, आयरन, काॅपर, बोरान, सल्फर, कैल्शियम, मैग्निश्यम के सुक्ष्म पोषक तत्व बारे मे जानकारी व सिफारिश प्राप्त होती है।
इस प्रकार किसान भाइयों को मिट्टी परीक्षण वर्तमान समय मे निःतांत आवश्यक है। ये परीक्षण आप निम्न स्थानो मे करवा सकते है
  1. कृषि विज्ञान केन्द व कृषि महाविद्यालय
  2. राज्य सरकार द्वारा संचालित मृदा प्रयोगशाला
  3. कृषि विभाग की प्रयोगशाला
    वर्तमान में कृषक बंधुओ हेतु एक मृदा विश्लेषण किट तैयार किया गया है। जिसे कृषक बंधु स्वतः प्रयोग कर मृदा उर्वरक व घटक की जानकारी प्राप्त कर सकता है। ये किट किसी भी उपरोक्त वर्णित संस्थानो से क्रय कर उपयोग किया जा सकता है।

मिट्टी जांच संबंधी सूचना पत्रक
निम्न जानकारी लिखा हुआ सूचना पत्रक नमूनो के साथ रखे एवं उपर बांधे-


मिट्टी जांच संबंधी सूचना पत्रक की अवधि 3 वर्ष तक मान्य होती है