डॉ. रंजीत सिंह राजपूत एवं श्री विजय कुमार
कृषि विज्ञान केन्द्र, कोरिया (छ.ग.)

मशरूम की खेती सबसे लाभदायक कृषि व्यवसाय में से एक है जिसे आप कम खर्च और कम जगह के साथ शुरू कर सकते हैं। भारत में मशरूम की खेती धीरे-धीरे कई लोगों की आय के वैकल्पिक स्रोत के रूप में बढ़ रही है।सफेद बटन मशरूम की बाजारों में सबसे अधिक मांग है, इसलिए सबसे अधिक किसान व्यावसायिक रूप से मशरूम की खेती के लिए इस किस्म का चयन करते हैं। बटन मशरूम निम्न तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है। लेकिन अब ग्रीन हाउस तकनीक एवं नियंत्रित अवस्था द्वारा यह हर जगह उगाया जा सकता है। मशरूम पोषक तत्व युक्त, गुणकारी, पाचनशील, स्वादिष्ट उपयोगी सब्जी है. मशरूम से हमारे शरीर को काफी मात्रा में प्रोटीन, खनिज-लवण, विटामिन बी, सी व डी मिलती है जो अन्य सब्जियों की तुलना में काफी ज्यादा होती है. इसमें मौजूद फोलिक अम्ल की उपलब्धता शरीर में रक्त बनाने में मदद करती है, इसका सेवन मनुष्य के रक्तचाप, हृदयरोग, में लाभकारी होता है।

बटन मशरूम उगाने का सही समय
बटन मशरूम उगाने का सही समय अक्टूबर से मार्च के महीने में होता है, इन छः महीनों में दो फसलें उगाई जाती हैं. बटन खुम्बी की फसल के लिए आरम्भ में 22-26 तापमान की आवश्यकता होती है, इस ताप पर कवक जाल बहुत तेजी से बढ़ता है बाद में इसके लिए 16-18 ताप ही उपयुक्त रहता है. इससे कम ताप पर फलनकाय की बढ़वार बहुत धीमी हो जाती है.

बटन मशरूम के लिए आवश्यक सामग्री:-

1. कम्पोस्ट के लिये (गेहूं भूसा/सरसो भूसा/पराली या पैरा भूसा)का 10-12 सेंमी लम्बाई में कटा हुआ भूसा - 300 किलो ग्राम

2. बटन मशरूम बीज ( स्पाॅन) - 3 किलो ग्राम

3. गेहूं की चोकर/भूसी या धान चोकर/भूसी - 20 किलो ग्राम

4. कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट- 9 किलो ग्राम

5. यूरिया - 4.5 किलोग्राम

6. पोटाश - 3.0 किलोग्राम,

7. सिंगल सुपर फास्फेट - 3.0 किलोग्राम

8. जिप्सम - 30

9. शीरा - 5.0 किलोग्राम।

10. फावड़ा - पलटी करने के लिए

11. फार्मेलडीहाईड (फार्मेलिन) - 500 मिली. भूसा उपचार, फर्श उपचार एवं कीट, रोग के बचाव के लिए उपयोग किया जाता है

12. कार्बेन्डीजिम (बाविस्टीन) कवकनाशी - भूसा उपचार एवं रोगों के बचाव के लिए आवश्यकतानुसार उपयोग करें ।

13. लिंण्डेन या डीडीवीपी (डाइक्लोरोवास) कीटनाशक - फर्श, खिड़की उपचार एवं कीट के बचाव के लिए आवश्यकतानुसार उपयोग किया जाता है ।

14. लाइट ट्रैप - कीट को आकर्षित करने के लिए

15. स्प्रेयर - समय अनुसार कीटनाशक दवाई ध् फार्मेलिन के छिड़काव करने के लिए

16. पानी - आवश्यकतानुसार

17. पॉलिथिन ( लंबाई आवश्यकता अनुसार ) - कंपोस्ट/केशिंग पदार्थ को ढंकने के लिए

18. पॉलिथिन बैग - अगर रैक पद्धति या फर्श मे रखकर करना है तो कंपोस्ट को भरने के लिए, पॉलीथिन बैग की आकार 12‘‘×18‘‘,14‘‘×19‘‘ या 18‘‘×24‘‘की आवश्यकता होगी ।

19. जगह - स्थायी शेड 12×10×10 फीट, अस्थाई शेड/झोपड़ी - 30×22×12 (लम्बाई × चैड़ाई × ऊंचाई) फीट
वर्षभर खेती के लिए - 2 से 3 एसी या कूलर - 2 से 3

20. नमी तापमापी यंत्र (Digital hygrometer/thermometer)

जलवायु संबंधी आवश्यकताएं-
मशरूम पर्यावरण नियंत्रित फसल घरों में उगाए जाते हैं। यह वनस्पति विकास के लिए 20-28-डिग्री सी और प्रजनन वृद्धि के लिए 16- 18 डिग्री सी की आवश्यकता होती है, अर्थात फलों के शरीर के निर्माण के लिए। 80-90ः के सापेक्ष आर्द्रता और फसल के दौरान वेंटिलेशन की भी आवश्यकता होती है।

बटन मशरूम खेती की प्रक्रिया-
आइए मशरूम खेती की प्रक्रिया को चरण-दर-चरण समझते हैं-

1. मशरूम स्पॉन उत्पादन एवं व्यवस्था
मशरूम बीज को स्पाॅन कहते हैं । मशरूम स्पॉन को प्रयोगशालाओं में उत्पादित किया जा सकता है या अन्य स्रोतों से खरीदा जा सकता है। जैसे कि कृषि महाविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, शासकीय महाविद्यालय जैव प्रौद्योगिकी विभाग या अन्य (कृषि/उद्यानिकी ) विभागों से संपर्क कर मंगाया जा सकता है।

2.कम्पोस्ट( खाद ) तैयार करना
बटन मशरूम (खुम्ब) की खेती के लिए एक विशेष प्रकार की खाद तैयार की जाती है, जिसे कम्पोस्ट कहते है।

कम्पोस्ट निम्नलिखित प्रकार से तैयार की जा सकती है, जैसे-
1. छोटी विधि 2.लम्बी विधि

कम्पोस्ट बनाने की लघु (छोटी ) विधि
दोनों ही विधियों में कम्पोस्ट मिश्रण को बाहर फर्श पर सड़ाया जाता है, जिनमें से एक लघु विधि है, जिसका प्रयोग बड़े फार्मों पर किया जाता है। इस लघु विधि में लगभग 10 दिनों बाद कम्पोस्ट मिश्रण को एक विशेष कमरे में भर दिया जाता है, जिसे निर्जीवीकरण चैम्बर या टनल के नाम से जाना जाता है। निर्जीवीकरण चैम्बर का फर्श जालीदार बना होता है, उसमें ब्लोअर (पंखा) द्वारा नीचे से हवा प्रवाहित की जाती है जो समस्त कम्पोस्ट से गुजरती हुई ऊपर की ओर निकल जाती है।इसी तरह कम्पोस्ट में ब्लोअर द्वारा हवा को लगातार 6-7 दिन तक घुमाया जाता है।

कम्पोस्ट बनाने की दीर्घ (लंबी ) विधि
जो किसान छोटे स्तर पर मशरूम की खेती करते हैं, वह किसान दीर्घ विधि द्वारा कम्पोस्ट तैयार करने की तकनीक को ही अपनाते हैं।

कम्पोस्ट बनाने की शुरूआत
श्वेत बटन मशरूम (खुम्ब) की खेती के लिए लम्बी (दीर्घ) विधि द्वारा सबसे पहले भूसे को पक्का फर्श पर या किसी साफ स्थान पर लगभग एक फीट मोटी तह के रूप में फैलाकर दो दिन तक पानी से अच्छी तरह से गीला किया जाता है। भूसे पर पानी डालने के साथ-साथ फावड़ा से पलटते रहना चाहिए। इसके बाद नीचे दिए कार्यक्रम के अनुसार कम्पोस्ट बनानी चाहिए।

0-दिन
पहले दिन गीले भूसे को एक फीट मोटी तह में बिछाकर रसायन उर्वरक जैसे 6.0 किलोग्राम कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट (किसान खाद) , 2.5 किलोग्राम यूरिया, 3.0 किलोग्राम सुपर फास्फेट, 3.0 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 15 किलोग्राम गेहूं की चोकर फैलाकर कर अच्छी तरह से मिला दें। इसके बाद भूसे का 5 फीट ऊंचा, 5 फीट चैड़ा और सुविधानुसार लम्बाई में ढ़ेर बना दें। भूसे का ढेर बनाने के 24 घण्टे बाद ही ढेर के अन्दर का तापमान बढ़ने लगता है। ढेर के मध्य भाग में तापमान 70 से 80 डिग्री सेल्शियस और बाहरी हिस्से में तापमान 50 से 60 डिग्री सेल्शियस तक हो जाता है।

पहली पलटाई (6वें दिन) -
ढेर के बाहरी भाग हवा में खुले रहने के कारण सूख जाता है जिससे खाद अच्छी तरह से नहीं सड़ती है। खाद की सामग्री के हिस्से को सही तापमान पर पहुंचाने के लिए खाद की पलटाई की जाती है। ढेर की पलटाई करते समय यह ध्यान अवश्य रखें कि ढेर के बाहर का भाग अन्दर तथा अन्दर का भाग बाहर आ जाए तथा बाहर के सूखे भाग पर पानी का हल्का छिड़काव कर दें। इस पलटाई के समय शेष 3.0 किलोग्राम किसान खाद, 2 किलोग्राम यूरिया तथा 5 किलोग्राम चोकर मिलाने के बाद ढेर को दोबारा से 0 दिन जैसे आकार में बना दें।

दूसरी पलटाई (10वें दिन) -
खाद के ढेर के बाहरी भाग के एक फीट भाग को अलग निकाल कर इस पर पानी का छिड़काव करके पलटाई करते समय ढेर के बीच में डाल दें। इस पलटाई के समय खाद में 5.0 किलोग्राम शीरा 10 लीटर पानी में घोलकर सारे खाद में अच्छी तरह मिलाकर पहले की तरह ही पुनः ढेर बना दें।

तीसरी पलटाई (13वें दिन) -
खाद की दूसरी पलटाई की तरह ही तीसरी पलटाई करें। खाद के बाहर के सूखे भाग पर पानी का हल्का छिड़काव जरूर करे। खाद में नमी की मात्रा न तो कम और नहीं अधिक होनी चाहिए। इस पलटाई पर खाद में 30.0 किलोग्राम जिप्सम को भी मिला देना चाहिए। खाद के ढेर को ठीक उसी तरह से तोड़ना चाहिए जैसे कि 10वें दिन दूसरी पलटाई पर तोड़ा गया था और फिर पुनः वैसे ही आकार का ढेर बना देना चाहिए।

चैथी पलटाई (16वें दिन) -
खाद के ढेर को पलटाई देकर फिर से पहले जैसा ढेर बना देना चाहिए तथा खाद में नमी की उचित मात्रा बनाएं रखें।!कीटनाशक 0.5 एमएल प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव करे।

पांचवीं पलटाई (19वें दिन) - 
आसपास फार्मलिन 4 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।

छठी पलटाई (22वें दिन ) -
आसपास फार्मलिन 4 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें, साथ ही कम्पोस्ट को सूंघकर देखें, यदि अमोनिया की गन्ध हो तो पलटाई ठीक से करें।

सातवीं पलटाई (25वें दिन )-
इस पलटाई में कम्पोस्ट में अमोनिया की गन्ध बिल्कुल नहीं होनी चाहिए और यदि है, तो एक बार और एक दिन बाद पलटाई करें, क्यों कि इससे पैदावार घटेगी और कोप्राइनस का प्रकोप सर्वाधिक रहेगा।

28वें दिन - 
सातवीं पलटाई के 3 दिन बाद खाद का परीक्षण अमोनिया तथा नमी के लिए किया जाता है। यदि खाद में अमोनिया गैस की बदबू नहीं आ रही है और नमी की मात्रा भी उचित है, तो खाद बीजाई के लिए तैयार समझी जाती है। बीजाई से पहले खाद के ढेर को ठण्डा होने के लिए खोल देना चाहिए।

मशरूम की बीजाई (स्पॉनिंग)
100 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद की बीजाई के लिए 750 ग्राम से 1 किलो ग्राम तक बीज पर्याप्त रहता है। इसमें स्पॉन को समान रूप से खाद के साथ मिलाया जाता है ।

1. स्पॉट स्पॉनिंग- कम्पोस्ट की गांठ बनती है और स्पॉन मिलाया जाता है।

2. सरफेस स्पॉइंग- जिसमें स्पॉन खाद के ऊपर फैला होता है और फिर ऊपरी सतह पर 3-5 सेमी तक कम्पोस्ट फैलाते हैं।

3. लेयर स्पॉनिंग- स्पॉन और खाद की 3-4 परतें तैयार की जाती हैं और खाद की ऊपरी ऊपरी परत तैयार की जाती है।

बीजित खाद को पॉलीथीन के थैलों में भरना
श्वेत बटन मशरूम (खुम्ब) की खेती के लिए किसी हवादार कमरे में लोहे या बांस या अन्य प्रकार की मजबूत लकड़ी की सहायता से लगभग दो-दो फुट की दूरी पर कमरे की ऊँचाई की दिशा में एक के उपर एक मचान बना लें। मचान की चैड़ाई 4′ से अधिक ना रखें। यह कार्य शुरूआत में ही कर लेना चाहिए, अब खाद भरे थैले रखने से 2 दिन पहले इस कमरे के फर्श को 2 प्रतिशत फार्मेलीन घोल से धोयें और दीवारों एवं छत पर इस घोल का छिड़काव करें। इसके तुरंत बाद कमरे के दरवाजे तथा खिड़कियां इस तरह बंद करें, कि अंदर की हवा बाहर न जा सके।
    श्वेत बटन मशरूम की बीजाई करने के साथ साथ, 8 से 10 किलोग्राम श्वेत बटन मशरूम (खुम्ब) की बीजित खाद को पॉलीथीन के थैलों में भरते जायें तथा थैलों का मुंह, कागज की थैली के समान पॉलीथीन मोड़कर बंद कर दें। यहाँ यह ध्यान रखे कि थैले में खाद 1 फुट से ज्यादा नही होनी चाहिए। इसके पश्चात इन थैलों को कमरे में बने बांस के टांड पर एक दूसरे से सटाकर रख दें। खाद को बीजाई करने के पश्चात टांडों पर करीब 6″ मोटाई में ऐसे ही फैला कर रख सकते हैं। ऐसी दशा में टांडो के नीचे पॉलीथीन की शीट बिछा दें। खाद को फैलाने के बाद ऊपर से अखबारों से ढक दिया जाता है, और अखबारों पर दिन में एक से दो बार पानी का छिड़काव किया जाता है।

केसिंग
केसिंग मिश्रण एक प्रकार की मिट्टी है, जिसे दो साल पुरानी गोबर की खाद और दोमट मिट्टी को बराबर हिस्सों में मिलाकर तैयार किया जाता है।

केसिंग मिट्टी के लिए उपयुक्त मिश्रण इस प्रकार है:-

1. बगीचे की खाद (गोबर की खाद ) दोमट मिट्टी (1ः1)

2. गोबर की खाद , केंचुआ खाद (1:1)

3. गोबर की खाद, दोमट मिट्टी एवं रेती (1:1:1)

4. Coco-pit + vermicompost

5. FYM + Coco-pit

केसिंग मिश्रण तैयार करना
श्वेत बटन मशरूम बीजाई के लगभग 12 से 15 दिन बाद, बीज के तन्तु खाद में फैल जाते है, एवं खाद का रंग गहरे भूरे से बदलकर फफूद जैसा सफेद हो जाता है। इस अवस्था में खाद को केसिंग मिश्रण की परत से ढकना पड़ता है, तभी श्वेत बटन मशरूम कलिकायें निकलना आरंभ होती है।
    इस केसिंग मिश्रण को रोगाणु मुक्त करने के लिए 2 प्रतिशत फार्मेलीन के घोल से उपचारित करते है। फार्मेलीन नामक रसायन का 2 प्रतिशत घोल तैयार करने के लिए एक लीटर फार्मेलीन 40 प्रतिशत सक्रिय तत्व को 20 लीटर पानी में घोला जाता है। इस घोल से केसिंग मिश्रण को गीला किया जाता है, घोल की मात्रा केसिंग मिश्रण की मात्रा पर निर्भर करती है।
    तत्पश्चात इस मिश्रण को पॉलीथीन से चारों तरफ से ढक देते हैं, इसके बाद पॉलीथीन को केसिंग प्रक्रिया शुरू करने के 24 घण्टे पहले हटाते हैं, पॉलीथीन उतारने के बाद केसिंग मिश्रण को किसी साफ यंत्र से उलट-पलट देते हैं।

केसिंग परत चढ़ाना
कवक जाल फैले थैलों का मुंह खोलकर खाद की सतह को हल्का-हल्का दबाकर एक सरीखा कर लेते हैं और केसिंग मिश्रण की 3 से 4 सेंटीमीटर मोटी परत चढ़ा दी जाती है एवं थैले की अतिरिक्त पॉलीथीन को नीचे की ओर मोड़ देते हैं, और पहले की भांति थैलों को कमरे में रख देते हैं। इस दौरान भी कमरे में 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70 से 80 प्रतिशत नमी बनाये रखनी चाहिए।

केसिंग के बाद रखरखाव
श्वेत बटन मशरूम (खुम्ब) की खेती के लिए केसिंग प्रक्रिया पूर्ण करने के पश्चात् अधिक देखभाल करनी पड़ती है, प्रतिदिन थैलों में नमी का जायजा लेना चाहिए और आवश्यकतानुसार पानी का छिड़काव करना चाहिए, केसिंग करने के लगभग एक सप्ताह बाद जब कवक जाल केसिंग परत में फैल जाएं, तब कमरे के तापमान को 22 से 25 डिग्री सेल्सियस से घटाकर 15 से 19 डिग्री सेल्सियस पर ले आना चाहिए और इस तापमान को पूरे फसल उत्पादन काल तक बनाये रखना चाहिए।

कीट और रोग
कीट डिप्टेरियन फोरोइड और स्प्रिंग टेल्स मक्खियाँ का प्रकोप अधिक होता हैं।

रोकथाम
  • फसल कक्ष में समय-समय पर डीडीवीपी या नुवान 0.2 प्रतिशत नामक कीटनाशी और फार्मलिन 6 प्रतिशत का छिडकाव 7 दिन के अन्तराल में फर्श तथा दिवारों पर करना चाहिए, दवाई का छिड़काव करना चाहिए। शाम को खिड़की, दरवाजे बंद कर देना चाहिए, सुबह खिड़की, दरवाजे खोल दे और स्वच्छ वायु का आवागमन होने दें।
  • बटन मशरूम फसल कक्ष के आसपास भी उपरोक्त छिड़काव 7 दिन के अन्तराल पर करें।
  • मक्खियों को आकर्षित करने के लिए प्रकाश प्रपंच और पीला कागज ट्रेप जो तेल या ग्रीस में भीगा हो का उपयोग करना चाहिए।
रोग
फसल में ड्राई बबल (ब्राउन स्पॉट), वेट बबल (व्हाइट मोल्ड), कोबवेब, ग्रीन मोल्ड या ट्राइकोडर्मा , फाल्स ट्रफल (ट्रफल रोग), ऑलिव ग्रीन मोल्ड, ब्राउन प्लास्टर मोल्ड और बैक्टीरियल ब्लाटच और नेमाटोड जैसी कई बीमारियों का खतरा होता है।

रोकथाम
  • यदि पानी टैंक का हो तो, उसे समय-समय पर 0.15 प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर से उपचारित करना चाहिए।
  • यदि किसी बैंग में या कंपोस्ट मे कोई दूसरी फंफूदी काली, हरी, पीली दिखाई दे तो उस जगह से पॉलीथिन काटकर, सक्रमित भाग को चिमटी की सहायता से अच्छी प्रकार से हटा देते हैं, फिर उस स्थान पर बाविस्टिन : केल्शियम कार्बोनेट 1 : 10 ग्राम के मिश्रण का भुरकाव करना चाहिए, भुरकाव के बाद उस जगह 48 घण्टे तक पानी नहीं डालना चाहिए।
फ्रूटिंग और तुड़ाई
केसिंग की परत चढ़ाने के 12-15 दिन बाद कम्पोस्ट खाद के ऊपर मशरुम की छोटी-छोटी कलिकाऐं दिखाई देने लगती हैं जो 4-5 दिन में विकसित होकर छोटी-छोटी श्वेत बटन मशरुम में परिवर्तित हो जाती हैं। जब इन श्वेत बटन मशरुमों का आकार 4-5 सेंटीमीटर का हो जाए तो इन्हें परिपक्व समझते हुए थोड़ा सा घुमाकर तोड़ लेना चाहिए। तुड़ाई के पश्चात् सफेद बटन मशरुम को शीघ्र ही उपयोग में ले लेना चाहिए।

उपज
लंबी विधि - 10-14 किलो ग्राम ताजा मशरूम प्रति 100 किलो ग्राम कंपोस्ट खाद से प्राप्त होती है ।

छोटी विधि:- 15-20 किलो ग्राम ताजा मशरूम प्रति 100 किलो ग्राम कंपोस्ट खाद से प्राप्त होती है ।

शुद्ध लाभ:- प्रति किलो ग्राम बटन मशरूम से खर्च निकालकर शुद्ध मुनाफा 70से 80रुपये होती है ।

बाजार में मांग - 200 से 250 रुपये प्रति किलो स

फसल चक्र - 90 से 120 दिनों तक

भंडारण
मशरूम तोड़ने के बाद, आकार के अनुसार उनकी छटनी कर लें तथा 3 प्रतिशत कैल्शियम क्लोराइड घोल से धोकर उसे फिर साफ पानी से धोएं. इसे कपड़े पर फैला दें ताकि अतिरिक्त पानी सूख जाए फिर 250 ग्राम, 500 ग्राम के पैकेट बना कर पॉलिथीन या पॉलीप्रोपाइलीन में सील कर दें या थैलियों में भरकर इसे रेफ्रीजिरेटर में 7-8 दिन तक रख सकते हैं।

मूल्य संवर्धन
ताजा मशरूम भी बाजार में आसानी से बिक जाती है। मशरूम के अनेक उत्पाद जैसे आचार, चिप्स, बिस्कुट, सूप पाउडर, बढ़ियां, एवं नूडल्स आदि बना कर भी बेचा जा सकता। कैनिंग सफेद बटन मशरूम को संरक्षित करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है और डिब्बाबंद उपज की बड़ी मात्रा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में निर्यात की जाती है