विनोद कुमार प्रजापति, मनीष प्रजापति एवं सचिन कुमार जायसवाल 
विभाग - मृदा विज्ञानं, उद्यान विज्ञानं एवं कीट विज्ञान 
राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, अम्बिकापुर

जिंक पौधो मे नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश के बड चौथा अवश्यक तत्व है। जिसकी देश की मृदाओ मे अत्यधिक कमी दखी गई है। जस्ते की कमी से मृदा की पोषक तत्व के साथ – साथ फसल की पैदावार मे कमी हो जाती है। पौधो की विभिन भागों को जस्ते की बहुत कम (5-1000 मिली ग्राम प्रति किलोग्राम) मात्रा मे आवश्यकता होती है। पौधो मे जस्ते की कमी का प्रमुख कारण मृदा मे जस्ता अघुलनशील अवस्था मे होती है। जिंक घुलनशील तरल जैव उर्वरक (जेड.ऍस.बी.) में मौजूद माइक्रो जीवों द्वारा कार्बनिक अम्ल पैदा किये जाते है। जो मृदा मे स्थित अघुलनशील जस्ते लवणों तथा जस्ते के उर्वरकों को घोलने मे मदद करता है। ताकि पौधो को सहज रूप से जिंक प्राप्त हो जाता है तथा यह पोधों को मृदा से जस्ते की उपलब्धता को बढ़ाता है। मृदा मे जैविक दृष्टि से सक्रियता को बढ़ाता हुआ इसके स्वास्थ को बनाये रखता है। इसके अतिरिक्त जेड.एस.बी.) कुछ वृद्धि नियंजको को उत्पन्न करता है जो पोधों के विकास व वृद्धि के लिए लाभदायक होते है तथा पौधों मे मजबूती प्रदान करते है। जिंक मृदा के स्वाभाविक जिंक पूल को घुलनशील बना सकता है। जिंक जैव उर्वरक के प्रयोग से प्रति एकड़ 1-2 किलोग्राम जिंक की वृद्धि होती है। यदि तरल जैव उर्वरक का उपयोग गोबर की खाद या कम्पोस्ट के साथ मिलाकर दिया जाता है तो यह अधिक प्रभावशील होती है। 

जिंक घुलनशील तरल जैव–उर्वरक एफ.सी.ओ मानक- 
  • आधार –तरल आधार
  • जीवित जीवाणु संख्या -1 x 10 करोड़ जीवाणु मी./ली. 
  • पी.एच. - 5.0 - 7.5 
  • संदूषण स्तर (मिलावट ) - 10x 100000  तनुकरण 

जिंक घुलनशील तरल जैव–उर्वरक मात्र एवं उपयोग विधि-
  • मात्र – 500 मि. ली. प्रति एकड़ ZSB

उत्तम विधि – बुवाई से पूर्व (मृदा उपचार ) – तरल जैव उर्वरको को 50 – 100 किलोग्राम कम्पोस्ट मे एकसाथ मिलाएं तथा पौधो रोपाई से पहले खेत मे शाम को या जब आसमान मे बादल हो इस मिश्रण को खेत की मृदा मे मिलाएं।


अन्य विधियाँ – बुवाई के समय बीजोपचार-
  1. 500 लि. ली. जेड.एस.बी तरल जैव उर्वरक का बीज की मात्रा के अनुसार 1-2 लीटर पानी मे घोल तैयार करें।
  2. इस ढोल को 15-20 मिनट बीज मे मिलाकर उपचारित बीज को आधे घंटें तक छाया मे सुखाएं। 
  3. उपचारित बीज को तुरंत बुवाई करें। 

जेड.एस.बी तरल जैव उर्वरक के लाभ-

ठोस जैव उर्वरक की तुलना मे जेड.एस.बी तरल जैव उर्वरक के अनेको लाभ है – जैसे
  • जीवनावधि – 2 वर्ष (ठोस जैव उर्वरक की तुलना में दुगुनी )
  • तापमान के प्रति सहिष्णुता - 45 डिग्री सेल्सियस (ठोस उर्वरक की तुलना में 15 डिग्री सेल्सियस  अधिक) 
  • टपक सिंचाई व सामन्य सिंचाई दिनों उपयोगी 
  • मि.ली. जीवाणु संख्यां -10 करोड़ (ठोस जैव उर्वरक की तुलना में दुगुनी) 
  • बीज मृदा तथा जड़ों मे सीधे प्रयोग हेतु सिफारिस 
  • पर्यावरण के अनुकूल तथा मिटटी,पृथ्वी ताल ,वायु , तथा जल प्रदुषण से बचाव 
  • किसानो की लागत मे कमी तथा आमदनी मे वृद्धि करता है। 
  • जिंक उर्वरको की मांग मे कमी लाता है तथा जिंक उर्वरकों को बचाता है। 
  • आनाज ,दलहन सब्जियों, रेशेदार तथा तिलहन फसलो मे उपयोग करना आसान है। 
जेड.एस.बी तरल जैव उर्वरक के सावधानियां
  • जीवाणुओं को मरने से बचाने के लिए तरल जैव उर्वरक को धुप व गर्मी से बचाकर रखे। 
  • जैव उर्वरक को फसल पर छिडकाव नही करना चाहिए ,क्योंकि यह धुप व गर्मी के प्रति संवेदनशील होता है।
  • जीवाणुओं की लम्बी जीवनावधि के लिए जैव उर्वरकों को ठन्डे स्थानों पर भंडारित करे। 
  • बच्चो व पालतू जानवरों से दूर हमेश दूर रखे। 
  • प्रयोग क्र बाद हाथों को हमेशा से साफ करें। 
  • जैव उर्वरकों को रसायन / उर्वरकों /कीटनाशकों इत्यादित के साथ न मिलाये। क्योंकि जीवाणु मर सकते है तथा वांछित परिणाम प्राप्त नही हो सकते है।