किसान भाई को अक्सर यह बताया जाता है कि आपको NPK या नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की इतनी मात्रा डालना होती हैं तो किसानों अक्सर दिक्कत का समाना करना पड़ता है कि हम यूरिया या DAP का कितनी मात्रा डालना होगा।
- जब हम फसल के लिए खेती किसानी के माहिर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रासानिक खादों यानी उर्वरकों की मात्रा किला में देने की सिफारिश करते हैं। उर्वरकों की मात्रा से उनका मतलब यह होता है कि फसल को दिए जाने वाले प्रमुख तत्व इनमें जो तीन खास तत्व हैं वें है नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश। पौधों की बढ़वार और ज्यादा पैदावार के लिए इन तत्वों का दिया जाना बहुत जरुरी होता है।
- किस फसल में कौनसा तत्व कितना दिया जाना है, इसका प्रचार-प्रसार खेती-किसानी वाले निजी एजेंसी के साथ सभी सरकारी एजेंसियां व उर्वरक बनाने वाली कंपनियां भी करती है जिससे किसानों को सहूलियत रहे।
- अक्सर किसान खुद उर्वरक देते हैं जो सिफारिश के मुताबिक तो होता है मगर नतीजा अच्छा नहीं होता है। मगर ऐसा नहीं है दरअसल ऐसा होता है कि सभी एजेंसियां सिफारिश रासानिक खादों में मौजूद तत्वों की करती है रासानिक की तादाद की नहीं, इसे समझने में अक्सर किसान भाई भूल कर देते हैं। इसे आसानी से इस तरह समझा जा सकता है कि उर्वरक की तादाद उसमें मौजूद तत्व के हिसाब से कितना दी जानी चाहिए। मान लीजिए गेहूं की फसल है इसको 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है।
- रासानिक खाद कई तरह की होती है खुद में नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश तीनों तत्व एक साथ पाए जाते हैं, तो कुछ में एक या दो तत्व ही होते है।
- अगर गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की पूर्ति यूरिया से करनी है, तो किसान को मालूम होना चाहिए कि यूरिया में 46 फीसदी नाइटो्रजन पाया जाता है, यानी 100 किलो यूरिया छिड़कने से 46 किलो नाइट्रोजन फसल को मिलेगा। इस मात्रा से 120 किलो नाइट्रोजन कितने यूरिया से मिलेगा यह आसानी से मालूम किया जा सकता है।
- इसका सबसे ज्यादा सरल तरीका यह हैं कि यूरिया कि यह तादाद निकाल ली जाए, जिस से 1 किलो नाइट्रोजन फसल को मिलेगा फिर उसमें 120 का गुणा कर दिया जाए यह संख्या गेहूं में दिए जाने वाले यूरिया की तादाद होगी।
- क्योंकि 100 किलो यूरिया में 46 फीसदी नाइटो्रजन होता है इसलिए 1 किलो नाइट्रोजन मिलेगा =100/46=2.17 किलो यूरिया से इस तरह 120 किलो नाइटो्रजन मिलेगा 2.17x120= 260 किलो यूरिया से।
- बेहतर यह होता है कि ऐसा रासानिक खाद का इस्तेमाल किया जाए, जिसमें नाइट्रोजन के साथ-साथ फास्फोरस या पोटाश भी हो। इससे फायदा यह होगा कि फसल को दोनों तत्व मिलेेगे और खाद अलग-अलग नहीं खरीदनी पडे़गी गेहूं में चूँकि फास्फोरस भी 60 किलो देना होता है इसलिए ऐसी खाद दी जानी चाहिए जिसमें दोनों या तीनों तत्व मौजूद हों।
- इसी के साथ हमको फाॅसफोरस की भी गेंहू में पूर्ति करना होता है इसके लिए मान लीजिए कि हमको (डाईअमोनीया फास्फेट) देना है जिसमें नाइट्रोजन 18 प्रतिशत व फास्फोरस 46 प्रतिशत होता है इससे फास्फोरस कि भी पूर्ति होता है-2.17x 60=130.2 किलो ग्रा/हेक्टेयर, (डाईअमोनीया फास्फेट) हमको अब खेत मेें देना होगा। हमको साथ ही यह भी घ्यान रखना होगा कि इसमें 130.2x18 प्रतिशत= 23किलो ग्रा/हेक्टेयर नाइट्रोजन भी इससे हमको प्राप्त होता है।
- चॅूकि 23 किलो ग्राम हमको नाइट्रोजन DAP (डाईअमोनीय फास्फोट) से भी मिल जाता है इसलिए हमको यूरिया की मात्रा में 23 को घटाना होगा, घटाने से हमको यूरिया की सही मात्रा खेत में डालने के लिए मिल जाएगी।
- अतः 260 कि.लो. ग्रा /हेक्टेयर-23 किग्रा/हेक्टेयर =237 कि.लो. ग्रा यूरिया अब हमको खेत में देना होगा।
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