ट्रैक्टर को स्टार्ट करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान कर लेना चाहिये-
1. ट्रैक्टर के सभी भाग यथास्थान पर हैं या नहीं। ट्रैक्टर के सभी नट-बोल्ट कसे होने चाहियें; विशेषतः पहियों के नट वोल्ट कसे होने चाहिएँ।


2. ईंधन की टंकी तेल से भरी हुई होनी चाहिये। ट्रैक्टर से कार्य करने के तुरन्त बाद ही टंकी में तेल भर देना चाहिये क्योंकि खाली टंकी की वायु में वाष्प के रूप में जल मौजुद हो सकता हैं।


3. ट्रैक्टर के इंजिन तेल का स्तर डिप-स्टिक द्वारा देख लेना चाहिये और कम होने पर तेल और डाल देना चाहिये।


4. पहियों में वायु पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिये।


5. इंजिन में रेडियेटर की गर्ट तक पानी भरा होना चाहिये।


6. बैटरी व वाटर लैवल विभाजक दीवार से कम हाने पर उसमें शुद्ध जल डाल देना चाहिये।


7. ब्रेक पूर्णतः ठीक होने चाहियें।


8. क्लच की बत्तियाँ ठीक होनी चाहियें।


उपरोक्त सभी बातों का निरीक्षण करने के उपरान्त ट्रैक्टर के इंजन को स्टार्ट कर देना चाहिये।


ट्रैक्टर को स्टार्ट करना


1. गियर को न्युट्रल कर देना चाहिये।


2. इंधन की पूर्ति के लिये फ्युल कट-आॅफ उचित स्थान पर होनी चाहियें।


3. थ्रोटल लिवर को फूल पोजिसन में कर देना चाहियें।


4. सुगम स्टार्टिंग के लिये क्लच को मुक्त कर देना चाहियें। अब चाबी को घुमाने पर ट्रैक्टर स्टार्ट हो जायेगा।
इसके पश्चात् थ्रोटल लिवर को कम करके क्लच को दबाते हुए आवश्यकतानुसार गियर में परिवर्तित कर लेते हैं। ट्रैक्टर इंजिन को चाबी या फ्युल कट-ऑफ  द्वारा बन्द कर दिया जाता हैं।


 ट्रैक्टर का प्रयोग करते समय सावधानी


1. ट्रैक्टर के गति में होने के समय गियर नहीं बदलना चाहिये।


2. ट्रैक्टर को लोड पर कार्य करने से पूर्व इंजिन को उसके निश्चित तापक्रम तक गर्म होने देना चाहिये।


3. ट्रैक्टर को पीछे हटाते समय या यन्त्रो को जोड़ते समय ट्रैक्टर व यन्त्र के बीच किसी व्यक्ति को नहीं खड़े होना चाहिये।


4. ट्रैक्टर के पीछे ड्राॅ बार पर खड़े नहीं होना चाहिये।


5. ट्रैक्टर धीरे-धीरे चलाना चाहिये।


6. ट्रैक्टर को घुमाते समय गति कम कर देनी चाहिये।


7. मोड़ पर ट्रैक्टर के स्टेयरिंग को अधिक नहीं घुमाना चाहिये।


8. ट्रैक्टर के ब्रेक को समय≤ पर जाँचना चाहिये।


9. ढ़ाल वाले जगह पर चलते समय ट्रैक्टर को गियर में रखना चाहिये।


10. ट्रैक्टर चालक को सड़क यातायात के नियमों की जानकारी होना चाहिये।


11. डिजल को टंकी में सामान्य तापमान पर भरना चाहिये।


12. ट्रैक्टर में जमंे धूल इत्यादि साफ करते रहना चाहिये।


13. चलते ट्रैक्टर से कभी भी उतरने की कोशिश नहीं करना चाहिये।


14. चालक की सीट पूरी तरह से सुरक्षित होनी चाहिये।


15. चलती पुल्ली से कभी पट्टा चढ़ाने व उतारने का प्रयत्न नहीं करना चाहिये।


ट्रैक्टर एवं यन्त्रों का चुनाव
ट्रैक्टर का चुनाव करते समय निम्न बातों का ध्यान रख जाता है-


1. ट्रैक्टर अथवा यन्त्र का आकार
2. प्रारम्भिक कीमत
3. टूट-फूट का खर्च
4. चालन व्यय
5. पुर्जों की उपलब्धता
6. डिजाइन
7. विभिन्न कार्य करने की क्षमता
8. ट्रेड नाम व मार्क
9. विभिन्न भागों का समायोजन
10. खरीदने का स्थान
11. खेत का रकबा
1र्2. इंधन की उपलब्धता
13. ट्रैक्टर का माॅडल
14. ट्रैक्टर की किस्म
 
ट्रेक्टर की देखभाल
1. प्रतिदिन निरिक्षण- ट्रैक्टर से 8-10 घंटे कार्य लेने के पश्चात् या प्रतिदिन
1 ट्रैक्टर व उससे जुड़े यन्त्र की सफाई करें।
2. पहियों के नट-बोल्ट कसे होने चाहिएँ।
3. क्रैंक केस में तेल के तल की जाँच कर लेनी चाहिये।
4. रेडियेटर में पानी के तल की जाँच करें यदि कम हो तो उसे ऊपर तक भर देना चाहिये।
5. प्रतिदिन कार्य के पश्चातर्् इंधन की टंकी र्में इंधन ऊपर तक भर देना चाहिये।


2. प्रथम तकनीकी निरिक्षण- सप्ताह में एक बार अथवा 60-70 घंटे कार्य के पश्चात्-
1. लुब्रिकेशन तेल फिल्टर को खोलकर साफ कर लें।
2. पंखे की बेल्ट ढ़ीली हो तो उसे कस लें।
3. एयर क्लीनर में तेल की जाँच कर लें और यदि तेल गंदा हो गया हो तो उसे बदल देना चाहिये।
4. ट्रैक्टर के पहियों की जाँच कर लें।
5. वायु द्वारा ठंडा होने वाले इन्जिन में इन्जिन की पंखुड़ियों को हवा द्वारा साफ कर लें।
6. ट्रान्समिशन तेल का तल कम हो तो उसे पूरा कर लें।
7. जिन भागों में ग्रीस की आवश्यकता हो, उनमें ग्रीसिंग करना चाहिए।
8. पहियों के नट-बोल्ट यदि ढ़ीले हो गये हों तो उन्हें कस दें।
9. बैट्री के टर्मिनलों को गर्म पानी से धोकर फिर उन पर ग्रीस लगाकर कस दें।

3. द्वितीय तकनीकी निरिक्षण- 150 घंटे इंजिन कार्य के पश्चात् अथवा 600 लीटर तेल की खपत के बाद इस तकनीकी निरिक्षण को करना चाहिये।


150 घंटे कार्य के पश्चात्-

1. इन्जिन के लुब्रिकेशन तेल को बदल दें। गर्मियों में एस.ऐ.ई. 40 तथा सर्दियों में एस.ऐ.ई. 30 तेल डालें।
2. फिल्टर भी बदल देने चाहिएँ।
3. डाइनेमो एवं स्टार्टर मोटर के बियरिंग में हल्का तेल डालें।
4. क्रैंक केस की ब्रीदर को साफ करें।
5. एयर क्लीनर को साफ करें।
6. क्लच और ब्रेक पैडल की चाल की जाँच करें व उचित समायोजन करें।
4. तिमाही निरिक्षण- 500 घंटे इंजिन कार्य के पश्चात् अथवा 1225 लीटर तेल की खपत के बाद इस निरिक्षण को करना चाहिये।


4. 500 घंटे कार्य के पश्चात्-
1. अगले पहियों के टायर आपस में बदल दें।
2. डाइनेमो और स्टार्टर मोटर के बुश यदि घिस गये हों तो उन्हें बदल दें।
3. अंतःक्षेपण नोजलों के दाब की जाँच करायें, ठीक न होने पर समायोजन करा दें।
4. टंकी को साफ करें।
5. प्राथमिक व द्वितीय फिल्टर को बदल दें।
6. शीतलन तंत्र की पूर्ण रूप से सफाई कर दें।
7. पहियों के बियरिंग की जाँच कर उनमें ग्रीस लगा दें।
8. बैट्री में विशिष्ट घनत्व की जाँच कर लें, यदि बैट्री डिस्चार्ज हो गई हो तो उसे चार्ज करा दें।
9. वाल्वों की दूरी का समायोजन करा दें।


5. चतुर्थ तकनीकी निरिक्षण- 1000 घंटे इंजिन कार्य के पश्चात् अथवा 2500 लीटर तेल की खपत के बाद इस तकनीकी निरिक्षण को करना चाहिये।


1000 घंटे कार्य के पश्चात्-

1. निम्न के तेल बदलें-
(1) गियर बाक्स  (2) फाइनल ड्राइव  (3) विभेदक   (4) हाइड्रोलिक प्रणाली    (5) ट्रांसमिशन प्रणाली
2. सम्पूर्ण ईंधन प्रणाली की सफाई के पश्चात् फिल्टर बदल दें।
3. वाल्व यदि ठीक न हों तो घिसाई कर दुबारा डाल दें।
4. सिलिंडर हैड को खोलकर कार्बन को साफ करें।
5. ब्रेक के शू की सतह यदि घिस गई हो तो उन्हें बदल दें।