नवनीत कुमार ध्रुवे एवं अमित नामदेव
पी.एच.डी. स्कार, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर


थ्रेशर प्रचालन में सावधानियाँः- कृषि में मशीनों के अधिकाधिक उपयोग से मानव द्वारा किये जाने वाले श्रमसाध्य कार्यों में बहुत कमी आयी हैं। गहाई मशीनों (थ्रेशर) के उपयोग से समय पर गहाई पूरी करके पैदावार की क्षति को कम किया गया हैं। उच्च क्षमता व दक्षता वाले थ्रेशर के उपयोग से समय की बचत के साथ-साथ गहाई में लगने वाला श्रम भी कम हुआ हैं। महीनों तक चलने वाला गहाई का कार्य अब कुछ दिनों में ही हो जाता हैं। थ्रेशर की दक्षता एवं उत्पादकता में उतरोत्तर विकास किया गया हैं जबकि इन मशीनों से होने वाले प्रतिप्रभावों की ओर बहुत  कम ध्यान दिया गया हैं। परिणामस्वरूप इन मशीनों से होने वाली दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई हैं।

थ्रेशर दुर्घटनाओं का प्रमुख कारणः- थ्रेशर पर काम करते समय दुर्घटनाएँ मुख्यतः उचित जानकारी के अभाव में तथा कुछ असुरक्षित मशीनों के उपयोग से होती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 73ः दुर्घटनाएँ अन्य कारणों से होती हैं। अतः इन दुर्घटनाओं से बचाव हेतु हमें मुख्य रूप से लोगो को जागरूक बनाने व थे्रशर को सुरक्षित बनाने की आवश्यकता हैं। थे्रशर पर होने वाली दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में इस मशीन के तेज गति एवं भारी संवेग के साथ घूमने वाले कलपुर्जे हैं। इन कलपुर्जो जैसे थ्रेशिंग सिलिंडर, पंखे या पट्टों, आदि की चपेट में शरीर के अंगों के आने से दुर्घटना होती हैं। सर्वाधिक दुर्घटनाएँ  थे्रशिंग सिलिंडर की चपेट में हाथों के आने से होती हैं।


सही मशीन का चुनाव करेंः- थ्रेशर खरीदते समय ध्यान दें कि भराई शूट आई.एस.: 9020-2002 के अनुरूप बनाई गई हो। जिसकी लम्बाई कम से कम 900 मिमी. और चैड़ाई (ड्रम के मुँह पर) कम से कम 220 मिमी. और ऊपर से ढ़के हुये भाग की लम्बाई कम से कम 450 मिमी. हो जिससे हाथ गहाई धुरे तक आसानी से न पहूँच सके। ढ़ंके हुए भाग का उठाव 10 से 30 होना चाहिए। भराई शूट को थ्रेशर से 5-10 अंश के कोण पर ऊपर की ओर झुका देने से फसल आसानी से थ्रेशर में पहुँच जाती हैं। थ्रेशर खरीदते समय यह ध्यान दें कि थे्रशर के घूमने वाले कलपुर्जे जैसे पुली व पट्टे सही तरीके से गार्ड्स/आवरण लोहे की मोटे तार की जाली से ढ़ंके हों।


थ्रेशर में फसल डालने का सही तरीका अपनाएंः-
एक व्यक्ति द्वारा मशीन में फसल डालने का काम करने पर प्रायः फसल को जल्दी से थ्रेशर में डालने की कोशिश की जाती हैं ताकि फसल उठाने के लिये पर्याप्त समय समय मिल सके। इस जल्दबाजी के कारण भी कभी-कभी दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इसलिए थे्रशर में फसल डालने का काम दो व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति फसल को नीचे से उठाए तथा दूसरा उसे मशीन में डाले। फसल अंदर डालने वाले व्यक्ति के खड़े होने की जगह समतल और मजबूत होनी चाहिए। चारपाई, अनाज के बोरे, फसलों के गट्ठर या टायर आदि पर खड़े होने से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है और मशीन पर गिरने की प्रबल संभावना रहती हैं।
    

यदि व्यक्ति ऊँचे प्लेटफार्म पर खड़ा हो या सीधे ट्रैक्टर की ट्राली से ही फसल को थ्रेशर में डाल रहा हो तो वह हाथों के अलावा कभी-कभी पैरों से भी फसल को अन्दर धकेलता हैं। फसल के अचानक अन्दर प्रवेश करने पर हाथ या पैर का अन्दर जाना स्वाभाविक ही हैं। अतः फसल को पैरों से अन्दर धकेलने की कोशिश न करें।

झाड़ीदार फसलों की गहाई में विशेष सावधानीः-
झाड़ीदार फसलों जैसे सोयाबीन, चना, मसूर, मटर आदि की गहाई करते समय विशेष सावधानी रखें। फसल के भराई शूट में फॅसने की दशा में शक्ति लगाकर अंदर धकलने के बजाय पहले बाहर खींचे तथा थोड़ा-थोड़ा करके लगातार फसल अंदर डालें। हाथों में चुभने वाली फसलों की गहाई करमे समय किसान प्रायः गमछा, पुराना कपड़ा या बोरे का टुकड़ा हाथ पर लपेट लेते हैं, ऐसा करना भी खतरे से खाली नहीं हैं। कपड़े या बोरे का रेशा अक्सर थ्रेशर के धुरे में लिपट जाता हैं जिससे हाथ भी खींचकर अन्दर चला जाता हैं। अतः इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचने हेतु हाथों में रबर या चमड़े के दस्ताने पहनें।


ढ़ीले कपड़ों के साथ काम करना असुरक्षितः-
थ्रेशर चालक के ढ़ीले कपड़े, जैसे कि गमछा, धोती, साड़ी आदि या बाल मशीन के पट्टों या अन्य घूमने वाले कलपुर्जो में उलझ जाते है और व्यक्ति गंभीर दुर्घटना का शिकार हो सकती हैं। अतः थ्रेशर पर काम करते समय ढ़ीले कपड़े न पहनें। औरतें अपने बाल तथा साड़ी कस कर बाॅधें व लपेटें। जब थे्रशर को बेल्ट-पुली का उपयोग करके टैरक्टर या अन्य किसी शक्ति स्रोत से चलाया जाता हैं तब घूमने वाले कलपुर्जों को लकड़ी के फ्रेम या लोहे की जाली से ढ़क कर रखें अथवा विशेष सावधानी रखें।


बिजली कनेक्शन में सावधानी बरतेंः-

थ्रेशर पर कुछ दुर्घटनायें बिजली के तारों की वजह से होती हैं। बिजली की कनेक्शन लेते समय अथवा काटते समय प्रशिक्षित व्यक्तियों की सेवाओं का उपयोग करें। बिजली की लाइन में फ्यूज तथा स्टार्टर का होना अत्यन्त जरूरी हैं। इनके बिना मोटर को सीधे बिजली पहूँचाना, मौत को बुलावा देना हैं, ऐसा न करें। बिजली की मोटर का मेन स्विच थ्रेशर चालक की पहूँच के अंदर होना चाहिए जिससे आवश्यकता पड़ने पर मोटर को तुरंत बंद किया जा सके।

आग से बचावः-
थ्रेशर में फसल डालने से पहले ध्यान रखें कि थे्रशर के अंदर घूमने वाले लोहे के पुर्जे खास तौर पर ड्रम के अंदर वाले पुर्जे ढ़ीले न हों अथवा आपस में रगड़ कर न चल रहे हों। इनमें घर्षण के कारण आग लग सकती हैं। खेतों या खलिहानों में जहाँ थ्रेशर चल रहा हो वहाँ जमीन पर पड़े बिजली के तारों को खुला न रहने दें। इससे चिंगारी निकलने से खलिहान में आग लग सकती हैं तथा तार से किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर करंट लग सकता हैं। थ्रेशर व टैरक्टर/इंजन इस प्रकार लगायें कि हवा के झोंके से चिंगारी उड़कर आग लगने का खतरा न हों। टैªक्टर/इंजन का धुंआ निकलने वाला पाइप हमेशा उध्र्वाधर स्थिति में हों एवं उस पर चिंगारी अवरोधक लगा हों। जहाँ तक सम्भव हो थ्रेशर को कभी भी ट्रांसफार्मर या बिजली के तारों के नीचे न लगायें। खलिहानों में धुम्रपान बिल्कुल न करें और ना ही किसी को ऐसा करने दें। आग से दुर्घटना की रोकथाम के लिए खलिहान में बालू का ढेर तथा बाल्टियां आदि रखें।

अत्यधिक थकान दुर्घटना को आमंत्रणः-
थकावट होने पर कुछ देर कार्य को रोक दें। कुछ दुर्घटनायें अत्यधिक थकान के कारण भी होती हैं। अतः कभी भी थकान की दशा में थ्रेशर पर कार्य न करें विशेषकर फसल अंदर डालने का कार्य तो कदापि नहीं करें। थ्रेशर के भराई शूट की ऊँचाई अपनी कोहनी की ऊँचाई के बराबर रखें। भराई शूट की ऊँचाई अधिक होने पर हाथ ऊपर उठाना पड़ता हैं तथा कम होने पर कमर झुकानी पड़ती हैं-और दोनों ही दशा में अधिक थकान होती हैं। थ्रेशर पर लगातार 7-8 घंटे से अधिक कार्य न करें।


अन्य सावधानियाँः-

  •  रात को थ्रेशर पर कार्य करने समय पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें।
  •  थ्रेशर प्रचालन के दौरान थे्रशर में किसी प्रकार का समायोजन न करें।
  • किसी प्रकार का नशा आदि करके थे्रशर पर कार्य बिल्कुल न करें।
  • भूसे की निकासी हवा की दिशा की ओर रखें। भूसे की बारीक धूल श्वांस के साथ फेफड़ों में जाती हैं और फेफड़ों की सीरोसिस बीमारी का कारण हो सकती हैं। अतः नाक व मुंह पर कपड़ा बांधे या माॅस्क का उपयोग करें।
  • थ्रेशर में फसल जाम हो जाने की स्थिति में सबसे पहले थ्रेशर को बंद करें उसके पश्चात ही थे्रशिंग सिलिंडर इत्यादि को साफ करने का प्रयास करें।
  • बच्चों, बूढ़ों एवं बीमार व्यक्तियों को थे्रशर पर काम न करने दें।
  • छोटी-मोटी चोट के उपचार के लिए प्राथमिक उपचार बाॅक्स खलिहान में अवश्य रखें।