नवनीत कुमार ध्रुर्वे एवं अमित नामदेव
पी.एच.डी. स्कालर (एफ.एम.पी.), इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)


फसलों में कीड़ों, रोगों एवं खरपतवार नियंत्रण के लिए जहरीले रसायनों का उपयोग किया जाता हैं। असावधानीवश इन रसायनों के मानव शरीर में प्रवेश करने से तात्कालिक एवं दीर्घकालिक बीमारियां हो सकती हैं। सामान्य किसान/मजदूर कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से अनभिज्ञ है इसलिए वे इस कार्य को बिना किसी सुरक्षा उपाय के करते हैं। कीटनाशक मुख्यतः त्वचा, मुंह अथवा नाक के द्वारा घोल बनाते समय, छिड़काव करते समय अथवा बचे हुए घोल को फेंकते समय संपर्क में आने से शरीर में पहुँच जाते हैं। कीटनाशकों के संपर्क में आने से सिरदर्द, बेहोशी, चक्कर आना जैसे तात्कालिक लक्षण प्रकट होते हैं। परन्तु बार-बार कीटनाशक के संपर्क से दीर्घकालीन बीमारियाॅ जैसे माइग्रेन, अस्थमा, दाद-खाज, उच्च रक्त चाप इत्यादि हो सकती हैं। कीटनाशक की अधिक मात्रा शरीर में पहुंचने से मौत भी हो सकती हैं। इसलिए कीटनाशकों के छिड़काव के समय निम्नलिखित सुरक्षा उपाय करें जिससे इन जहरीले रसायनों का संपर्क आपकी त्वचा, मुंह अथवा श्वास प्रणाली से न हों।

छिड़काव करने से पहलेः-

  • कीटनाशक दवाओं को सीलबंद पैकेट/बोतल में ही खरीदें। खुली दवा में मिलावट की संभावना होती हैं।
  • कीटनाशकों का भंडारण खाने-पीने की वस्तुओं, रसोईघर, एवं बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • छिड़काव के लिए घोल बनाते सय अत्याधिक सावधानी बरतें। कीटनाशक की सांद्रता अधिक होने के कारण इसके शरीर में प्रवेश करने की संभावना अधिक होती हैं।
  • कीटनाशक की बोतल पर लिखे निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ लें।
  • घोल बनने का स्थान रसोईघर, शयनकक्ष, बच्चों के खेलने का स्थान, जानवरों के बाडे़, पानी के भंडार इत्यादि से दूर रखें।
  • आवश्यक मात्रा में पानी संग्रहित कर लें एवं घोल बनाने हेतु घर में खाना पकाने या नहाने के बर्तनों का प्रयोग न करें।
  • छिड़काव करने वाले यंत्र के हिस्सों जैसे टंकी, नोजल व पाइप का निरीक्षण करें कि इनमें रिसाव तो नहीं हो रहा। नोजल से आवश्यक फव्वारा निकल रहा हैं या नहीं इसका निरीक्षण साफ पानी से करें।
  • कीटनाशक की खाली बोतलों/थैलों को नष्ट कर दें। इनका प्रयोग खाद्य पदार्थों के संग्रहण में न करें।
  • स्प्रेयर की टंकी को एक कीप की सहायता से उसकी क्षमता के 90 प्रतिशत तक ही भरें।
  • स्प्रेयर की टंकी को पीठ पर रखने से पहले उसे सूखे कपड़े से पोंछ लें।
छिड़काव करते समयः-
  • त्वचा को दुष्प्रभाव से बचाने के लिए पर्याप्त सुरक्षात्मक वस्त्र जैसे- हाथों में दस्ताने, रेस्पीरेटर मास्क, चश्में, पैरों में जूते एवं पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनें
  • सुबह अथवा शाम को जब हवा की गति कम होती हैं वब छिड़काव किया जाना चाहिए।
  • छिड़काव के समय यदि नाॅजल में कचरा आ गया हो तो उसे मुँह से फूंक मार कर साफ न करें। अन्यथा दवा मुँह, नाक अथवा आँख में पड़ सकती हैं।
  • खाली पेट दवा का छिड़काव न करें। छिड़काव करते समय अथवा मध्यांतर में धूम्रपान या तम्बाकू का सेवन न करें।
  • छिड़काव करते समय फव्वारे को अपने शरीर से दूर रखें तथा हवा की दिशा के विरूद्ध चलकर छिड़काव न करें।
छिड़काव करने के पश्चात्ः-
  • छिड़काव करने के पश्चात् बचे हुए घोल को सावधानीपूर्वक खेत के किनारे बने गड्ढे में गिरायें और उसे मिट्टी से ढंक दें।
  • छिड़काव यंत्र को भली-भांति धोकर व बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • अपने कपड़े, दस्ताने, चश्मा, जूते इत्यादि उतार कर भली-भांति धो कर सुखाए।
  • स्वयं साबुन लगाकर अच्छी तरह स्नान कर दूसरे कपड़े पहनें।