छ.ग. प्रदेश में धान एक मुख्य खरीफ फसल हैं। स्वचलित रोपाई यंत्र से धान रोपाई एक अच्छा विकल्प हैं इस यंत्र के उपयोग से समय की बचत होती है एवं धान की कटाई हेतु अधिक समय मिलता हैं। औसतन एक श्रमिक के द्वारा 0.016 हेक्ट प्रतिदिन रोपाई की जाती हैं एवं एक हेक्टेयर खेत में रोपाई करने हेतु श्रमिक को 3,50,000 बार पौधों की रोपाई करनी पड़ती हैं जिसके कारण लागत एवं समय अधिक लगता हैं।
स्वचलित धान रोपाई यंत्र की विशेषताएँ एवं तकनीकी विवरण-
धान रोपाई यंत्र मुख्य रूप से स्वचलित (सवारी युक्त और यंत्र के पीछे चलित) एवं मानवचलित होता हैं। इनमें से स्वचलित रोपाई यंत्र किसानों की बीच लोकप्रिय हैं। इस यंत्र की सहायता से चटाई नुमा पौधों को नर्सरी में तैयार कर उनकी रोपाई की जाती हैं। इस यंत्र से धान की रोपाई हेतु खेत की उथली मताई की जाती हैं। यह यंत्र स्वचलित (सवारी युक्त) एकल पहिया, 8-कतारी हैं जिसमें सामान्य रूप से 5 अश्व शक्ति एकल सिलिंडर इंजिन लगा होता हैं। कतार से कतार की दुरी 20 से 30 मि.मी. एवं कार्यकारी चैड़ाई लगभग 2000-2200 मि.मी. होती हैं, कार्यक्षमता 0.14-0.20 हेक्ट प्रति घण्टा हैं। पारंपरिक धान रोपाई की तुलना में उत्पादन 20 से 30 प्रतिशत अधिक होता हैं एवं मात्र 4-5 श्रमिकों की आवश्यकता होती हैं। इस यंत्र किसी विशेष प्रकार के प्रशिक्षण के बिना ही यंत्र का संचालन किया जा सकता हैं। इस यंत्र की कीमत रु 1.5 से 3.0 लाख है एवं शासन द्वारा इस यंत्र पर एक किसान हेतु सब्सिडी 40 प्रतिशत एवं समुह हेतु 70-80 प्रतिशत है।
धान रोपाई विधि
खेत की मताई हेतु मिट्टी पलट हल की सहायता से अच्छी तरह जोताई करना चाहिए एवं खेत को समतल कर खेत के चारों ओर मेड़ का निर्माण कर कम से कम 5-10 से.मी. पानी भर कर एक दिन छोड़ कर पड़लर अथवा केज विल से मताई करना चाहिए। चटाई नुमा पौध नर्सरी की तैयारी हेतु 11-20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता होती हैं। बीज के अंकुरण हेतु बीज को एक दिन पानी में डुबाकर छोड़ दे एवं अगले दिन पानी से निकालकर बोरी (पटसन) से लपटकर बांध दें। बीज की जुताई हेतु लगभग 200-220 गेज मोटाई वाली पाॅलीथीन को बेड़ के ऊपर बिछा कर 15-20 मि.मी. मृदा का मिश्रण बिछाया जाता हैं एवं 200 ग्राम प्रति चटाई बीज की बुवाई की जाती हैं। 20-25 दिनों में जब पौधों में 4-5 पत्तियाँ उग जाए तब चटाईनुमा पौधों को यंत्र के निर्धारित माप के अनुसार काट कर यंत्र के फ्रेम में रखें।
धान रोपाई यंत्र का संचालन एवं रखरखाव-
- रोपाई आरंभ करने से पूर्व यंत्र का अच्छी तरह निरिक्षण कर साफ-सफाई करना चाहिए एवं इंधन, आइल आदि की भी जांच करनी चाहिए।
- चटाईनुमा पौधों को ढ़ांचे में स्थापित करने के पूर्व पौध को दबाने वाले हत्थे को हटाना चाहिए एवं पौधों को स्थापित कर हत्थे को पुनः उसके स्थान पर रख देना चाहिए।
- रोपाई के पहले यंत्र की गहराई अवश्यता अनुसार दैप्थ (गहराई) कंट्रोल लीवर की सहायता से र्निधारित करें।
- रोपाई के पूर्व यह सुनिश्चित कर ले की यंत्र के चारों तरफ रोपाई हेतु पर्याप्त जगह हो जिससे यंत्र के संचालन में कोई परेशानी न हो एवं रोपाई मेड़ के समानांतर करना चाहिए।
- रोपाई के समय पौध फ्रेम अथवा प्लेटफार्म को खाली होने से पहले पुनः भर दे एवं यंत्र को मोड़ने के दौरान कतार से कतार की दुरी एक समान बनाए रखे।
- यंत्र के संचालन के दौरान यह सुनिश्चित कर ले रोपाई के समय प्लांटींग क्लच एंगेजेड (जुड़ा हुआ) हो एवं प्लेटफार्म को पुनः भरने के समय प्लांटींग क्लच डीस-एंगेजेड (अलग हुआ) होना चाहिए।
- रोपाई का कार्य समाप्त होने के बाद यंत्र की साफ-सफाई कर सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए।
धान रोपाई यंत्र के प्रमुख निर्माता-
- महिन्द्रा एंड महिन्द्रा (महिन्द्रा राइस ट्रांसप्लांटर एम पी. 46)
- कुबोटा (कुबोटा युएसडी-8 राइस ट्रांसप्लांटर )
- मित्सुबिशी (मित्सुबिशीएल.वी-5)
- वी.एस.टी. (यांनजी शक्ति पैडी ट्रांसप्लांटर)