धान का बीजोपचार है जरुरी


धान की नर्सरी डालने से पहले बीजोपचार कर फसल को रोगों से बचा सकते हैं बारिश के बाद किसान धान की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं, ऐसे में धान की नर्सरी डालने से पहले किसान बीजोपचार कर न केवल फसल को रोगों से बचा सकते हैं, साथ ही ज्यादा उत्पादन भी पा सकते हैं। बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है, जिससे बीज जमीन मे सुरक्षित रहते है, क्योंकि बीजोपचार रसायन बीज के चारों और रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है और बीज की बुवाई ऐसे जीवों को दूर रखता है। बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है। बीज पर कवकों का प्रभाव बहुत अधिक होता है तो भंडारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है।

ऐसे करें बीजोपचार

धान की बुआई या थरहा तैयार करने से पूर्व यदि धान के बीज का उपचार कर लिया जाए तो अच्छे एवं उत्पादक बीज की प्राप्ति हो सकती है, और फसल भी अच्छी प्राप्त होती है। नमक के घोल में बीज डालकर उपचारित करने की प्रक्रिया में दस लीटर पानी में 17 प्रतिशत अर्थात एक किलो सात सौ ग्राम नमक को घोल लिया जाता है। इस घोल में 10 किलो तक धान के बीज, जिससे पौधे तैयार किए जाने है कि सफाई कर डूबो दिया जाता है। बीज को नमक में घोल में डुबोने के पश्चात अ'छी तरह से हिला कर पांच मिनट तक ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। कुछ देर के बाद अच्छे और भरे हुए बीज बर्जन के नीचे बैठ जाते हैं और पोचुआ व अनुत्पादक बीज ऊपर तैरने लगते हैं। इन बीजों को हटाकर नीचे बैठे बीजों को धूप में सुखाकर इन्हें निथार कर अलग कर दें और तली में बैठे बीजों को साफ पानी से धोकर सुखाकर फिर फफूंदनाशक, कीटनाशक व जीवाणु कल्चर से उपचारित करके बुवाई करें। बाविस्टीन दो-तीन ग्राम प्रति किग्रा या ट्राइकोडर्मा 7.5 ग्राम प्रति किग्रा. के साथ पीएसबी कल्चर छह ग्राम और एजेटोबैक्टर कल्चर छह ग्राम प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित कर नम जूट बैग के ऊपर छाया में फैला देना चाहिए। थरहा तैयार करने अथवा बुआई के लिए इन बीजों का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के बाद प्राप्त बीजों की उत्पादक क्षमता सही होती है व किसान को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। पानी की मात्रा बीज की मात्रा के हिसाब से बढ़ाई जा सकती है। किंतु नमक की मात्रा 17 प्रतिशत ही रखी जानी चाहिए।

बीजोपचार करते समय सावधानियां 
  • बीजों को पहले फफूंद नाशक दवा से उपचारित करना चाहिए उसके बाद जैविक कल्चर से उपचार करना चाहिए
  • उपचारित बीज को तुरंत बुवाई में प्रयोग करना चाहिए। 
  • अगर बोने के बाद उपचारित बीज की मात्रा बच जाए तो उसे न तो जानवरों को खिलाना चाहिए न ही खुद खाना चाहिए।
  • दवा के खली डिब्बे या पैकेट नष्ट कर देना चाहिए।