मृदा
तुलसी को तकरीबन हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन अच्छी खेती के लिए रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी ही इसके लिए उपयुक्त माना जाता हैं मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 तक उपयुक्त माना जाता है और मिट्टी की जल की धारण करने की क्षमता अच्छी होनी चाहिए साथ ही खेत से अतिरिक्त जल के निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए। इसकी खेती के लिए अम्लीय व क्षारीय मिट्टी उपयुक्त नहीं मानी जाती है। मिट्टी की जांच के लिए अपने जिला के कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक या कृषि विभााग से संपर्क करना चाहिए।
उन्नतशील-प्रजाति
आर.आर.एल.ओ.सी.-11, आर.आर.एल.ओ.सी.-12 आर.आर.एल.आ.ेसी.-14 ये सभी तुलसी की बढिया किस्में है एवं वन तुलसी, काली तुलसी एवं जंगली तुलसी स्थानीय किस्में है।
नर्सरी व बुवाई का समय
तुलसी के पौधे बीज को नर्सरी में बुवाई कर तैयार किए जाते हैं। मैदानी भागों में अप्रैल-मई महीने में बीज नर्सरी में बोयें जाते है। बीज की बुवाई के 30 दिन बाद पौधे 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाते है और रोपाई के लिए तैयार हो जाते है।
दूरी
नर्सरी में 1x4 मीटर आकार की क्यारियां बनाकर बीज बोना चाहिए हर क्यारी में अच्छी तरह सड़ी हुई 10 किलो गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद मिट़टी मिलाकर क्यारी की मिट़टी को भुर-भुरा बना लेना चाहिए। पौधे जब रोपाई लायक हो जाए तो उनकी रोपाई 60x 40 सेंटीमीटर दूरी पर करना चाहिए।
पौधों की संख्या
1 हेक्टेयर खेती की रोपाई के लिए 600 ग्राम बीज इस्तेमाल करते हैं। तुलसी के बीज बहुत छोटे होते हैं इसलिए इन्हें रेत या राख में मिलाकर बोना चाहिए। जिससे बीजों को ठीक सें एक समान मात्रा में क्यारी में बोया जा सकें।
बीजोपचार
बीजों को बोने से पहले बाविष्टिन फफूंदीनाशक दवा के 0.2 फीसदी वाले घोल से उपचारित कर लेना चाहिए ऐसा करने से बीमारी कम लगता है।
सिंचाई
बीज को क्यारी में बोने के बाद फव्वारे से हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए और बाद में समय समय पर सिंचाई करने रहना चाहिए। जरुरत के मुूताबिक समय समय पर सिंचाई करने रहना चाहिए बारिश के दौरान खेत में पानी ज्यादा देत तक खडा़ हो जाए तो फौरन खेत से बाहर निकाल देना चाहिए ज्यादा देर पाानी खड़ा रहने से पौधे पीले पड़ जाते हैं या मरने लगते हैं।
रोपाई
रोपाई शाम के समय ही करना चाहिए। रोपाई का सही समय जून-जुलाई का महीना होता है रोपाई के फौरान बाद हल्की सिंचाई कर देना चाहिए रोपाई शाम को ही करना चाहिए। रोपाई के बाद खरपतवार अगर उग आये तो निराई-गुड़ाई करके उनको खत्म कर देना चाहिए। पहले निराई गुडाई रोपाई के 1 महीने बाद करना चाहिए और आगे ज़रुरत के मुताबिक करते रहना चाहिए।
उत्पादन
रोपाई के 60 से 75 दिन बाद फसल कटने लायक तैयार हो जाती है जब पौधो पर बल्लरी सुनहरी होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि फसल कटाई के लिए तैयार है। तुलसी का पौधा 60 से 70 दिनों में पककर तैयार है सूखने के बाद इसको काट कर सुखा लिया जाता है। जब तुलसी की पत्तियां सूख जाती हैं तो पत्तियों को इकट़ठा कर लिया जाता है। 1 एकड़ खेत में 6 से 7 कुंटल सूखी पत्ती की प्रति पा्रप्त हो जाती है। इसको आपको बेचने के लिए पहले से ही डाबर, पतंजलि, व हमदर्द जैसी देसी औॅषधि कंपनी से संम्पर्क करके 10000 से 18000 प्रति क्विंटल के हिसाब से इसको खरीद लेती हैं, 1 एकड़ तुलसी की फसल पैदा करने में लगभग 6000-7000 रुपये का खर्च आात है इस हिसाब से आपको प्रति एकड़ 55000 से 60000 का फायदा हो जाता है। इसका एक यह भी फायदा है कि हम इसको साल में दो बार फसल के रुप प्रयोग में लिया जा सकता है।
तुलसी को तकरीबन हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन अच्छी खेती के लिए रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी ही इसके लिए उपयुक्त माना जाता हैं मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 तक उपयुक्त माना जाता है और मिट्टी की जल की धारण करने की क्षमता अच्छी होनी चाहिए साथ ही खेत से अतिरिक्त जल के निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए। इसकी खेती के लिए अम्लीय व क्षारीय मिट्टी उपयुक्त नहीं मानी जाती है। मिट्टी की जांच के लिए अपने जिला के कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक या कृषि विभााग से संपर्क करना चाहिए।
उन्नतशील-प्रजाति
आर.आर.एल.ओ.सी.-11, आर.आर.एल.ओ.सी.-12 आर.आर.एल.आ.ेसी.-14 ये सभी तुलसी की बढिया किस्में है एवं वन तुलसी, काली तुलसी एवं जंगली तुलसी स्थानीय किस्में है।
नर्सरी व बुवाई का समय
तुलसी के पौधे बीज को नर्सरी में बुवाई कर तैयार किए जाते हैं। मैदानी भागों में अप्रैल-मई महीने में बीज नर्सरी में बोयें जाते है। बीज की बुवाई के 30 दिन बाद पौधे 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाते है और रोपाई के लिए तैयार हो जाते है।
दूरी
नर्सरी में 1x4 मीटर आकार की क्यारियां बनाकर बीज बोना चाहिए हर क्यारी में अच्छी तरह सड़ी हुई 10 किलो गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद मिट़टी मिलाकर क्यारी की मिट़टी को भुर-भुरा बना लेना चाहिए। पौधे जब रोपाई लायक हो जाए तो उनकी रोपाई 60x 40 सेंटीमीटर दूरी पर करना चाहिए।
पौधों की संख्या
1 हेक्टेयर खेती की रोपाई के लिए 600 ग्राम बीज इस्तेमाल करते हैं। तुलसी के बीज बहुत छोटे होते हैं इसलिए इन्हें रेत या राख में मिलाकर बोना चाहिए। जिससे बीजों को ठीक सें एक समान मात्रा में क्यारी में बोया जा सकें।
बीजोपचार
बीजों को बोने से पहले बाविष्टिन फफूंदीनाशक दवा के 0.2 फीसदी वाले घोल से उपचारित कर लेना चाहिए ऐसा करने से बीमारी कम लगता है।
सिंचाई
बीज को क्यारी में बोने के बाद फव्वारे से हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए और बाद में समय समय पर सिंचाई करने रहना चाहिए। जरुरत के मुूताबिक समय समय पर सिंचाई करने रहना चाहिए बारिश के दौरान खेत में पानी ज्यादा देत तक खडा़ हो जाए तो फौरन खेत से बाहर निकाल देना चाहिए ज्यादा देर पाानी खड़ा रहने से पौधे पीले पड़ जाते हैं या मरने लगते हैं।
रोपाई
रोपाई शाम के समय ही करना चाहिए। रोपाई का सही समय जून-जुलाई का महीना होता है रोपाई के फौरान बाद हल्की सिंचाई कर देना चाहिए रोपाई शाम को ही करना चाहिए। रोपाई के बाद खरपतवार अगर उग आये तो निराई-गुड़ाई करके उनको खत्म कर देना चाहिए। पहले निराई गुडाई रोपाई के 1 महीने बाद करना चाहिए और आगे ज़रुरत के मुताबिक करते रहना चाहिए।
उत्पादन
रोपाई के 60 से 75 दिन बाद फसल कटने लायक तैयार हो जाती है जब पौधो पर बल्लरी सुनहरी होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि फसल कटाई के लिए तैयार है। तुलसी का पौधा 60 से 70 दिनों में पककर तैयार है सूखने के बाद इसको काट कर सुखा लिया जाता है। जब तुलसी की पत्तियां सूख जाती हैं तो पत्तियों को इकट़ठा कर लिया जाता है। 1 एकड़ खेत में 6 से 7 कुंटल सूखी पत्ती की प्रति पा्रप्त हो जाती है। इसको आपको बेचने के लिए पहले से ही डाबर, पतंजलि, व हमदर्द जैसी देसी औॅषधि कंपनी से संम्पर्क करके 10000 से 18000 प्रति क्विंटल के हिसाब से इसको खरीद लेती हैं, 1 एकड़ तुलसी की फसल पैदा करने में लगभग 6000-7000 रुपये का खर्च आात है इस हिसाब से आपको प्रति एकड़ 55000 से 60000 का फायदा हो जाता है। इसका एक यह भी फायदा है कि हम इसको साल में दो बार फसल के रुप प्रयोग में लिया जा सकता है।