बाजरा विभिन्न प्रकार की मिटटी में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल है। यह स्वादिष्ट और पौष्टिक चारा प्रदान करता है। इसे पशुओं को हरा चारा या कड़वी और साइलेज या ‘हे‘ के रूप में संरक्षित करके खिलाया जाता है। यह दक्षिण पूर्वी एशिया, चीन, भारत, पाकिस्तान, अरब, सूडान, रूस और नाइजीरिया की महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। भारत में, यह हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में उगाया जाता है।
पोषणः बाजरा के हरे चार (50 प्रतिशत पूर्ण अवस्था) में, सुखे वजन के आधार पर 7-10 प्रतिशत सीपी, 56-64 प्रतिशत एनडीफ, 38-40 प्रतिशत एडीएफ, 33-34 प्रतिशत सेल्यूलोज और 18-23 प्रतिशत हेमीसेलूलोज पाए जाते हैं।

मिट्टी और तैयारीः बाजरा, जलभराव होने अतिरिक्त रूप से प्रभावित होता है। इसके लिए हल्की से मध्यम प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है। यह मिट्टी की अम्लीयता को सहन करने में असमर्थ है। इसके लिए एक जुताई मिट्टी पलट हल और दो जुताई हैरो के साथ उपयुक्त हैै।

बुवाई का समयः सिंचिंत क्षेत्रों में गर्मियों में बुवाई के लिए मार्च से मध्य अप्रैल उपयुक्त समय है। जुलाई का पहला पखवाड़ा खरीफ की फसल के लिए उपयुक्त है। दक्षिण भारत में, रबी मौसम के दौरान अक्टूबर से नवंबर तक बुवाई की जाती है।

प्रजातियां:- एक कटानः राज बाजरा चरी2 पीसीबी141 और नरेन्द्र चारा बाजरा3 बहुकटानः जाइंट बाजरा, पूसा322, प्रो एग्रो1, जीएफबी1, एपीएफबी2, और एएफबी3 द्वि-उद्देश्यीयः एवीकेबी-19 और नरेन्द्र 
बाजरा-2

बीज दरः हरे चारे की फसल की बुआई 25 सेमी की दूरी में पंक्तियों में तथा सीडडिल से 1,5सेमी दूरी पर करनी चाहिए। इसके लिए 8-10 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त है। बीज को बुवाई से पहले एग्रोसान जीएन अथवा थीरम 3 ग्राम से उपचारित किया जाता है।

खाद और उर्वरकः सिंचित परिस्थितियों में फसलों की उचित पोषण आवश्यकता को पूरा करने के लिउए बुआई से 20 दिन पहले 10 टन गोबर खाद कम्पोस्ट और 50ः30.30 किग्रा नाइटोजन, फास्फोरस और पोटाश बुवाई के समय देना चाहिए। बुवाई  के एक माह बाद खड़ी फसल में 30 किलोग्राम नाइटोजन हेक्टेयर का छिड़काव करना चाहिए। गैर सिंचित परिस्थितियों में, बुवाई के समय उपयुक्त खाद और उर्वरक के अलावा बारिश होने पर 20-35 किग्रा हेक्टेयर का छिड़काव 30-35 दिन की अवस्था में किया जाना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रणः 25-30 दिनों की अवस्था पर वीडर कम कल्चर से निराई गुड़ाई करनी चाहिए।एटोजीन 0,5 0,75 किग्रा हैक्टर 600 लीटर पानी का जमाव से पूर्व छिड़काव फसल के लिए प्रभावी होता है, लेकिन बाजरे के लोबिया, 1 किग्रा बुवाई से पहले एलाक्लोर का उपयोग करना चाहिए।

सिंचाईः खरीफ की फसल में, बारिश में अंतराल होने पर 1-2 सिंचाई की जा सकती है। लेकिन गर्मियों की फसल में, पर्यावरण की वाष्पीकरण की मांग के कारण 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है।


कीटनाशकः बाजरा में कई कीट और रोग होते हैं। अर्गट, चूर्णिल, आसिता और स्मट इसके मुख्य रोग है। मेटालेक्सिल 2 ग्राम किग्रा बीज  का छिड़काव उचित नियंत्रण देता है। अरगट उवं स्मट से प्रभावित झुमके को हटा दिया जाना चाहिए और जला दिया जाना चाहिए। शूट फलाई कीटों के नियंत्रण के लिए कार्बोफयूरान 125 मिली हेक्टेयर का छिड़काव लाभदायक है।

कटाई और पैदावारः कटाई वाली प्रजातियों में बुवाई के 70-75 दिन बाद 50 प्रतिशत पूर्ण अवस्था के बाद कटाई करें।बहुकटाई वाली प्रजातियों में पहली कटाई 40-45 दिन और फिर 30 दिनों के अंतराल पर काटते हैं। इस प्रकार, वैज्ञाानिक रूप से उगाई जाने वाली फसलों  से 450-950 क्विंटल चारा प्राप्त होता है।