कैप्सूल के माध्यम से ट्राइकोडर्मा जैव फफूंदनाशक कल्चर का विपुल उत्पादन करें।
- कल्चर के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट या सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर 10 प्रतिशत या आवश्यकतानुसार सांद्रता का ट्राइकोडर्मा कल्चर तैयार कर सकते हैं।
- तैयार कल्चर के माध्यम से धान का पैरा एवं अन्य फसलों के अवशेषों से खाद बनाएं।
- तैयार कल्चर को 4 किलो की मात्रा में 40 किलो गोबर की खाद में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में मिलाकर मृदा उपचार करें।
- इसके माध्यम से मृदा जनित रोगों को नियंत्रित किया जा सकता हैं एवं इसके उपयोग से पौधों की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती हैं और पौधों की बढ़वार अच्छी होती हैं।
ट्राइकोडर्मा जैव फफूंदनाशी का वृहद उत्पादन की विधि
एक किलो चावल की कनकी लें।
चांवल कनकी को खौलते पानी में डालकर 1-2 मिनिट में शीघ्र स्प्रिट से पोछकर स्टील की छन्नी से छान लें।
चांवल कनकी को हल्का गुनगुना होने तक ठंड़ा करें।
ढ़क्कनयुक्त प्लास्टिक के बड़े डब्बें लें और कपास को स्प्रिट से भिगोकर डिब्बों को इससे पोछकर अच्छी तरह निर्जीविकृत करें।
गुनगुने चांवल की कनकी में 2 ट्राइकोकैप (ट्राइकोडर्मा कल्चर) केप्सूल प्रति किलो की दर से दर से इसके पाउडर को अच्छी तरह से मिला दें।
इस मिले हुए चांवल कनकी को निर्जीविकृत ढ़क्कन वाले प्लास्टिक के डिब्बों में 1 से.मी. ऊंचाई तक भरकर समतल करें व ढ़क्कन को बंद करें।
इन भरे हुए डिब्बों को एक साफ सुथरे बंद कमरें में अलग-अलग एक लाईन से लकड़ी या पत्थर की आलमारी में रख दें। कमरे का तापमान 25-30 डिग्री से. हो। तापमान ज्यादा कम होने पर एक साफ बोरे से ढ़क। तापमान यदि ज्यादा हो तब डिब्बों को गीली रेत पर रख दें।
तीसरे दिन से ट्रइकोडर्मा फफूंद उगना शुरू हो जायेगा। पहले सफेद बाद में हरा हो जायेगा। 7-8 दिन पश्चात् ट्राइकोडर्मा उपयोग के लिये तैयार है।
तैयार ट्राइकोडर्मा को डिब्बे से निकालकर, खलबट्टा या मिक्सी की सहायता से बारीक पीस लें तथा 100 ग्राम प्रति किलो सड़ी गोबर की खाद या कंउे की स्वच्छ राख में मिलाकर 1 किलो की थैली में भरकर सील करें व छायादार जगह में भंडारण करें।
10 ग्राम/किलो की दर से बीज को उपचारित करें व 4-6 किलो 40 किलो गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ खेत में आखिरी जुताई के समय खेत में मिलायें।
ड्रिप के माध्यम से उपयोग करने के लिये तैयार ट्राइकोडर्मा को डिब्बा प्रति लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से मसलकर मिलायें व बचें दानों को छानकर अलग करें। 5-6 लीटर प्रति 50 लीटर टैंक में मिलाकर उपयोग करें।