डॉ. विवेक कुमार सिंघल, डॉ. राकेश बनवासी तथा डॉ. गौरव कुमार जाटव
कृषि वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान विभाग ,
कृषि महाविद्यालय रायपुर , इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर
भूमिका:
सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) फॉस्फोरस (P) आधारित उर्वरकों में सबसे पुराना और मानकीकृत उर्वरक है, जिसे रॉक फॉस्फेट और सल्फ्यूरिक अम्ल की रासायनिक अभिक्रिया से तैयार किया जाता है। यह उर्वरक लगभग 16% फॉस्फोरस , 21% कैल्शियम और 11-12% सल्फर प्रदान करता है। इसमें मोनोकैल्शियम फॉस्फेट एवं जिप्सम मुख्य घटक होते हैं, जो फसल पोषण के साथ-साथ मिट्टी स्वास्थ्य को भी सुधारते हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य में फॉस्फोरस (P) उर्वरक खपत:
छत्तीसगढ़ राज्य (वर्ष 2024–25) में फॉस्फोरस (P) उर्वरक की कुल खपत 2,53,834 मीट्रिक टन दर्ज की गई है, जिसमें खरीफ में 1,96,834 मीट्रिक टन तथा रबी में 57,000 मीट्रिक टन फॉस्फोरस उर्वरक का उपयोग किया गया। राज्य में कुल सकल फसल क्षेत्र लगभग 67.77 लाख हेक्टेयर रहा, जिसके आधार पर प्रति हेक्टेयर फॉस्फोरस उर्वरक की औसत खपत 37.45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई। छत्तीसगढ़ की कुल उर्वरक (N, P, K मिलाकर: 8,83,101 मीट्रिक टन) खपत में, फॉस्फोरस उर्वरक की भागीदारी लगभग 28.74% प्राप्त हुई।
जिलेवार विश्लेषण में, फॉस्फोरस उर्वरक की सर्वाधिक खपत महासमुंद (17,480 मीट्रिक टन) तथा इसके बाद धमतरी (14,401 मी. टन), दुर्ग (12,802 मी. टन), बलौदाबाजार (12,170 मी. टन) और बेमेतरा (11,893 मी. टन) ज़िलों में दर्ज़ किया गया।सकल फसल क्षेत्र के आधार पर, प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक फॉस्फोरस उर्वरक खपत धमतरी ज़िले में (78.85 किग्रा/हेक्टेयर) तथा इसके पश्चात महासमुंद (64.25 किग्रा/हेक्टेयर), दुर्ग (61.14 किग्रा/हेक्टेयर), सक्ति (41.18 किग्रा/हेक्टेयर) और रायपुर (69.56 किग्रा/हेक्टेयर) ज़िलों में प्राप्त हुआ। वहीं दूसरी ओर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर जैसे जिलों में फॉस्फोरस उर्वरक की खपत अत्यंत कम या शून्य पाया गया।
सिंगल सुपर फॉस्फेट के लाभ
- फॉस्फोरस की उपलब्धता: सिंगल सुपर फॉस्फेट में मौजूद मोनो कैल्शियम फॉस्फेट, पानी में घुलनशील रूप में रहता है, जिससे यह फसल की जड़ों द्वारा शीघ्र अवशोषित किया जा सकता है। यह पोषक तत्त्व कोशिका विभाजन, जड़ विकास, बीज निर्माण, और ऊर्जा संचरण में महत्वपूर्ण होता है।
- कैल्शियम की भूमिका: सिंगल सुपर फॉस्फेट में उपलब्ध कैल्शियम कोशिका दीवार निर्माण, एंजाइम क्रियाशीलता, तथा मृदा पीएच संतुलन में सहायक होता है।
- सल्फर की आपूर्ति: सिंगल सुपर फॉस्फेट में उपलब्ध सल्फर प्रोटीन निर्माण, क्लोरोफिल संश्लेषण, एवं नाइट्रोजन उपयोग दक्षता बढ़ाने में सहायता करता है। यह तिलहन, दलहन एवं प्याज, लहसुन जैसी फसलों के लिए आवश्यक है, जिनमें सल्फर की उच्च आवश्यकता होती है।
- मिट्टी की उर्वरता में दीर्घकालिक सुधार: सिंगल सुपर फॉस्फेट के निरंतर और संतुलित उपयोग से मिट्टी के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार होता है। यह न केवल मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाता है बल्कि राइजोबियम, पीएसबी जैसे लाभकारी जीवाणुओं की सक्रियता को भी बढ़ाता है। इससे पोषक तत्वों का खनिजीकरण बेहतर होता है, जो पौधों की जड़ प्रणाली को सशक्त बनाता है और मिट्टी की दीर्घकालिक उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होता है।
- बहुपोषक तत्वों की एक साथ आपूर्ति: डाई अमोनियम फॉस्फेट (डी.ए.पी.) या ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (टी.एस.पी.) जैसे उर्वरक फॉस्फोरस और नाइट्रोजन प्रदान करते हैं, जबकि सिंगल सुपर फॉस्फेट एक बहुपोषक उर्वरक है, जो फॉस्फोरस के साथ-साथ कैल्शियम और सल्फर जैसे द्वितीयक पोषक तत्व भी उपलब्ध कराता है। इससे फसल को संतुलित पोषण प्राप्त होता है, जो उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार लाता है।
- बहु-फसलीय उपयोगिता: सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग सभी प्रकार के फसलों जैसे अनाज (जैसे धान, गेहूं, मक्का), दलहन (चना, अरहर), तिलहन (सरसों, सूरजमुखी) और बागवानी फसलों (टमाटर, प्याज, आलू) में प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। इसे अकेले या अन्य उर्वरकों जैसे यूरिया, म्युरेट ऑफ पोटाश, जैविक खाद या कम्पोस्ट के साथ मिलाकर भी प्रयोग में लाया जा सकता है। यह पोषण प्रबंधन में लचीलापन प्रदान करता है और एकीकृत पोषण प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
सिंगल सुपर फॉस्फेट की फसलवार अनुशंसा
फसल |
धान |
गेहूँ |
अरहर |
चना |
सरसों |
मक्का |
||||
कम अवधि किस्मे |
मध्यम अवधि किस्मे |
उच्च अवधि किस्मे |
अर्ध सिंचित |
सिंचित |
संकर किस्मे |
संकुल किस्मे |
||||
फसल में फॉस्फोरस (P2O5) की अनुशंसित मात्रा (किग्रा/ एकड़) |
20 |
24 |
24 |
12 |
24 |
20 |
20 |
24 |
24 |
16 |
फॉस्फोरस की पूर्ति हेतु सिंगल सुपर फॉस्फेट की मात्रा (किग्रा/ एकड़) |
125 |
150 |
150 |
75 |
150 |
125 |
125 |
150 |
150 |
100 |
सिंगल सुपर फॉस्फेट के उपयोग की विधियाँ
- सिंगल सुपर फॉस्फेट के प्रभावी उपयोग के लिए मृदा परीक्षण के आधार पर उपयोग आवश्यक है ताकि मिट्टी में उपलब्ध फॉस्फोरस, कैल्शियम और सल्फर की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके, जिससे संतुलित पोषण प्रबंधन सुनिश्चित हो सके।
- सिंगल सुपर फॉस्फेट को आधार उर्वरक के रूप में उपयोग करना सबसे उपयुक्त होता है, जिसमें इसे बुवाई या रोपाई से पूर्व बीज या पौधे के नीचे मिट्टी में डालकर प्रयोग किया जाता है, जिससे प्रारंभिक वृद्धि अवस्था में पौधों की जड़ों को फॉस्फोरस की सीधी आपूर्ति मिलती है। इसके अलावा, पंक्ति के किनारे (साइड ड्रेसिंग) और मिट्टी में मिलाकर देना भी इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने की अन्य विधियाँ हैं।
- सिंगल सुपर फॉस्फेट को यूरिया, म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (एम.ओ.पी.) जैसे अन्य नाइट्रोजन व पोटाश उर्वरकों के साथ मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है, और डी. ए. पी. के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फॉस्फेट तथा यूरिया का संयोजन आर्थिक रूप से किफायती होने के साथ-साथ पोषण की दृष्टि से भी लाभकारी सिद्ध होता है।
सिंगल सुपर फॉस्फेट की अन्य फॉस्फोरस उर्वरक से तुलना में विशेषताएँ
सिंगल सुपर फॉस्फेट (16%) की तुलना में डी.ए.पी. (46%) और टी.एस.पी. (46%) में फॉस्फोरस (P) की मात्रा अधिक होती है। हालांकि, सिंगल सुपर फॉस्फेट में सल्फर (11–12%) और कैल्शियम (21%) जैसे द्वितीयक पोषक तत्व भी उपलब्ध होते हैं, जो डी.ए.पी. और टी.एस.पी. में नहीं पाए जाते। लागत की दृष्टि से भी सिंगल सुपर फॉस्फेट अधिक किफायती है और यह बहुपोषक तत्वों की आपूर्ति करता है, जबकि डी.ए.पी. केवल नाइट्रोजन और फॉस्फोरस तथा टी.एस.पी. केवल फॉस्फोरस प्रदान करते हैं। मिट्टी में फॉस्फोरस, कैल्शियम और सल्फर पूर्ति हेतु सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग एक समग्र समाधान के रूप में कार्य करता है। साथ ही, सिंचित कृषि में इसका उपयोग अधिक प्रभावी होता है क्योंकि सिंगल सुपर फॉस्फेट में उपलब्ध घुलनशील फॉस्फोरस और सल्फर पौधों की जड़ों तक शीघ्र पहुँचकर उनकी प्रारंभिक वृद्धि को सशक्त बनाते हैं।
बिंदु |
सिंगल सुपर फॉस्फेट |
डी.ए.पी. |
टी.एस.पी. |
P2O5
(%) |
16 |
46 |
46 |
S (%) |
11–12 |
NIL |
NIL |
Ca (%) |
21 |
NIL |
NIL |
लागत |
कम |
अधिक |
अधिक |
लाभ |
बहुपोषक तत्व |
केवल P-N |
केवल P |
निष्कर्ष : सिंगल सुपर फॉस्फेट एक बहुपोषक तत्व युक्त, वैज्ञानिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत प्रभावी उर्वरक है, जो फॉस्फोरस के साथ-साथ सल्फर और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण द्वितीयक पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। यह न केवल फसल की प्रारंभिक वृद्धि, जड़ विकास, और उत्पादन को बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी की अम्लता को संतुलित कर उसकी दीर्घकालिक उर्वरता भी बनाए रखता है। सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग विभिन्न फसलों में किया जा सकता है, यह छोटे व सीमांत किसानों के लिए डी.ए.पी. का किफायती विकल्प है। डी.ए.पी. और टी.एस.पी. जैसे उर्वरकों की तुलना में सिंगल सुपर फॉस्फेट पोषण और लागत दोनों दृष्टियों से बेहतर विकल्प प्रदान करता है। अतः मिट्टी में फॉस्फोरस, कैल्शियम और सल्फर की पूर्ति के लिए वहाँ सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग टिकाऊ और संतुलित कृषि उत्पादन हेतु अत्यंत उपयुक्त है।
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