डॉ. पी. मूवेंथन, वरिष्ठ वैज्ञानिक
सुमन सिंह, सीनियर रिसर्च फेलो
डॉ. हेमप्रकाश वर्मा, यंग प्रोफेशनल
भा. कृ. अनु. प.-राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान, बरोंडा, रायपुर (छ. ग.)
मृदा परीक्षण क्या है?
मृदा परीक्षण, उर्वरता निर्धारण के लिए अति महत्वपूर्ण रासायनिक विधि है। इसके माध्यम से हम खेतों मे सुलभ अवस्थाओं में पोषक तत्वों की कितनी मात्रा है, फसल को कितना आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता यह ज्ञात किया जा सकता है।
प्रयोगशाला परीक्षण अक्सर तीन श्रेणियों में पौधों के पोषक तत्वों की जांच करते हैः–
प्रमुख पोषक तत्व : नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम
द्वितीयक पोषक तत्व : सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम
लघु पोषक तत्व : लोहा, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, बोरान, मोलिब्डेनम, क्लोरीन
मृदा परीक्षण के उद्देश्य –
1. मृदा की उर्वरता स्थिति का मूल्यांकन।
2. मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की स्थिति का आंकलन।
3. बागवानी लगाने के लिए मिट्टी की उपयुक्ता का मूल्यांकन।
4. अम्लता, लवणता एवं क्षारियता समस्याओ का निर्धारण।
5. मृदा परीक्षण मूल्य के आधार पर उर्वरक, चूना अथवा जिप्सम की आवश्यक मात्रा की अनुशंसा।
मृदा नमूना एकत्रित करने की विधि -
1. खेत में जिस स्थान से मृदा नमूना लेना है उस स्थान के घास खरपतवार को साफ कर लेना चाहिए।
2. मृदा के समक्षेत्र के एक निश्चित क्षेत्र से 0-15 सेमी. गहराई का एक संयुक्त प्रतिनिधि नमूना एकत्र किया जाता है।
3. मृदा नमूने को छाया में सूखा लेना चाहिए, धूप में सुखने से मृदा नमूनों में उपस्थित पौधों के पोषक तत्वों में अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है।
4. मृदा नमूना सूख जाने के बाद ढेलों को अच्छी तरह से फोड़ ले और बारिक कर लिया जाता है। तथा नमूने में उपस्थित खरपतवार पौधें जड़, कंकड, पत्थर तथा पौधें के अवशेष भाग को निकाल देना चाहिए।
5. उसके बाद आधा किलोग्राम नमूने को साफ कपड़े में रखकर उसके ऊपर कागज में नाम, पता लिखकर चिपका देना चाहिए। फिर इस नमूने को पास की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज देना चाहिए।
मृदा नमूने लेने व रखने में सावधानियाँ –
1. मृदा नमूने को उर्वरकों के बोरो में नहीं सूखाना चाहिए।
2. तैयार नमूने को खुले में नहीं रखना चाहिए।
3. मृदा नमूने को उर्वरकों के बोरों के पास नहीं रखना चाहिए।
4. मृदा नमूने को सुखाकर ही प्रयोगशाला में भेजना चाहिए।
मृदा परीक्षण रिपोर्ट –
मृदा परीक्षण रिर्पोट के परिणाम आम तौर पर इंगित करेंगे कि पोषक तत्व का स्तर कम, मध्यम या उच्च हैं। इन स्तरों को पोषक तत्व वर्ग या श्रेणियों के रूप में जाना जाता है।
क्रमांक |
पैरामीटर |
मानक स्तर/दर |
1 |
पीएच |
6.5
- 8.2 |
2 |
ईसी |
1 से कम डी एस/एम |
3 |
आर्गेनिक कार्बन |
0.5
- 0.75 प्रतिशत |
4 |
उपलब्ध नाइट्रोजन (N) |
250 - 400 किग्रा./हे. |
5 |
उपलब्ध फॅास्फोरस (P) |
10 - 20 किग्रा./हे. |
6 |
उपलब्ध पोटेशियम (K) |
280 किग्रा./हे. से अधिक |
7 |
उपलब्ध सल्फर(S) |
10 पीपीएम से अधिक |
8 |
उपलब्ध जिंक (Zn) |
0.6 पीपीएम से अधिक |
9 |
उपलब्ध बोरोन (B) |
0.5 पीपीएम से अधिक |
10 |
उपलब्ध आयरन (Fe) |
4.5 पीपीएम से अधिक |
11 |
उपलब्ध मैंगनीज (Mn) |
10.49 पीपीएम |
12 |
उपलब्ध कॉपर (Cu) |
2 पीपीएम से अधिक |
आप जो भी फसलों को उगाना चाहते हैं उन फसलों के नाम आप जांच कराते समय दे देंगे, तब उन फसलों के हिसाब से आपको सलाह दी जाएगी कि कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में आपको देना है और कैसे देना हैं।
मृदा परीक्षण आवश्यक क्यों हैं?
1. मृदा परीक्षण के माध्यम से किसान खेत की मिट्टी की आवश्यकताओं को ज्ञात कर सकता है एवं मिट्टी की जरूरत अनुसार खेत में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करता है।
2. मृदा परीक्षण के माध्यम से किसान लागत कम कर सकता है एवं उत्पादन और आय मे वृद्धि होती है। जिससे किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
3. मृदा परीक्षण के माध्यम से हम खेती में जोखिम का अनुमान लगा सकते है एवं जोखिम से बचने के लिए मिट्टी को तैयार कर सकते हैं।
4. मृदा परीक्षण के माध्यम से हम प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा भी कर सकते है। मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हुए भविष्य के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
5. मृदा परीक्षण के माध्यम से हम प्रदूषण के प्रभाव को भी जांच सकते है। जैसे कि अत्यधिक उर्वरकों और कीटनाशक के प्रयोग से होने वाली हानि।
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