योगेंद्र सिंह, सहायक प्राध्यापक (फल विज्ञान) 
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कोरबा
डॉ. कुन्तल साटकर, सहायक प्राध्यापक (फल विज्ञान) 
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, गरियाबंद


परिचय
आम (मैंगीफेरा इंडिका एल.) एनाकार्डियासी परिवार की एक प्रजाति है, इसमें अत्यधिक गुण होते हैं यह प्रशंसित फल है और इसकी खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापक रूप से की जाती है। ताजे फल और प्रसंस्कृत उत्पाद दोनों के रूप में इसकी खपत समय के साथ बढ़ी है, जिससे इसकी मांग बढ़ी है, जिससे उद्योग का आकार और भौगोलिक स्थिति में विस्तार हो रहा है।

आम के फलों का झड़ना एक बहुत ही गंभीर समस्या है। आम में लगभग 99 प्रतिशत फल विभिन्न चरणों में गिर जाते है और मात्र 0.1 प्रतिशत फल ही परिपक्व अवस्था तक पहुँच पाते है। अत्याधिक फलों का गिरना आम की उत्पादकता पर विपरीत असर डालता है। फलों का गिरना किस्म विशेष, निषेचन की कमी, द्विलिंगी पुष्पों की कमी, अपर्याप्त परागण, पराग कीटों की कमी, फलों की पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा और बाग़ में नमी की कमी के कारण प्रभावित होता है। सामान्यत: आम की लगभग सभी किस्मों में यह समस्या समान रूप से पाई जाती है। मंझर आने से लेकर फल बनने तक के समय में फसल की काफी महत्वपूर्ण और बुनियादी आवश्यकताएं होती हैं। साथ ही यदि सही प्रबंधन शुरुआत में न अपनाएं जाए तो यह छोटे व पतले फलों के होने का भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

आम में फल झड़न की प्रक्रिया को तीन चरणों में बांटा गया है-

पिन हैड अवस्था में फलों का गिरना
इस अवस्था में फल झड़न अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाता है। इस अवधि में अधिकतर फल पेड़ से झड़ जाते है। झड़ने वाले फलों में फूल की सूखी पंखुड़ियाँ तथा सिकुड़े हुए फल शामिल होते है। इस अवस्था में गिरने वाले फलों का आकार पिन के सिरे के समान होता है। मूल रूप से अपर्याप्त परागण वाले फल इस अवधि में गिर जाते है।

फल स्थापित होने के बाद झड़न
इस अवधि में 4 मि.मी. व्यास से अधिक आकार के फल पौधों से झड़ जाते है। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में फलों का झड़ना बंद होता है।

मई में फलों का झड़न
इस अवधि में गिरने वाले फलों से बागवानों को अधिकतम हानि पहुँचती है क्योंकि इस समय फल तोड़ने के लिए तैयार हो चुके होते हैं। फल झड़न पूरे मई में जारी रहता है इसलिए इसे जून ड्रॉप का नाम दिया गया है।

फल झड़न के कारण-

नमी
उच्च तापमान तथा तेज हवाओं के चलने से पानी का अधिक वाष्पीकरण होता है जिससे पत्ते मुरझा जाते है तथा फल गिरने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। दशहरी किस्म पर किये गये शोध में यह पाया गया है कि नियमित सिंचाई से इस समस्या को कम किया जा सकता है।

बीज का विकास
बीज से एक प्रकार के वृद्धि बढ़ाने वाले हार्मोन्स (ऑक्सिन) निकलते है जो कि फलों को पौधों पर बनाए रखने में सहायक होते हैं। परागण न होने पर बीज का न बनना या बीज का सही विकास न होना, दोनों अवस्थाओं में फल झड़ने की मात्रा अधिक होती है।

कीट तथा बीमारियाँ-
आम में अनेक प्रकार के कीट (मिली बग, हॉपर इत्यादि) तथा बीमारियाँ (एंथ्रेक्नोज, पाउडरी मिल्ड्यू) फलन को प्रभावित करते है। बीमारियों तथा कीट के अधिक प्रकोप के कारण भी फल झड़ने की समस्या में वृद्धि हो जाती है।

एवसिशन तह का बनना
परआक्सी डेज की अधिक क्रियाशीलता के कारण फलों की डंडी में 6-7 मृत कोशिकाओं की तह तैयार हो जाती है जिसे एवसिशन तह कहा जाता है। इस तह के बनने पर फल तथा डंडी अलग हो जाती है तथा फल नीचे गिर जाते है।

प्रबंधन-

देख-भाल
आम के बागीचों में अच्छी देखभाल के द्वारा फल झड़न की समस्या को कम किया जा सकता है। नियमित छंटाई, सिंचाई तथा पालीथीन मल्चिंग के द्वारा मृदा में नमी को संचित किया जा सकता है जो कि फलों को गिरने से रोकने में सहायक है। पौधों में खाद व उर्वरक के नियमित व संतुलित उपयोग से भी इस समस्या को कम किया जा सकता है।

सूक्ष्म पोषक तत्व
अन्य फसलों की तरह ही फूल आने के समय पर सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन आम के फूलों के झड़ने से लेकर फलों के झड़ने तक को बचाता है। इसके अलावा ये तत्व फूलों के गुच्छों में से खराब फूलों को हटाकर केवल अच्छी गुणवत्ता के फूलों के विकास में भी मदद करते हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण फलों की प्राप्ति होती है। आम की फसल में सामान्यतः जिंक, कॉपर एवं बोरॉन की प्रमुखता देखी गयी है, जिनकी पूर्ति के लिए 50 ग्राम जिंक सल्फेट की मात्रा, 50 ग्राम कॉपर सल्फेट और 20 ग्राम बोरेक्स प्रति साल प्रति पेड़ की दर से आप दे सकते हैं।

हौरमोन्स का प्रयोग
आमतौर पर कई तरह के हौरमोन्स जैसे एन.ए.ए., 2, 4-डी, 2, 4, 5-टी, जी.ए. इत्यादि फलों को झड़न से बचाने के लिए प्रयोग किये जाते है। शोध कार्यक्रमों में यह पाया गया है कि 20 पी.पी.एम. 2,4-डी, का अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में छिड़काव इस समस्या को काफी हद तक नियमित करने में सहायक है।

कीट तथा बीमारियों की रोकथाम
आम में लगने वाले कीटों तथा बीमारियों की समय पर रोकथाम करने से भी फलों को झड़ने से बचाया जा सकता है।

आम का तना छेदक
  • पेड़ की मृत और गंभीर रूप से प्रभावित शाखाओं को हटा दें और नष्ट कर दें।
  • वयस्क भृंगों द्वारा अंडे देने से रोकने के लिए ढीली छाल को खुरचने के बाद कोयला टार + मिट्टी का तेल @ 1:2 या कार्बेरिल 50 डब्लूपी 20 ग्राम / लीटर (तने का बेसल भाग - 3 फीट ऊंचाई) डालें।
  • प्रति छेद एक सेल्फोस टैबलेट (3 ग्राम एल्यूमीनियम फॉस्फाइड)।

मैंगो हॉपर
  • एसेफेट 75 एसपी @ 1 ग्राम/लीटर या फोसालोन 35 ईसी @ 1.5 मिली/लीटर का दो बार छिड़काव करें।
  • नीम का तेल 5 मिली/लीटर पानी में कोई भी कीटनाशक मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

मिलीबग
  • जनवरी के मध्य में पेड़ों को 20 सेमी चौड़ी पॉलिथीन (400 गेज) से बाँध दें।
  • यदि आवश्यक हो तो मिथाइल पैराथियान 1 मि.ली./लीटर, क्लोपाइरीफॉस 20EC 2.5 मि.ली./लीटर डालें।

पाउडरी मिल्ड्यू
वेटेबल सल्फर 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम सल्फेक्स/लीटर), ट्राइडेमोर्फ ओ.1 प्रतिशत का वैकल्पिक छिड़काव (1 मिली कैलीक्सिन/लीटर) और बाविस्टिन @ 0.1% 15 दिनों के अंतराल पर इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए अनुशंसित हैं।। पहला छिड़काव पुष्पगुच्छ निकलने की अवस्था पर करना चाहिए।

एन्थ्रेक्नोज
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर प्रारंभिक स्थिति में स्प्रे करना चाहिए।

आम की विकृति
  • जनवरी के दौरान 100-200 पीपीएम एनएए का छिड़काव करें।
  • इसके बाद कार्बेन्डाजिम (0.1%) या कैप्टाफोल (0.2%) का छिड़काव किया जाता है।