इंजी. होमेन्द्र कुमार साहू, शोध विद्यार्थी, कटाई उपरान्त प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियंत्रण विभाग, 
गोबिंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड
इंजी. ज्योत्सना पटेल, शोध विद्यार्थी, कृषि एवं खाद्य अभियांत्रिकी, 
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
इंजी. आंचल जयसवाल, शोध विद्यार्थी, कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी, 
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़
इंजी. अरशद कुरैशी, प्रयोगशाला सहायक, स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल, 
बागबाहरा, महासमुंद, छत्तीसगढ़

कृषि और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य छत्तीसगढ़ में कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी किसानों की आजीविका बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण। इसकी आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कृषि पर निर्भर होने के कारण, उत्पादकता बढ़ाने, किसानों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करने और खाद्य सुरक्षा में सुधार करने में कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। धान यहां की प्रमुख फसल है मूल्य संवर्धन, उचित रख रखाओ और प्रसंस्करण के माध्यम से किसानो की आय दुगुनी की जा सकती है। साथ ही यह प्रचुर मात्रा में वनोपज उपलब्ध है जिसका प्रसंस्करण करके छत्तीसगढ़ में उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है जो किसान की आय को वृद्धि करने में सहायक होगा। कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी से कैसे छत्तीसगढ़ में किसानों को विशेष लाभ कैसे हो सकता है इसे निम्नलिखित विषयो के अवकलन से समझते है-

1. मूल्य संवर्धन एवं बाजार विस्तार
छत्तीसगढ़ राज्य चावल, मक्का, दालें और सब्जियों जैसी विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। कृषि प्रसंस्करण इन फसलों को चावल के आटे, पिसी हुई दालों, या प्रसंस्कृत फल और सब्जी उत्पादों जैसे उत्पादों में बदलकर उनका मूल्य बढ़ा सकता है। इससे फसलों की शेल्फ लाइफ बढ़ती है, बर्बादी कम होती है और राज्य के भीतर और बाहर नए बाजार खुलते हैं। इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे कर इमली, महुआ और विभिन्न फलों जैसे पारंपरिक कृषि उत्पादों को प्रसंस्करण करके, किसान विशिष्ट उत्पाद बना सकते हैं जो स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों बाजारों की मांग को पूरा करते हैं। खाद्य अभियांत्रिकी विभाग इमली का गूदा, फलों के रस और प्रसंस्कृत स्नैक्स जैसे उच्च गुणवत्ता वाले, मूल्य वर्धित उत्पाद बनाने में मदद कर सकती है जो प्रीमियम कीमतों को आकर्षित करते हैं।

छत्तीसगढ शासन द्वारा प्रदेश की आंतरिक क्षमताओं एवं प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण सदुपयोग करते हुए औद्योगिक दृष्टि से नवाचार तकनीकों के साथ तालमेल द्वारा समृद्व राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने के लिए ‘‘औद्योगिक विकास नीति 2024-30’’ को तैयार किया गया है। इस नीति का उद्धेश्य औद्योगिक दृष्टि से प्रदेश के पिछडे क्षेत्रों की पहचानकर उन जिलों एवं विकास खंडों में अधिकतम आर्थिक एवं औद्योगिक विकास के माध्यम से अधोसंरचनात्मक व्यवस्था, प्रोत्साहन एवं सुविधायें उपलब्ध कराना है, ताकि उन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास का माहौल निर्मित हो सके एवं अधिक से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन हो सके। इस योजना तहत खाद्य एवं कृषि जिसों के उत्पादन पर आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्यम तथा लघुवनोपज, वनौषधि आधारित उद्यमों, स्थानीय संसाधन के स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण को प्राथमिकता देने के लिए प्रावधानों का समावेश किया गया है, ताकि जन सामान्य, राज्य के युवा, कृषकों एवं लघुवनोपज के संग्रहण एवं व्यवसाय से वनांचल में निवासरत् जनसामान्य की आय में वृद्धि हो सके। इस योजना सुचारु रूप से चलाने में कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।

2. फसल के कटाई उपरांत नुकसान को कम करना
2022 में हुए एक शोध में यह पाया गया है की देश में फसल के कटाई उपरांत होने वाले प्रसंस्करण होने के अनुपस्थिति के कारण प्रतिवर्ष 25 से 30 प्रतिशत तक फसले खराब हो जाता है जिससे करीबन 1.5 ट्रिलियन रुपये का नुकसान होता है । कई अन्य क्षेत्रों की तरह, छत्तीसगढ़ को भी अपर्याप्त भंडारण और परिवहन बुनियादी ढांचे से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। खाद्य अभियांत्रिकी विभाग कोल्ड स्टोरेज, साइलो और गोदामों जैसे आधुनिक समाधान प्रदान करती है, जो चावल, सब्जियों और फलों जैसी कृषि उपज को संरक्षित करने में मदद करती है। इससे फसल खराब होने के कारण होने वाले नुकसान में कमी आती है और कीमतें अनुकूल होने पर किसानों को बेचने की अनुमति देकर उनकी आय में वृद्धि होती है। छत्तीसगढ़ में किसान फलों, सब्जियों और अनाज को संरक्षित करने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले एवं विद्युत से चलने वाले शुष्कक जैसी खाद्य इंजीनियरिंग तकनीकों से लाभ उठा सकते हैं। इससे न केवल बर्बादी कम करने में मदद मिलती है बल्कि इन उत्पादोंको ऑफ-सीजन में ऊंची कीमतों पर बेचने के अवसर भी खुलते हैं।

3. खाद्य गुणवत्ता एवं सुरक्षा बढ़ाना
खाद्य प्रसंस्करण नवाचार तकनीक जैसेकि पाश्चुरी करण, कैनिंग, और स्टरलाइजेशन के माध्यम से, किसान यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनकी उपज सुरक्षा मानकों को पूरा करती है, जिससे इसकी विपणन क्षमता बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए दालों, तिलहनों और अनाजों को संसाधित कर सकती हैं, जिससे उपभोक्ता का विश्वास बढ़ेगा। छत्तीसगढ़ राज्य में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4) के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 05 वर्ष से कम आयु वर्ग के लगभग 37 प्रतिशत बच्चे कुपोषण एवं 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की 47 प्रतिशत महिलायें एनीमिया से पीड़ित है। छत्तीसगढ़ की ग्रामीण और आदिवासी आबादी में विटामिन्स एवं खनिज की कमी को देखते हुए, खाद्य फोर्टिफिकेशन प्रौद्योगिकियां स्थानीय रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों के पोषण मूल्य को बढ़ा सकती हैं।उदाहरण के लिए, चावल का फोर्टिफिकेशन आवश्यक विटामिन और खनिजों से समृद्ध करके, सार्वजनिक स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में सुधार करके आबादी में पोषण संबंधी कमियों को दूर करने में मदद कर सकता है।

4. किसानों की आय एवं रोजगार बढ़ाना
कृषि प्रसंस्करण इकाइयां, जैसे कि मिलिंग, तेल निष्कर्षण और फल प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करने वाली इकाइयां, ग्रामीण समुदायों के लिए स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा कर सकती हैं। कृषि केंद्रों के पास इन इकाइयों को स्थापित करके, छत्तीसगढ़ ग्रामीण से शहरी प्रवासको कम कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मूल्य वर्धित कृषि क्षेत्र से लाभ हो। छत्तीसगढ़ में किसान छोटे पैमाने की प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए संसाधनों को एकत्रित करने के लिए सहकारी समितियां या एफपीओ बना सकते हैं। खाद्य अभियांत्रिकी इन छोटे पैमाने की इकाइयों के लिए कुशल, लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों को डिजाइन करने में सहायता कर सकती है, जो उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि किसान मूल्य श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा हासिल करें।

5. अपशिष्ट प्रबंधन एवं उप-उत्पाद उपयोग
छत्तीसगढ़ में चावल और मक्का जैसी फसलों से बड़ी मात्रा में कृषि अवशेष उत्पन्न होते हैं। खाद्य अभियांत्रिकी इन उप-उत्पादों को जैव ईंधन, पशुचारा, या जैविक उर्वरकों में परिवर्तित करने में मदद कर सकती है, इस प्रकार अपशिष्ट को कम कर सकती है और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती है। यह कृषि अपशिष्टों का प्रभावी ढंग से उपयोग करके और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करके टिकाऊ कृषि पद्धतियों में योगदान देता है। इसके साथ ही कम ऊर्जा में सुखाने के तरीकों या सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों जैसी कुशल प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों को नियोजित करके, छत्तीसगढ़ के किसान अपनी ऊर्जा खपत को कम कर सकते हैं, लागत कम कर सकते हैं और लाभप्रदता बढ़ा सकते हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां ऊर्जा लागत अधिक या असंगत हो सकती है।

6. परिवहन एवं रसद (लॉजिस्टिक्स)
खाद्य प्रसंस्करण, पैकेजिंग और भंडारण में सुधार करके, छत्तीसगढ़ के किसान बड़े बाजारों में परिवहन के दौरान अपने उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रख सकते हैं। रायपुर और अन्य प्रमुख शहरों जैसे बड़े शहरी केंद्रों से छत्तीसगढ़ की निकटता किसानों को शहरी मांग का लाभ उठाने के अवसर प्रदान करती है। बेहतर लॉजिस्टिक्स के साथ, वे पड़ोसी राज्यों या यहां तक कि निर्यात के लिए भी अपने बाजार तक पहुंच का विस्तार कर सकते हैं। उचित खाद्य इंजीनियरिंग के साथ, किसान अपनी उपज को आकर्षक ढंग से ब्रांड और पैकेज कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह प्रतिस्पर्धी बाजारों में खड़ा हो। छत्तीसगढ़ बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करने के लिए तेंदू पत्ते, महुआ और चना जैसे आदिवासी उत्पादों जैसे जैविक या विशेष खाद्य पदार्थों के स्रोत के रूप में अपनी पहचान विकसित कर सकता है।

7. तकनीकी एकीकरण एवं स्मार्ट कृषि
IoT- आधारित सें सर, जीपीएस और डेटा एनालिटिक्स जैसी कृषि प्रौद्योगिकी में प्रगति का उपयोग करके, किसान अपने उत्पादन और प्रसंस्करण प्रणालियों को अनुकूलित कर सकते हैं। तापमान, आर्द्रता और भंडारण की स्थिति पर वास्तविक समय डेटा एकत्र करके, छत्तीसगढ़ में किसान अपने उत्पादको खराब होने से बचा सकते हैं और अपने प्रसंस्करण संयंत्रों की दक्षता में सुधार कर सकते हैं। खाद्य अभियांत्रिकी के मदद से छंटाई, ग्रेडिंग और पैकिंग जैसे कार्यों के स्वचालन में भी सहायता कर सकती है, जिससे प्रसंस्करण इकाई अधिक कुशल हो जाती है और मैन्युअल श्रम पर कम निर्भर हो जाती है। इससे उत्पादन लागत कम हो जाती है और उत्पाद की गुणवत्ता में स्थिरता में सुधार होता है।

8. बेहतर खाद्य सुरक्षा एवं पोषण
चावल, मक्का और दालों जैसी फसलों को शेल्फ-स्थिर उत्पादों में संसाधित करके, किसान पूरे साल भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं, जो विशेष रूप से छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों में फायदेमंद है जहां उत्पादन में मौसमी बदलाव महत्वपूर्ण हैं। यह स्थानीय बाजारों में खाद्य सुरक्षा और स्थिर कीमतों दोनों में योगदान देता है। खाद्य अभियांत्रिकी नवाचार गरिष्ठ खाद्य पदार्थों का उत्पादन करने में मदद कर सकते हैं जो छत्तीसगढ़ के ग्रामीण समुदायों में प्रचलित विशिष्ट पोषण संबंधी कमियों को दूर करते हैं। इससे कृषक परिवारों के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार करने में मदद मिल सकती है, जिससे आबादी के लिए बेहतर समग्र परिणाम प्राप्त होंगे।

छत्तीसगढ़ में, कृषि प्रसंस्करण और खाद्य अभियांत्रिकी कृषि परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण हैं। ये क्षेत्र फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने, मूल्य वर्धित उत्पादों के माध्यम से आय में सुधार करने, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और बाजार पहुंच बढ़ाने में मदद करते हैं। आधुनिक प्रसंस्करण और खाद्य अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके, छत्तीसगढ़ अपने किसानों को सशक्त बना सकता है, रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है और क्षेत्र के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है।