सुरेश कुमार साहू (पीएचडी स्कॉलर), पादप रोग विज्ञानविभाग
विक्रम (पीएचडी स्कॉलर) पादप रोग विज्ञानविभाग
राउत रविन्द्र सुन्दरराव (पीएचडी स्कॉलर) पादप रोग विज्ञानविभाग
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

मशरुम को फुटू, पिहरी इत्यादि नाम से भी जाना जाता है, मशरूम न केवल लोकप्रिय भोज्य सामग्री हैं,बल्कि महत्वपूर्ण पोषण और औषधीय लाभ भी प्रदान करते हैं। वे कवक कुल से संबंधित हैं और विभिन्न प्रकारों में आते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने अद्वितीय गुण हैं। मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोगरोधक सुपाच्य खाध पदार्थ है। चीन के लोग इसे महौषधि एवं रसायन सदृश्य मानते हैं जो जीवन में अदभुत शक्ति का संचार करती है। रोम निवासी मशरूम को ईश्वर का आहार मानते हैं ।यह पोषक गुणों से भरपूर शाकाहारी जनसंख्या के लिये महत्वपूर्ण विकल्प है तथा पौष्टिकता की दृष्टि से शाकाहारी एवं मांसाहारी भोजन के बीच का स्थान रखता है। मशरूम का 21वीं सदी में उत्तम स्वास्थ्य के लिये भोजन में प्रमुख स्थान होगा। मशरूम कवक का एक विविध समूह है जो सदियों से मानव आहार का हिस्सा रहा है। अपने पाक आकर्षण के अलावा, मशरूम पर्याप्त पोषण और औषधीय लाभ प्रदान करते हैं। मशरूम को 21वीं सदी में उत्तम स्वास्थ्य के लिए भोजन में प्रमख स्थान है।

मशरूम के गुण: वैज्ञानिक रूप से बताए गए मशरूम के गुणों में शामिल है:
  • इसमें एंटिऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं।
  • ये प्रतिरक्षा तंत्र का शमन या उसे जागृत कर सकता है।
  • इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण हो सकते हैं।
  • इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण हो सकते हैं यानी यह तंत्रिका की क्षति से सुरक्षा करता है।
  • यह सूजन रोधी गुण दिखाता है।
  • यह लीवर की कार्यप्रणाली के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।
  • यह हृदय के प्रति सुरक्षात्मक कार्य करता है।
  • इसमें हाइपोएलर्जिक गुण हो सकते हैं।

मशरूम, उनके प्रकार और महत्वः

1. सफेद बटन मशरूम (एगारिकस बिस्पोरस):
यह विश्व में सर्वाधिक उगाया जाने वाला खाध मशरूम है लेकिन औषधीय गुणों की उपलब्धता के कारण इसका औषधीय महत्व भी है। इसमें हृदय सम्बन्धी रोगों के निदान हेतु रक्त के जमाव को रोकने के लिये लैक्टिन, कैंसर रोधी भरेटिन तथा जीवाणु रोधी हिर्सटिक अम्ल, फिनोलिक व क्यूनाँन पाया जाता है।इसमें भरेटिनी नामक कैंसर रोधी तथा हिर्सटिक अम्ल नामक जीवाणुरोधी पदार्थ पाया जाता है। इसका सेवन पाचन तंत्र को दक्ष बनाता है, बीमारियों के प्रति रोग रोधी क्षमता बढ़ाता है तथा रक्त में उपसिथत कोलेस्ट्राल को कम करके हृदय रोगों को दूर करता है।ये मशरूम नियासिन, राइबोफ्लेविन और पैंटोथेनिक एसिड सहित बी-विटामिन का अच्छा स्रोत हैं। वे कैलोरी में कम और सेलेनियम से भरपूर होते हैं, जो प्रतिरक्षा स्वास्थ्य और एटीऑक्सीडेंट रक्षा को बढ़ावा देते हैं।

2. शिटाके मशरूम (लेंटिनुला एडोड्स):
विश्व मशरूम उत्पादन में शिटाके मशरूम का स्थान दूसरा है, इसको मशरूम का राजा भी कहा जाता है जिसका उपयोग भोजन एवं औषधि दोनों के रूप में किया जाता है। प्रमुखत: एशियाई देशों में इसका उपयोग शारीरिक क्षमता एवं ओज बढ़ानें हेतु टानिक के रूप में किया जाता है। इसमें पाया जाने वाला इरीटाडेनिन नामक तत्व कोलेस्ट्राल, ट्राइग्लिसरीन एवं फास्फोलिपिड की मात्रा और रक्तचाप को कम करता है। इसके कवकजाल एवं फलनकाय में कैंसर, फफूँद एवं विषाणु अवरोधी पालीसैकराइडस (के.एस.-2 एवं लेन्टीनिन) पाये जाते हैं जो कि रक्त परिवहन, रक्तस्राव, आँख, गला एवं मस्तिष्क सम्बन्धी रोगों तथा शरीर में बनने वाली गिल्टियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिटाके मशरूम अपने प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाने जाते हैं। इनमें लेंटिनन जैसे यौगिक होते हैं, जो कैंसर के इलाज में क्षमता दिखाते हैं। इसके अतिरिक्त, वे बी-विटामिन प्रदान करते हैं और सूजन-रोधी प्रभाव डालते हैं।

3. ऑयस्टर मशरूम (प्लुरोटस ओस्ट्रीयस):
ऑयस्टर मशरूम प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। वे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करके हृदय स्वास्थ्य में योगदान करते हैं और इसमें संभावित सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों वाले यौगिक होते हैं।

4. पैरा मशरूम (वोल्वरिया वोल्वसिया)
उष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगाया जाने वाला यह प्रमुख मशरूम है। हृदय रोगियों की आहार योजना में इस मशरूम को समिमलित करना उपयोगी पाया गया है। इसमें उपसिथत वोल्वाटाक्सिन कैंसर कोशिकाओं की श्वसन प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करता है। इसका हृदय, रक्तचाप, कोलेस्ट्राल की अधिकता एवं कैंसर सम्बन्धी रोगों में उत्तम प्रभाव पाया गया है।

5. चेंटरेल मशरूम (कैन्थरेलस सिबेरियस):
चौंटरेल अपने अनूठे स्वाद के लिए बेशकीमती हैं और विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत हैं। इनमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में योगदान दे सकते हैं।

6. एनोकी मशरूम (फ्लैमुलिना वेलुटाइप्स):
एनोकी मशरूम में कैलोरी और वसा की मात्रा कम होती है, जो उन्हें भोजन में शामिल करने के लिए एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प बनाता है। इनमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और पाचन स्वास्थ्यलिए आहार फाइबर का स्रोत प्रदान करते हैं।

7. ऋषि मशरूम (गैनोडर्मा ल्यूसिडम)
ऋषि मशरूम (गैनोडर्मा ल्यूसिडम) का उपयोग चीन एवं अन्य एशियाई देशों में अमर मशरूम के रूप में किया जाता है। यह औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है, इसके विभिन्न टानिक तथा टेबलेट बाजार में उपलब्ध हैं। इस मशरूम में पालीसैकराइडस एवं ट्राइटरपीनायडस दो प्रमुख रासायनिक तत्व होते है जो रक्तचाप, रक्त शर्करा, टयूमर, कैंसर सहित अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते है। इससे तैयार दवा का उपयोग मानसिक तनाव कम करने, मोटापा कम करने, हिपैटाइटिस, ब्रान्काइटिस, बवासीर, मधुमेह, कैंसर एवं एडस के उपचार में किया जाता है।

8. दुधिया मशरूम (कैलोसाइब इंडिका)
दुधिया मशरूम कई बीमारियों जैसे कि मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, और कैंसर के इलाज में उपयोगी पाया जाता है। इसके अलावा, इसमें प्रोटीन, विटामिन्स, और खनिज भी पाए जाते हैं जो कि शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।दुधिया मशरूम स्वास्थ्य के लिए बेहद अच्छा होता है। यह एक प्रकार का सुपरफूड होता है जिसमें उच्च मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। दुधिया मशरूम में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, मिनरल्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो हमारे स्वास्थ्य को सुधारने और रोगों से लड़ने में मदद करती है।

मशरूम का पोषकीय गुण :
  • मशरूम की प्रोटीन में शरीर के लिये आवश्यक सभी अमीनो अम्ल, मेथियोनिन, ल्यूसिन, आइसोल्यूसिन, लाइसिन, थ्रीमिन, टि्प्टोफेन, वैलीन, हिस्टीडिन और आर्जीनिन आदि की प्राप्ति हो जाती है जो दालों आदि में प्रचुर मात्रा में नहीं पाये जाते हैं ।
  • मशरूम में लगभग 22-35 प्रतिशत उच्च कोटि की प्रोटीन पायी जाती है जिसकी पाचन शकित 60-70 प्रतिशत तक होती है। जो पौधों से प्राप्त प्रोटीन से कही अधिक होती है तथा यह शाकभाजी व जन्तु प्रोटीन के मध्यस्थ का दर्जा रखती है।
  • मशरूम प्रोटीन में लाइसिन नामक अमीनों अम्ल अधिक मात्रा में होता है जबकि गेहूँ, चावल आदि अनाजों में इसकी मात्रा बहुत कम होती है यह अमीनों अम्ल मानव के सन्तुलित भोजन के लिये आवश्यक होता है।
  • इसमें कालवासिन, क्यूनाइड, लेंटीनिन, क्षारीय एवं अम्लीय प्रोटीन की उपस्थिति मानव शरीर में टयूमर बनने से रोकती है।
  • मशरूम में 4-5 प्रतिशत कार्बोहाइडे्टस पाये जाते हैं जिसमें मैनीटाल 0.9, हेमीसेलुलोज 0.91, ग्लाइकोजन 0.5 प्रतिशत विशेष रूप से पाया जाता है।
  • ताजे मशरूम में पर्याप्त मात्रा में रेशे (लगभग 1 प्रतिशत) व कार्बोहाइड्रेट तन्तु होते हैं, यह कब्ज, अपचन, अति अम्लीयता सहित पेट के विभिन्न विकारों को दूर करता है साथ ही शरीर में कोलेस्ट्राल एवं शर्करा के अवशोषण को कम करता है।
  • मशरूम में वसा न्यून मात्रा में 0.3-0.4 प्रतिशत पाया जाता है तथा आवश्यक वसा अम्ल प्लिनोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। प्रति 100 ग्राम मशरूम से लगभग 35 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • इसमें सोडियम साल्ट नहीं पाया जाता है जिसके कारण मोटापे, गुर्दा तथा हदय घात रोगियों के लिये आदर्श आहार है। उल्लेखनीय है कि हदय रोगियों के लिये कोलेस्ट्राल, वसा एवं सोडियम साल्ट सबसे अधिक हानिकारक पदार्थ होते हैं।
  • मशरूम में शर्करा (0.5 प्रतिशत) और स्टार्च की मात्रा बहुत कम होने के कारण मधुमेह रोगियों के लिये एक आदर्श आहार माना गया है।
  • मशरूम में प्यूरीन, पायरीमिडीन, क्यूनान, टरपेनाइड इत्यादि तत्व होते है जो जीवाणुरोधी क्षमता प्रदान करते है।
  • मशरूम में यधपि विटामिन ए, डी तथा के नहीं पाया जाता है परन्तु एर्गोस्टेराल पाया जाता है, जो मानव शरीर के अन्दर विटामिन डी में परिवर्तित हो जाता है।
  • इसमें आवश्यक विटामिन जैसे थायमिन, राइबोफ्लेविन, नायसिन, बायोटिन, एस्कार्बिक एसिड, पेन्टोथिनिक एसिड पाये जाते हैं।
  • मशरूम में उत्तम स्वास्थ्य के लिये सभी प्रमुख खनिज लवण जैसे -पोटैशियम, फास्फोरस, सल्फर, कैलिशयम, लोहा, ताँबा, आयोडीन और जिंक आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। यह खनिज अस्थियों, मांसपेशियों, नाड़ी संस्थान की कोशाओं तथा शरीर की क्रियाओं में सक्रिय योगदान करते हैं।
  • मशरूम में लौह तत्व यधपि कम मात्रा में पाया जाता है लेकिन उपलब्ध अवस्था में होने के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाये रखता है साथ ही इसमें बहुमूल्य फोलिक एसिड की उपलब्धता होती है जो केवल मांसाहारी खाध पदार्थो से प्राप्त होता है। अत: लौह तत्व एवं फोलिक एसिड के कारण यह रक्त की कमी की शिकार अधिकांश ग्रामीण महिलाओं एवं बच्चों के लिये सर्वोत्तम आहार है।

मशरूम का औषधीय गुण:
  • मांसाहार का प्रयोग हृदय, गुर्दे एवं मधुमेह में वर्जित है, अत: इसके स्थान पर उपयुक्त मसालों के प्रयोग से मशरूम का स्वाद मांस, मछली के जैसा बनाकर प्रयोग किया जा सकता है।
  • हृदय रोगियों की आहार योजना में मशरूम को सम्मिलित करना उपयोगी पाया गया हैं क्योंकि मशरूम शर्करा एवं कोलेस्ट्राल को नियंत्रित कर रक्त संचार को बढ़ाता है।
  • मशरूम गर्भवती महिलाओं, बाल्यावस्था, युवावस्था तथा वृद्धावस्था तक सभी चरणों में अति उपयोगी पाया गया है। इसमें विधमान प्रोटीन, विटामिन, खनिज, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट उपलब्धता के कारण बाल्यावस्था से युवावस्था तक कुपोषण से बचाते हैं।
  • शर्करा व कोलेस्ट्राल की कम मात्रा, सुपाच्य रेशों की बहुलता, पौष्टिक होने के कारण वृद्धावस्था के लिये एक आदर्श आहार है साथ ही पाचन तन्त्र को स्वस्थ रखने में उपयोगी सिद्ध हुआ है।
  • मशरूम से पकौड़ा, सब्जी, सूप, पीज्ज़ा, बिस्किट, पापड़, सलाद, अचार, चटनी के साथ-साथ कई दक्षिण भारतीय व्यंजन भी बनाये जा सकते हैं।
  • इसमें फफूँद, जीवाणु एवं विषाणु अवरोधी गुण पाये जाते हैं, इसका लगातार प्रयोग टयूमर, मलेरिया, मिर्गी, कैंसर, मधुमेह, रक्तस्राव आदि रोगों से लड़नें की क्षमता प्रदान करता है।
  • होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों का प्रयोग बहुलता से हो रहा है तथा असाध्य रोगों के निवारण में सहायक सिद्ध हो रहीं हैं।