मोनिका टिकरिहा (पी.एच.डी. रिसर्च स्कालर, मृदा विज्ञान), 
 डॉ. सुबुही निषाद, डॉ. विनय कुमार समाधिया (प्रोफेसर मृदा विज्ञान), 
 प्रेरणा जायसवाल (पी.एच.डी. रिसर्च स्कालर, शस्य विज्ञान) 
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

मृदा परीक्षण एक व्यापक मृदा उर्वरता मूल्यांकन कार्यक्रम है जो किसानों को फसलों में रासायनिक उर्वरकों के अविवेकपूर्ण अनुप्रयोग में मदद करता है। किसी विशेष क्षेत्र की मिट्टी का परीक्षण मिट्टी में प्रमुख पोषक तत्वों की कमी के साथ-साथ मिट्टी की अम्लता क्षारीयता और लवणता आदि जैसे खतरों के बारे में विश्वसनीय जानकारी देता है। मिट्टी का परीक्षण करने के बाद, किसान किसी विशेष फसल के लिए उपयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों की सही मात्रा जान सकते हैं। किसान यह जान सकेंगे कि मिट्टी में कितने पोषक तत्व पहले से उपलब्ध हैं और किसी विशेष फसल के लिए कितना अतिरिक्त प्रदान करना होगा। इसलिए, अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने और अधिकतम लाभ कमाने में किसानों के लिए मिट्टी परीक्षण निश्चित रूप से फायदेमंद होगा।

इसलिए रासायनिक उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में किसानों के बीच अधिकतम जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। फसल के अधिकतम उत्पादन और किसानों के अधिकतम शुद्ध लाभ की दिशा में मिट्टी परीक्षण के महत्व को ध्यान में रखते हुए। रासायनिक विश्लेषण, या मिट्टी परीक्षण, तेज, सस्ता और सटीक हो सकता है, और फसल बोने से पहले मिट्टी की चूने की आवश्यकता और उर्वरक आवश्यकताओं की भविष्यवाणी में क्षेत्र, ग्रीनहाउस और प्रयोगशाला अनुसंधान के हस्तांतरण एजेंट के रूप में काम कर सकता है।

त्वरित परीक्षण के लिए हम मृदा परीक्षण किट का उपयोग करते हैं
कृषि विश्वविद्यालय इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) ने एक पोर्टेबल मृदा परीक्षण किट विकसित की है, जो किसानों को उनकी भूमि पर मिट्टी की पोषण सामग्री निर्धारित करने में मदद करेगी। किट को केंद्र सरकार से पेटेंट प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ जिसके बाद विश्वविद्यालय ने इसके व्यावसायिक उत्पादन की प्रक्रिया शुरू कर दी है सरकार किसानों को उनकी भूमि की मिट्टी का परीक्षण करने के बाद मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर रही है, लेकिन इसके लिए किसान को कृषि विभाग की प्रयोगशालाओं में मिट्टी के नमूने लाने होते हैं और पूरी प्रक्रिया में चार से पांच दिन लगते हैं। आईजीकेवी की किट से किसान मिट्टी की मात्रा का परीक्षण स्वयं कर सकेंगे किट का उपयोग कर किसान जैविक पोषक तत्व, मिट्टी की अम्लीय या क्षारीय प्रकृति और नाइट्रोजन और पोटाश सहित अन्य पोषक तत्वों की जांच कर सकेंगे। इससे उन्हें विभिन्न फसलों के लिए आवश्यक खाद और उर्वरक की मात्रा तय करने में मदद मिलेगी। किट, जिसकी कीमत 4,000 रुपये से 4,500 रुपये होगी, में रासायनिक समाधान, पाउडर, परीक्षण उपकरण और निर्देश मार्गदर्शिका शामिल होगी। एक किट से कम से कम 25 नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है और भविष्य में किसानों को पूरी किट नहीं बल्कि केवल रासायनिक घोल ही खरीदना होगा जिसकी कीमत लगभग 2,000 रुपये होगी।

किट में सामग्री-ः
  • इस किट का वजन लगभग 2.5 किलोग्राम है।
  • इसमें सीडी और उपयोगकर्ता मैनुअल पुस्तकें शामिल हैं। ये मैनुअल किसानों के लिए समझने योग्य आसान भाषा में हैं।
  • इस किट में तरल रसायन, एसिड, रासायनिक पाउडर, फिल्टर पेपर, प्लास्टिक स्टैंड, टेस्ट ट्यूब, फनल, आसुत जल, रंग चार्ट आदि की विभिन्न सांद्रता शामिल है।
  • किट में मौजूद रसायनों का उपयोग विभिन्न मिट्टी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। मैनुअल के अनुसार मिट्टी के नमूने में विभिन्न रसायनों को मिलाया जाता है और अंत में रंग में परिवर्तन को दिए गए रंग चार्ट से मिलान किया जाता है।
  • और रंग की गहराई के अनुसार हम मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा का पता लगा सकते हैं।
  • मृदा परीक्षण परिणामों और उर्वरक अनुशंसाओं के आधार पर प्रमुख फसलों के लिए उर्वरकों की आवश्यक मात्रा की गणना करने की विधियाँ भी पुस्तिका में दी गई हैं।
  • मिट्टी परीक्षण के आधार पर किसान विभिन्न फसलों के लिए आवश्यक यूरिया, सुपर फास्फेट, पोटाश एवं चूने की आवश्यक मात्रा का निर्धारण कर सकेंगे।

मृदा नमूनाकरण प्रक्रिया
मृदा का सफल नमूना लेने के लिए मृदा परिक्षण टियूब, कुदाली तथा खुरपी का प्रयोग किया जा सकता है। मृदा के ऊपर का घास-फूस साफ करें। भूमि की सतह से हल कि गहराई (0-15 सेंटीमीटर) तक मृदा परिक्षण टूयूब या बर्मा द्वारा मृदा की एक सार टुकड़ी लेंवें। यदि आपको कुदाल या खुरपी का प्रयोग करना हो तो ‘अ‘ के आकार का 15 से. मी. गहरा गड्ढा बनाए। अतः एक ओर से ऊपर से नीचे तक 2-3 सेंटीमीटर मोटाई की मिट्टी की एकसार टुकड़ा काटें। एक खेत में 10-12 अलग-अलग स्थानों (बेतरकीब ठिकानों) से मृदा की टुकड़ियों लें और उन सबको एक भोगोने या साफ कपड़े में इकट्ठा करें।अगर खड़ी फसल से नमूना लेना हो, तो मृदा का नमूना पौधों कि कतारों के बीच वाली खाली जगह से लेंवें। जब खेत में क्यारियां बना दी गई हो या कतारों में खाद डाल दी गई हो तो मृदा का नमूना लेने के लिए विशेष सावधानी रखें।

नोट-ः रसायनिक खाद की पट्टी वाली जगह से नमूना न लें। जिन स्थानों पर पुरानी बाड़, सड़क और जहाँ गोबर खाद का पहले ढेर लगाया गया हो या गोबर खाद डाली गई हो, वहाँ से मृदा का नमूना न लें। ऐसे भाग से भी नमूना न लें जो बाकी खेत से भिन्न हों। अगर ऐसा नमूना लेना हो, तो इसका नमूना अलग रखें।

मिट्टी को मिलाना और एक ठीक नमूना तैयार करना
एक खेत में भिन्न-भिन्न स्थानों से तसले या कपड़े में इक्कट्ठे किए हुए नमूने को छाया में रखकर सुखा लें। मृदा को धुप, आग या अंगीठी आदि के ऊपर रखकर न सुखाएं। एक खेत से एकत्रित की हुई मृदा को अच्छी तरह मिलकर एक नमूना बनाएं ताकि उसमें से लगभग आधा किलो मृदा का नमूना लें जो समूचे खेत का प्रतिनिधित्व करता हो। हर नमूने के साथ अपना नाम, पता और खेत के नबंर का लेबल लगाएं। अपने रिकार्ड के लिए भी उसकी एक नकल रख लें। दो लेबल तैयार करें- एक थैली के अंदर डालने के लिए तथा दूसरा बाहर लगाने के लिए। लेबल कभी भी स्याही से न लिखें । हमेशा बाल लें या कलर पेन्सिल से लिखें।

सूचना पत्र
खेत व खेत की फसलों का पूरा योग्य सुचना पर्चें में लिखें। यह सुचना आपकी मृदा की रिपोर्ट व सिफारिश को अधिक लाभकारी बनाने में सहायक होगी। सूचना पर्चा कृषि विभाग के अधिकारी से प्राप्त किया जा सकता है। मृदा के नमूने के साथ सूचना पर्चें में निम्नलिखित बातों जानकारी अवश्य दें-

खेत का नंबर का नाम, नमूना लेने कि तिथि, अपना पता, नमूना का प्रयोग )बीज वाली फसल और किस्म), मृदा का स्थानीय नाम, भिमी की किस्म (सिंचाई वाली या बरानी), प्राकृतिक निकास और भूमि के नीचे पानी गहराई, भूमि कि ढलान, फसलों कि अदल-बदल, खादों या रसायनों का ब्यौरा जो प्रयोग किया हो, कोई और समस्या जो भूमि से संबंधित हो।

मिट्टी की परीक्षण दो बार कितनी देर बाद करानी चाहिए
कम-से कम 3 या 4 साल के अंतराल पर अपनी भूमि की मृदा का परिक्षण हो जाना अच्छा है। हल्की या नुक्सदार भूमि वाली मृदा के परीक्षण की अधिक आवश्कता है। वर्ष में जब भी भूमि कि स्थिति नमूने लेने योग्य हो, नमूने अवश्य एकत्रित कर लेने चाहिए। यह जरुरी नहीं है कि मृदा का परीक्षण केवल फसल बोने के समय करवाया जाए।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड
कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान सरकार ने पूरे देश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है। इसमें मिट्टी का परीक्षण करना और उसका विवरण रखना बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड का महत्व
इस योजना के तहत सरकार ने पूरे भारत में 14 करोड़ से अधिक किसानों को इस योजना से जोड़ने की योजना बनाई है। यह योजना भारत के हर क्षेत्र में उपलब्ध है। इस योजना से जुड़े सभी किसानों को उनका मृदा स्वास्थ्य कार्ड ऑनलाइन और प्रिंट करके दिया जाता है। मिट्टी परीक्षण के बाद इसमें उनके खेत की मिट्टी की सारी जानकारी दी जाती है। प्रत्येक किसान को हर 3 वर्ष में उसका मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड में क्या जानकारी लिखी होती है?
  • किसान का नाम, पता, मोबाइल नंबर और सैंपल नंबर.
  • मिट्टी का स्वास्थ्यः मिट्टी फसल उगाने के लिए उपयुक्त है या नहीं।
  • मिट्टी की विशेषताएँ और सामान्य सिफारिशें
  • मिट्टी में सभी पोषक तत्व उपलब्ध हों। किस अनाज की फसल के लिए मिट्टी में कौन से उर्वरक का कितना प्रयोग करना चाहिए इसकी जानकारी।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के लाभ
  • इस योजना की मदद से किसान अपने खेतों की मिट्टी के बारे में सटीक स्वास्थ्य जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इससे वे जो चाहें अनाज या फसल ले सकते हैं।
  • सरकार द्वारा हर 3 साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाता है, जिससे किसान को समय-समय पर अपनी मिट्टी में होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी रहेगी।
  • इस योजना के तहत किसानों को अच्छी फसल उगाने में मदद मिलेगी जिससे उन्हें और देश दोनों को फायदा होगा।
  • इससे किसानों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा और देश प्रगति की ओर बढ़ेगा.