Minakshi Meshram, Ad hoc Assistant Professor, 
Department of Agricultural Extension
Mamta Patel, Ad hoc Assistant Professor, 
Department of Agricultural Economics, 
Pt.KLS, CHRS, Rajnandgaon, MGUVV

आजकल किसान परंपरागत खेती से हटकर खेती की तकनीक में नवाचार लाकर कम लागत में अच्छा मुनाफा प्राप्त करने की दिशा में प्रयासरत हैं। इसी दिशा में छत्तीसगढ़ के किसान किशोर राजपूत ऐसे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर उभरे हैं। वे न केवल स्वय नवाचार अपना कर कम लागत में औषधीय फसलों की जैविक कृषि करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि राज्य और देश भर के किसानों को प्रशिक्षण देकर जैविक खेती की तरफ प्रोत्साहित कर रहे हैं।

किशोर राजपूत आज सर्पगंधा, अवश्वगंधा, सतावर, गराज, सरपुंख, नागर मोथा जैसे कई औषधीय पौधों की खेती करके, फसल को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर लाखों में कमाई कर रहे हैं। आइए जानते हैं उनकी छत्तीसगढ़ के किसान किशोर राजपूत की सफलता की प्रेरक कहानी

किशोर राजपूत का जन्म और परिवार
किशोर राजपूत छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। उनका जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के बेमेतरा जिले के नगर पंचायत नवागढ़ के गांव जूनाडाडू में हुआ था। पिता गेंदालाल राजपूत किसान थे। इसलिए बचपन से ही खेती किसानी के प्रति रुझान रहा और बचपन से ही खेती के गुर पिता से सीखना शुरू कर दिया।

नवाचार से कर रहे हैं कम लागत पर जैविक खेती
प्रारंभ में उन्होंने सर्पगंधा की खेती की, बाद में अश्वगंधा, मंडूकपर्णी, तुलसी, लेमनग्रास, मोरिंगा, चना, खस, चिया, किनोवा, गेहूं, मेंथा आदि की खेती में भी हाथ आजमाया और सफलता पाई।

1. सर्पगंधा की खेती और हर साल ₹4 लाख की कमाई-
सर्पगंधा एक औषधीय गुण वाला पौधा है. जिसके फल, तने से लेकर जड़ तक का उपयोग औषधि निर्माण में होता है। इसकी फसल 18 माह में पूरी तरह तैयार हो जाती है। वर्तमान में किशोर राजपूत सर्पगंधा की खेती से प्रतिवर्ष लगभग ₹ 4,00,000 की आमदनी कर रहे हैं।

2. अश्वगंधा की खेती और साल में ₹1 लाख की कमाई
अश्वगंधा एक प्रकार का पौधा है, जिसकी जड़ों और पत्तियों से घोडे की गंध आने के कारण इसका नाम अश्वगंधा पड़ा। इसका उपयोग कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में होता है। भारत में अश्वगंधा की जड़ों की मांग 7000 टन प्रति वर्ष है। अश्वगंधा की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। ये उन फसलों में शुमार है, जिनमें कम लागत में अच्छा उत्पादन होता है। इसलिए अश्वगंधा की खेती कर किसान अपनी लागत का तीन गुना लाभ प्राप्त कर सकते हैं। किशोर राजपूत अश्वगंधा की खेती से हर वर्ष लगभग 41,00,000 की कमाई कर रहे हैं।

किशोर राजपूत को मिले सम्मान और अवार्ड

1. अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण योद्धा अवॉर्ड 2021, जैविक किसान अवॉर्ड।

2. बायोडायवर्सिटी अवॉर्ड 2021 IGKV में आयोजित कार्यक्रम में कृषि क्षेत्र में योगदान के लिए किशोर राजपूत को 'बायोडायवर्सिटी अवॉर्ड 2021' प्रदान किया गया।

3. अंतर्राष्ट्रीय कबीर अवार्ड सम्मान 2022 वर्ष 2022 में किशोर राजपूत को उनकी उपलब्धियों और सराहनीय कार्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय कबीर अवार्ड प्रदान किया गया।

4. छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान 2022 छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में आयोजित छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान समारोह में किशोर राजपूत को 'छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान' से सम्मानित किया गया।

किशोर राजपूत किसान की सफलता

1. जैविक खाद का उपयोग कर कम लागत में खेती और ज्यादा मुनाफा
प्रायः किसान बरसात के मौसम में धान की फसल लेने के बाद उसके अवशेष को खेत में ही आग लगाकर जला देते हैं, जिससे जमीन में पनपने वाले सूक्ष्म जीव मर जाते हैं और खेत की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। धीरे धीरे खेत बंजर होने लगते हैं। किशोर राजपूत ने नवाचार अपनाते हुए अवशेष जलाने के स्थान पर खेत में प्लाऊ के माध्यम से गहरी जुताई की और उसके लगभग सप्ताह के बाद रोटीवेटर चलाकर उसे जमीन में ही मिला दिया। बरसात के बाद धान का वही पैरा डिकम्पोज होकर बाद में लगाई रबी फसल को नाइट्रोजन एवं कार्बन प्रदान कर रहा है।

इस प्रकार रसायनिक खाद और उर्वरक में होने वाला खर्च बच रहा है। इसके अतिरिक्त किशोर राजपूत गोबर, गोमूत्र जैसे पशुओं के अपशिष्ट का इस्तेमाल खाद के रूप में कर रहे हैं।अधिक मात्रा रसायनिक खाद और उर्वरक का इस्तेमाल भूमि, जल, वायु, जीव जंतु, वनस्पतियों और समस्त पर्यावरण के लिए घातक है। केमिकल फ्री फसल लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और इस प्रकार की जैविक कृषि पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। कम लागत में अधिक उत्पादन देने के कारण किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है।

2. 2 एकड़ की जमीन अब 100 एकड़ पर पहुंची
किशोर राजपूत के गांव में उनके पास दो एकड़ जमीन थी, जिसमें वे धान का उत्पादन कर रहे थे। लाभ नहीं था और घर की आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो रही थी। तब उन्होंने नवाचार अपनाते हुए दो एकड़ की जमीन में तुलसी की खेती की। उसमें अच्छा मुनाफा हुआ, तो अपने खेत के आसपास की लगभग 70 एकड़ जमीन लीज पर वहां तुलसी और ब्लेक राइस लगाने लगे। आज वे लगभग 100 एकड़ की जमीन में खेती कर रहे हैं।

3. हर साल 30 किंटल औषधि का उत्पादन और बिक्री
किशोर राजपूत कई प्रकार की औषधियों की जैविक कृषि कर रहे हैं। वे हर साल सीजन के अनुसार तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ (चिरेता), गिलोय, पाषाणभेद, केवाच, काली हल्दी, सर्पगंधा, सतावर, नींबूधास आदि की फसल अपने खेतों में लगाते हैं, जिससे उन्हें प्रतिवर्ष लगभग 30 क्विंटल औषधियों का उत्पादन होता है। इन औषधियों की देश विदेश में अच्छी खपत है।