नेहा गावड़े, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग, 
प्रीति टोप्पो, फल विज्ञान, 
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (.ग.)

जिंक की कमी कैसे होती है ?
एक ही जमीन पर फर्टीलाइजरो के निरंतर इस्तेमाल और गहन खेती से जिंक की कमी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऊँची पैदावार वाली फसलों तथा कुछ खेती के तौर-तरीको से भी ऐसा हो सकता है।

जिंक की कमी निम्न प्रकार की मिट्टी में पैदा होता है:

1. ऐसी मिट्टी जिसमें कुल जिंक की कमी हो जैसे कि अम्लीय, निष्कर्षित तथा रेतीली मिट्टी।

2. ग्रेनाइट तथा जेनेसिस से प्राप्त मिट्टी।

3. ऐसी जैविक मिट्टी जिसमें जिंक ऐसे रूप में जड़ी हो जो पौधों को आसानी से उपलब्ध ना हो सके।

4. ऐसी चिकनी मिूट्टी जिसमें सिलिका /मैग्निशियम का निम्न अनुपात हो तथा जिंक ऐसे रूप में जड़ी हो जो पौधो को आसानी से उपलब्ध ना हो सके।

5. मिट्टी में फास्फोरस, पोटेशियम तथा कॉपर का उच्च स्तर होने तथा अत्यधिक नमी वाली मिट्टी में भी जिंक की कमी हो जाती है।

ऐसे भूमि प्रबंधन विधियां जो जिंक की कमी का कारण बनती है:

1. फौस्फेटिक फर्टीलाईजरों का अत्यधिक मात्रा में लम्बे समय तक इस्तेमाल।

2. अम्लीय मिट्टीयों, विशेषकर रेतीली मिट्टी का चुनाकरण।

3. नाइट्रोजन फर्टिलाइजेशन।

4. जिंक की कमी से फसल की गुणवत्ता और पैदावार दोनों में कमी आ सकती है।

जिंक की कमी को पहचाना कैसे जाए ?
पत्तियों पर पीले चकते, उनका पीला पड़ना तथा चित्तीदार होना जिंक की कमी के लक्षण है, इसी प्रकार तने का छोटा पड़ना तथा फुली हुई गाँठ और उनकी झाड़ियों जैसे रूप भी इस बात का लक्षण है। ऐसे में पत्तियां मोटी और पतली हो जाती है, पौधे की वृद्धि में विलंब होता है तथा पत्तों के जल्द झड़ने से इनके सिर पत्तीहीन रहते है।

चेलाटेन जिंक अधिक प्रभावशाली क्यों ?

1. मिट्टी के कणों के साथ ज्यादातर पोषक तत्व उनके चुम्बक की तरह चिपके रहते हैं। ऐसे जड़े हुए पोषक तत्व पौधों को आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते है।

2. चेलामिन और चेलाटिंग तत्व है जो अपनी विशिष्ट रासायनिक प्रवृत्ति के कारण जड़ो मे आसानी से समा जाती है।

3. चेलामिन एक मुक्त रूप से बहने वाला पावडर है, जो की जल में अत्यधिक घुलनशील है। घुलनशील तथा छितराने वाला तत्व होने के कारण पौधे द्वारा पूर्णतः अवशोषित कर लिया जाता है।

4. चेलामिन का इस्तेमाल सभी फसलों में, जिंक की कमी से बचाव व सुधार के लिए सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। चेलामिन के चेलाटेट के रूप में होने के कारण यह अकार्बनिक जिंक से अधिक प्रभावशाली है, अतः इसके अल्प मात्रा में सिफारिश की जाती है।

चेलामिन के फायदे

1. चेलामिन पत्तियों को स्वस्थ एवं हरे भरे रूप में विकसित होने में मदद करता है।

2. चेलामिन पत्तियों में चकते बनने से रोकता है, यह पत्तियों को असामान्य छोटे रूप में विकसित होने से रोकता है। यह पौधे की रोगों से प्रतिरोधकता को बढ़ाता है और विकास दर में वृद्धि करता है।

3. चेलामिन पैदावार को पर्याप्त रूप से बढ़ाता है। यह क्लोरोसिस, फल तथा फूल झड़ने की दर भी घटाता है।

4. चेलामिन कोंपलो के विकास तथा दानों व फलों के बनने में भी मदद करता है।

अनुकूलता
चेलामिन जल में योग्य सभी अग्रोमीकल्स के साथ मिलाया जा सकता है, इसका छिड़काव एक साथ किया जा सकता है, जिससे इस्तेमाल का खर्च कम से कम हो।

इस्तेमाल का तरीका
चेलामिन पत्ता छिड़काव और मिट्टी में इस्तेमाल दोनों के लिए उपलब्ध है।

मिट्टी में इस्तेमाल
250-500 ग्राम चेलामिन टेक्नीकल के 10 किलो एस.ए. कैरियर प्रति एकड़ किसी भी खाद या मिट्टी में मिलाकर इस्तेमाल की सिफारिश की जाती है।

स्प्रे/ड्रीप
100-250 ग्राम प्रति एकड़।