खिरोमणी नाग
उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कोतबा, जशपुर
जय प्रकाश धवन
जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
अनेक प्रजातियों के फूल शरद ऋतु में खिलकर अपनी मनोरम छटा बिखेरते है। जिन्हें मनुष्य का मन देखकर पुलकित हो उठता है यह मौसम फूलों के लिए सबसे सुरक्षित मानी गई है। अन्य ऋतुओं की भांति शरद ऋतुओं में फूलों के मुरझाने का भय नहीं होता और न ही बार-बार सिंचाई देने की आवश्यकता होती है पर्याप्त पानी, हवा एवं धुप आदि सभी कुछ इस मौसम में फूलों को आसानी से सहज ही प्राप्त हो जाता है।
शरद ऋतु अर्थात् नवम्बर एवं जनवरी के महीनों में फूलों के प्रवर्धन हेतु सबसे उत्तम होता है इस ऋतु को पुष्पों का काल या फूलों का दिन कहा जाता है फूल की कोमलता वातावरण की गर्मी को सह नहीं पाती। प्रकृति ने ऐसे अनेक फूलों की रचना की है जो कुछ विशेष ऋतु और वातावरण में ही अपनी मनोरम छटा बिखरते है। इस शरद ऋतु में गुलाबी ठंडक में मनुष्य की विचलित मन को चारो ओर पुलकित फूलों की भीनी-भीनी खुशबू मोह लेती है। यह वातावरण में फैली गुलाबी ठंडक आसानी से हमारा ही नहीं वरन् किसी का भी मन को मोह लेती है।
शरद ऋतु में अपना उमंग बिखरने वाला अनेक फूल है जो प्रकृति की गोद को सहज ही भर देती है। इस काल में पुष्प प्रेमी सहज ही किसी बाग-बगीचों में जाकर आनंद ले सकता है और पुष्प प्रेमी कहीं भी पुष्प को उगाकर, चाहे घर पर ही क्यों न हो आनंद ले सकता है अर्थात् घर की छतों पर लटकती बॉस्केट, खिड़कियों और बैठक कक्ष आदि पर आसानी से लगाकर लिए जा सकते है।
फूल किसी भी स्थान की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। किसी फूल का पौधा चाहे आपके ऑफिस में हो, ड्राइंग रूम में हो मन को आंनद का एहसास कराएगा कहा भी जाता है कि फूल हंसने, प्रसन्न रहने और संघर्ष करने की प्रेरणा देते है क्योंकि फूलों की अपनी मौसम में छटा बिखेरने में प्रकृति ने अहम भूमिका निभाती को प्रदान की है तथा इस ठंडक मौसम में अनेक पुष्प की प्रजातियां प्रकृति में पाई जाती है जैस गेंदा, रजनीगंधा, गुलदाउदी, गुलाब, पैंजी एवं चमेली आदि।
इनके अलावा प्रकृति की गोद में बसे अनेक पुष्प की प्रजातियां भी शामिल है जो आपको मनोरम छटा शरद ऋतु में बिखेरने में अवश्य ही निभाते है। जिनमें से निम्न पुष्प का विवरण दिया है-
पैंजी
पैंजी फूल का वानस्पतिक नाम बायोलाट्राईकलार जो बायोलेसी परिवार का पुष्प है। पैंजी का फूल चटकीले रंग के होते है। कई रंगों वाले पैंजी के हरेक फूल बीच में गहरे रंगों से सजे होते है इनका रंग-रूप तितलियों की भांति होता है इनमें लंबी-लंबी पंक्तियों वाला पौधा 20-25 सेमी ऊँचा बढ़ता है। यह वर्षानुभवी पौधा है किन्तु प्रायः वार्षिक रूप में ही लगाया जाता है इसके फूल सफेद पीले बादामी, नारंगी एवं गुलाबी तथा जामुनी रंग के होते है। इसके फूलों पर विभिन्न रंगों के धारियां भी पाई जाती है।
ये फूल किनारियों पर सजावट के लिए लगाए जाते हैं इसकी किस्में निम्नलिखित है जैसे-परफक्शन, फायर, बीकन, स्विसजायंट एवं ईगल मे सजायंट आदि।
सभी पैंजी के बीजों को शरद ऋतु में आसानी से बोया जाता है। इन पुष्पों के बीजों को क्यारियों में लगाया जाता है जिसे छाया में अच्छा से लगाया जाना चाहिए तथा बिजाई पौधों को लगाने के तीन-चार महीने बाद ही फूल आने लगते हैं। इसके पौधे को उपजाऊ खाद्ययुक्त व नमी वाली भूमि में आसानी से उगाया जा सकता है। इस पुष्प को लगाने के बाद थोड़ा-थोड़ा पानी हजारा से सुबह-शाम के समय दिया जाते रहना चाहिए। इसके पौधे को आसानी से उगाने के लिए भूमि में खाद-उर्वरक से उपजाऊ बनाकर आसानी से उगाया जाता है।
पुष्पाकंन- पैंजी के पौधे पर मार्च-अप्रैल में फूल आता है शीत ऋतु में पनीरी बदलने के बाद शीघ्र ही फूल आने लगते हैं।
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