कन्हैया लाल एवं सूर्यकांत सोनवानी, कृषि अभियांत्रिकीय
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

मूंगफली भारत में सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जिसका कुल उत्पादन 33 प्रतिशत है तिलहन उत्पादन एवं क्षेत्रफल का 28 प्रतिशत। भारत यह मूंगफली का उत्पादन करने वाला चीन के बाद दुसरा देश है। मूंगफली को दुसरे देशो में पी-नट भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में मूंगफली की खेती रबी और खरीफ दोनों मौसम में की जा सकती है। कुल छत्तीसगढ़ में मूंगफली का क्षेत्रफल 67.7 हजार/हेक्टेयर है और उत्पादन 70.2 हजार टन और उत्पादकता 1036 किलोग्राम/हेक्टेयर. मूंगफली में 48.8 प्रतिशत खाद्य तेल पाया जाता है। मुंगफली का उपयोग खाद्य तेल के अलावा खाने में भी किया जाता है, क्योकि इसमें प्रोटिन की मात्रा अधिक होती है। मुंगफली के छिल्कों का उपयोग पशु खाद्य के रूप में किया जाता है।

मूंगफली के स्वास्थ्य लाभ-
मूंगफली के कुछ स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं।
  • मूंगफली प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने में मदद करती है।
  • मूंगफली कैंसर की रोकथाम में मदद करती है।
  • मूंगफली पित्त पथरी को रोकने में मदद करती है।
  • मूंगफली स्मरण शक्ति को बढ़ाती है।
  • मूंगफली कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करती है।
  • मूंगफली दिल की समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद करती है।
  • मूंगफली वजन बढ़ाने के जोखिम को कम करने में मदद करती है।

मूंगफली के सामान्य नामः - मूंगफली, अर्थनट्स, गुबर मटर, मंकी नट्स, पैग्मी नट्स और पिग नट्स।

भारत में मूंगफली के स्थानीय नामः - मूंग फल्ली (हिंदी, कश्मीरी, पंजाबी), चीन बदम (बंगाली, उड़िया), भोइजिंग (गुजराती), कदले कयी (कन्नड़),नीलकक्कडलाई (मलयालम, तमिल), भुई मग (मराठी)। वेरुसनागा (तेलुगु)।

मूंगफली की किस्मेंः - एशिया के अधिकांश क्षेत्रों में कई उन्नत उच्च उपज देने वाली किस्में उपलब्ध हैं। हालांकि, किसी को उपयुक्त कृषि के लिए स्थानीय कृषि विभागों से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

छत्तीसगढ़ में मूंगफली खेती की जाती है। प्रारंपारिक रूप से खेत कि जुताई कर देषी नांगर से नालीयां बनाई जाती है, जिसमें निश्चित दुरी पर हाथों से मूंगफली की बुवाई की जाती है। पहली तैयार नाली में कतार में बुआई के पश्चात् उसी नाली के पास नांगर चलाकर दुसरी नाली तैयार कर बुआई की जाती है। दुसरी नाली तैयार करते समय खोदी गई मिट्टी द्वारा पहली कतार में बोये गये बीजों को ढ़क दिये जाता है, जिससे बुआई मूंगफली बीजों को ढकने में मनुष्य श्रम की आवश्यकता नही पडती है। इस विधि से बीजों की कतार बुआई की जाती है, तथा बीजों कतार के बीच कि निश्चित दुरी रखने में सहायता होती है। इस विधि से मूंगफली की कतार कि कतार की दुरी 12-15 से.मी. रखी जा सकती है।

मूंगफली की फसल पकने के पश्चात मानव श्रम द्वारा फसल को हाथों से उखाड कर फसल कटाई (हारर्वेस्टींग) कि जाती है। फसल की कटाई (हारर्वेस्टींग) के बाद बीज को गीले अवस्था में हाथों से तोडकर खाने हेतु बाजार में बेंचा जाता है अथवा इसे खेत में सुखाकर कुछ समय पश्चात् थ्रेसिंग किया जाता हैं। गीली अवस्था में फसल को हाथों से (हारर्वेस्टींग) उखाड कर बोरे मे भर दिया जाता है। जिसमे कुछ समय के लिए पानी डाला जाता है ताकि फसलों में मुंगफली दानों लगी मिट्टी को आसानी से निकाला जा सके। मिट्टी के झडने के बाद हाथों से फसलों के अको में लगी मुंगफली को हाथों से तोडकर अगल थ्रेसिंग क्रिया किया जाता है । मुंगफली के फसल की अकों से एक-एक मुंगफली के बीजो हाथों से तोडकर अलग करनें अधिक समय तथा मानव श्रम की आवश्यकता होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हस्त मुंगफली थ्रेसिंग यंत्र बनाया गया। इस यंत्र के अपयोग से एक बार में तीन-चार पौधों की थ्रेसिंग एक साथ कि जाती है जिससे फसल कि थ्रेसिंग में समय तथा मानव श्रम कि बचत कि जा सकती है। इस यंत्र को आसानी से तैयार कर की जा सकती । तथा इसकी बनाने की लागत 475 रू. है। यह यंत्र लकडी का आयताकार होता है । इस आयताकार ढांच पर आडी एवं खडी तारों बुनी जाती है जिससे आडी और खडी तारों आयत बन जाता है। इस आडी और खडी तारों से निर्मीत आयत का आकार मुंगफली की आकार .लंबाई एवं चौडाई के आधार किया गया है ताकि मुंगफली बीजों को थ्रेसिंग पश्चात् जाली से आसानी से नीचे निकालकर जमा किया जा सकें ।

हस्त चलित मूॅंगफली थ्रेसिंग यंत्र
समीक्षाः-
उन्नत हस्त मुंगफली यंत्र से आसानी से थ्रेसिंग किया जा सकता है तथा आसानी से एवं कम लागत में बनाया जाता है। इस यंत्र के उपयोग से मानव थ्रेसिंग कार्य क्षमता बढाई जा सकती है तथा थ्रेसिंग कार्य हेतु मनुष्य शक्ति को कम किया जा सकता है। इस यंत्र को बडे आकार में बनाकर एक समय में चार आदमी द्वारा कार्य एक साथ किया जा सकता है।

तालिका 01 - 
हस्त मूॅंगफली थ्रेसिंग यंत्र का तकनिकी विवरण:-

1 तकनिकी विवरण:-
  • प्रारूप:- जालीदार
  • संपूर्ण माप:- 390 मि.मी. × 250 मि.मी. × 50 मि.मी
  • कुल भार:- 3.8 कि.ग्रा.
  • शक्ति स्त्रोत:- मनुष्य द्वारा
  • श्रमिक:- एक
  • क्षमता:- 3.6 कि.ग्रा.फलियॉ/घंटा (5 प्रतिशत आर्द्रता )
  • दक्षता:- 97 प्रतिशत
  • मुल्य:- 475/-